किसान की बेटी ने सुनी सब की पर करी सिर्फ अपने दिल की-

जब हम छोटे होते है | तब समाज व रिश्तेदार हम से कह कर, हम पर दबाब डाल देता है | इसे तो कलेक्टर या मजिस्ट्रेट ही बनना है | आज जो यह स्टोरी है यह भी बहुत मोटीवेट स्टोरी है | यह एक ऐसे किसान की बेटी की कहानी है |

जिसे शुरू से ही उस किसान की बेटी को एक बेचारी नजर से देखा गया | समाज, रिश्तेदार सभी एक बेचारी नजरो से देखा जाता | जो किसान की बेटी को यह बेचारा शब्द अपने लिए नहीं सुना जाता | और इस शब्द को वो अपनी लाइफ से हटाना चाहती थी |

यह बेचारा शब्द इस लिये | समाज इन नजरो से देखा करता क्योकि हर किसी इन्सान की तरह , इस किसान कि बेटी पर दस उंगलिया नहीं थी |

आप सभी का एक बार फिर everythingpro.in में success story in hindi में स्वागत है | शुरू करते है एक और मोटीवेट कहानी जो आपको मजबूर करेगी सोचने पर-

समाज ने नाम दिया बेचारी लड़की-

हम बात कर रहे है एक मामूली किसान की बेटी जिनका नाम किरन नागर (kiran nagar) है | किरन नागर राजस्थान के छोटे से गाँव की किसान के परिवार से है | किरन जब से इनका जन्म हुआ तब से वो समाज के नजरो में बेचारी टाइप की लड़की बन गयी थी | और हर किसी को इस बेचारे नजर से देखना व किरन को तकलीफ देता था |

वो चाहती थी की यह समाज में जेसी हु | उस तरह से मुझे अपनाये, पर यह बेचारी नजरो से न देखे | जब किरन का जन्म हुआ तो हर किसी की तरह उनके हाथो में दस उंगलिया नहीं थी | उनके लेफ्ट हेंड में सिर्फ अंगूठा है  वाकी की उंगलिया नहीं है |

इस वजह से उन्हें समाज रिश्तेदार से प्यार तो बहुत करते पर एक बेचारी नजर से देखा करते | किरन नागर को अपनी जिंदगी से इस बेचारे शब्द को  हटना था | क्योकि किरन का परिवार रिश्तेदार अधिक पढ़े लिखे नहीं थे | पर किरन के माता-पिता  ने एक सपना देखा कि वो अपनी बच्ची को बहुत अधिक पढ़ने देंगे |

उनके माता-पिता ने सोचा की हम अपनी बच्ची को इतना पढ़ा-लिखा देंगे ताकि यह एक अच्छी पोस्ट पर जा कर अच्छे पैसे कमा कर | अपने हाथ का खुद ऑपरेशन करा के समाज ताकि इसे और लडकी की तरह ही देखे |

एक माँ-पिता ने अपनी फूल सी कली को किया समाज की नजरो से दूर-

किरन के माँ-पिता ने सोचा की गाँव में पढाई का इतना खास माहोल नहीं है | इस लिए उन्होंने अपनी फूल सी बच्ची को अपने रिश्तेदार के यहा महज 3 साल की उम्र में अपने से अलग कर दिया | इस वजह से किरन में  छोटे से ही एक समझदारी आना शुरू हो गयी थी |

जितना माँ-पिता के लिए सब मुश्किल था उतना ही किरन के लिये | कही न कही किरन का बचपन छुट गया था | किरन को इस समाज की नजरो से वो बेचारी शब्द को हमेशा हमेशा के लिए हटाना था |

आया एक नया मोड़-

किरन ने अपनी 10वी पास कर ली थी | उसके बाद उन्हें एक नई राह चुन्नी थी | पर समाज ने फिर अपनी अपनी राय देना शुरू कर दी | कि तुम पढाई में अच्छी हो साइंस लेनी चाहिए | पर किरन को आर्ट्स में अधिक मन था पर वो ऐसा नहीं कर सकी |

क्योकि समाज में एक ऐसी धारणा है कि आर्ट कमजोर बच्चे ही लेते है | जो की हमेशा से गलत रहा है | यहा एक बार फिर समाज की जीत हुई | और किरन ने साइंस स्ट्रीम चुन ली |

मेहनत ले आई इंजीनियरिंग के द्वार पर –

किरन की मेहनत व इतने दिनों से अपने माँ-पिता के सपने को सजो कर , साइंस स्ट्रीम लेने के बाद उनकी मेहनत से उन्हें एक अच्छा इंजीनियरिंग कॉलेज मिल गया | जो की हमीरपुर का NIT में उनका दाखिला हुआ | और इस इंजीनियरिंग कॉलेज में उन्होंने अपना वो सारा बचपन जी लिया जो कभी उन्होंने बहुत छोटी सी उम्र में खो दिया था |

समाज की बेपरवाह करते हुए उन्होंने अपना खोया बचपन जी लिया और आगे बढ़ गयी | इंजीनियरिंग कॉलेज में किरन ने EEE ब्रांच Electrical & Electronic Engineering  सेलेक्ट की | जो उन्हें बहुत ही अधिक कठीन लगती जिस वजह से वो बस नार्मल स्टूडेंट की भूमिका में रही |

समाज का एक बार फिर दबाब-

EEE ब्रांच सेलेक्ट करने के बाद | वो एक नार्मल स्टूडेंट थी | और इस वजह से उन्हें प्लेसमेंट में बहुत कम कम्पनी में बेठने का मोका मिला | किरन के दिल और दिमाग पर एक बार फिर समाज का ध्यान आया |

क्योकि समाज की धारणा थी यदि आपका प्लेसमेंट नहीं हुआ तो आपकी इंजीनियरिंग करना बेकार | इस डर की वजह से फाइनल ईयर तक आते आते उनका प्लेसमेंट हो गया | और उन्हें 6 लाख का पैकेज ऑफर हुआ |

और आखिर में, समाज को पीछे छोडकर, वो किया जो दिल ने कहा-

कम्पनी ने 6 लाख का पैकेज ऑफर दिया | किरन ने कम्पनी को ज्वाइन भी कर लिया | जैसे जैसे वो टाइम देती गयी उन्हें ऐसास हुआ कि उन्हें पैसे तो मिल रहे है पर कही न कही वो ख़ुशी को फील नहीं कर पा रही है | इसी बीच उन्हें किसी फ्रेंड ने youtube के बारे में बताया |

उन्होंने वही अपनी जॉब quit कर के अपने passion में लग गयी | समाज की बेपरवाह किये वो अपने जुनून के पीछे चल दी | क्योकि किरन का फिल्ड टेक्निकल था इस वजह से उन्होंने बिना सोंचे एक टेक चेनल बनाया |

शुरुआत में उन्हें बहुत मुश्किल का सामना करना पढ़ा | पर आज वो टेक्निकल जानकारी अपने चेनल पर शेयर करती है | और आज उनका youtube का परिवार 2 लाख 99 हज़ार का परिवार है |

जो सिर्फ उनके जुनून की वजह से है | और इसमें आज उनका परिवार व वो खुद बेहद खुश है | और आज उन्होंने साबित कर दिखया समाज की नजरो में , वो बेचारी नहीं है | हम उनके और सफल होने की कामना करते है |

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हमने आज क्या सिखा-

हमने आज इस article के माध्यम से आप सभी को बताने का प्रायस किया है कि समाज हमे राय देता है समाज के अपने रूल्स है वो हमे हर मोड़ पर राय देगा की ऐसा-वेसा करना चाहिए | समाज के रूल्स को वही तक सीमत रहने दीजये | आप उनकी राय जरुर सुने | पर करे वोही जिसमे आपको ख़ुशी मिलती है |

अपने आप को समय दे | और समझने की कोशिश करे की आपमें क्या खूबी है | यकीन मानिये जिस दिन आपको यह पता लग जायेगा | उस दिन आपकी लाइफ के जीने का नजरिया बदल जायेगा |

ऐसे ही मोटीवेट व प्रेणना देने वाली सफल स्टोरी के लिये नीचे दिये bell icon को प्रेस करे | जिससे हर article आप तक पहुचे | अपनी राय व् अपने सपने कमेंट बॉक्स में जरुर बताये | यह article अपने मित्र तक जरुर share करे | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |

हम आखिर सीखते कैसे है | और सीखना हमे क्यों चाहिये-

हम आखिर सीखते कैसे है | और सीखना हमे क्यों चाहिये-

यह article बहुत जरुरी होना वाला है | क्या अपने कभी सोचा है कि हर सफल आदमी वो आखिर कैसे सफल होता है ? वो कैसे इतने बड़े आदमी बनते चले जाते है ? आखिर उनके पास भी 2 हाथ , 2 पैर, व 1 ही दिमाग है | जो की हम सब पर भी है | आखिर उन को भी उतने घंटे मिलते है जितने हम सबी को मिलते है |

तो वो आखिर कैसे सफल हो जाते है ? आज इस article के माध्यम से हम यही समझने का प्रयास करते है | आप सबी का everythingpro.in के My thinking में आपका स्वागत है | चलिए शुरू करते है-

सफल बनने की बाते-

हम बात कर रहे थे एक सफल व्यक्ति की जो दिन पर दिन बड़े होते चले जा रहे है | वो आखिर ऐसा क्या करते है ? उनके पास भी हाथ, पैर, आँख, दिल, दिमाग व 24 घंटे ही है | वो सब है जो एक आम आदमी के पास होता है | बस फर्क है कि वो हर कुछ दिनों में कुछ नया सीखते है |

एक सफल आदमी वोही बन सकता है जो हर वक़्त कुछ न कुछ नया सीखता हो | जब सिखने की बात आये तो सबसे पहले अगर पूरी दुनिया में किसी का ध्यान आता है तो वो है Elon Musk | Elon Musk बहुत बड़ा नाम है | पर यह नाम उनके पिता या दादा पर दादा के कारण नहीं वल्कि उन्होंने खुद बनाया है सिर्फ अपनी सिखने की कला पर |

यदि आप नहीं जानते की Elon Musk कोन है ? तो हम आपको बता दे Elon Musk दुनिया के 6वे सबसे धनी व्यक्ति है | और यह कोई 80-90 साल के नहीं सिर्फ 49 year के है | Elon Musk का जन्म साउथ अफ्रीका में प्रेटोरिया शहर में 28 जून 1971 को जन्म हुआ | Elon Musk एक Businessman , Engineer और Investor है |

आखिर क्या खासियत है ? Elon Musk की –

इस दुनिया के जितने भी कामयाव इन्सान है वो अपनी कामयावी का श्रेय किताबो को देते है | दुनिया के सभी धनी व्यक्ति में से Elon Musk इस लिये खास है | क्योकि इन के हर काम लोगो के हित के लिये होते है | वो हमेशा इस खोज में लगे रहते है कि मानव की परेशानी को कैसे दूर किया जाए | और इन्सान को क्या सलर रूप में दे सकते है |

जैसे- इलेक्ट्रॉनिक ऑटोमेटेड कार , hyperloop मतलब वो जमीन के अंदर टर्नल बना कर, उसमे बुलट ट्रेन के माध्यम से लोगो की सोंच से भी अधिक स्पीड में वो लोगो को उनके स्थान पर पहुचना चाहते है | यदि हमे कुछ सीखना होता है तो हमे सुनने को मिलता है की यह कोई राकेट साइंस नहीं है जो समझ नहीं आयेगी |

One think the change life in Hindi ( E-book )

अगर आप अपने जीवन में सफल व बहुत पैसे कमाना चाहते है | तो यह E-book आपकी पूरी जिन्दगी बदल सकती है | आपने अक्सर सुना होगा कि एक सफल व्यक्ति बुक्स जरुर पढ़ता है | क्योकि बुक्स हमे ऐसी सीख देती है जो अनमोल होती है | इस E- Book में ऐसे सीक्रेट बिज़नस की सम्पूर्ण जानकारी दी गयी है | जो बेहद ही कम लोगो को जानकारी है |

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इस दुनिया में यदि कुछ सबसे कठीन चीज यदि समझने की है तो वो है राकेट साइंस | जिसमे Elon Musk राकेट साइंस के एक्सपर्ट है | Elon Musk धरती के अलावा भी वो हर क्षेत्र में काम कर रहे है | और वो हर क्षेत्र के एक्सपर्ट भी है |

उनकी प्रमुख कम्पनी के  नाम है जैसे कारो में Tesla car , फाइनेंस कम्पनी सर्विस x.com, Money transfer में Confinity जिसे हम आज Paypal के नाम से जानते है | सोलर पेनल में solar city  और धरती के बाहर अंतरिक्ष में  space x जो space लोंच में कार्यरत है |

2015 में Elon Musk ने artificial intelligence कम्पनी की शुरुआत की जिसका नाम Open AI रखा गया |  Elon Musk 2016 मेंNeuralink कम्पनी के co-founder बने| जो artificial intelligence और मानव दिमाग को जोड़ने का काम कर रही है | Elon Musk ने कहा है 2030 तक वह लोगो को मंगल ग्रह पर पहुचाने की तैयारी में है |

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आखिर Elon Musk क्या चीज है वो कैसे सोंचते है ? वो कैसे हर चीज में expert है –

Elon Musk ने हर अलग अलग फिल्ड में हद पार मेहनत की है | और वो बहुत सी चीज में माहिर है | चलिये थोडा समझते है वो किस-किस फिल्ड में महान है वो किस फिल्ड में expert है-

  1. Rocket Science में,
  2. Engineering में,
  3. Solar power में,
  4. Hyperloop में,
  5. Physics में,
  6. Construction में,
  7. Energy में

इतना सब होने के बाद भी वो ऐसे इन्सान है जो 7 दिन में 5 घंटे कुछ नया सिखने में देते है | महान है यह और क्या करना है इन्हें ? जितने भी बड़े बड़े वैज्ञानिक हुए है उनकी रिसर्च में यह पता लगा है कि यदि उन्हें नंबर दिया जाये तो 10 में से 7 सबी वैज्ञानिक Polymath थे |

Polymath उनको बोला जाता है जिन्हें कुछ नया सिखने की तलब या भूख होती है | दुनिया के महान लोग जैसे Bill gates, Larry page, Steve Ballmer, jeff bezos भी polymath है | जो 7 दिन में 5 घंटे कुछ नया सिखने में देते है |

Elon Musk का दिमाग कैसे काम करता है इतना सब सीखने में-

Elon Musk के भाई Kimbal Musk बताते है कि जब Elon Musk छोटे थे तो वो एक दिन में 2 किताबे पढ़ते थे | यदि हम एक महीने में 1 किताब भी पढ़ते हेना तब भी Elon Musk हम से 60 गुना आगे थे | वो 60 गुना स्पीड से सीख रहे है तो आखिर वो ऐसा क्या पढ़ते थे ?

जब वो छोटे थे तो वो Scientist, Engineers, Philosophy, Entrepreneurs Biography , Science fiction, Programming books यह वो तब पढ़ा करते थे जब वो छोटे थे | और जब वो बड़े हुए तो उन्होंने करियर से रिलेटेड बुक्स पढना शुरू किया जैसे- Energy, Business, Technology, Product Design , Engineering .

वो इन सभी बुक्स की बारिके समझने लगे | मुझे Elon Musk की यह बात बहुत प्रेरित करती है की उनका कहना है कि आप जो भी सीखना चाहते वो खुद अपने आप से फ्री में सीख सकते है | स्कूल कॉलेज सिर्फ मस्ती के लिए होते है | यह बात Elon Musk की वाकई बहुत प्रेरित करती है |

हमने आज इस article से क्या सिखा-

हमने आज इस article के माध्यम से बताने का प्रयास किया है | कि जरुरी नहीं आप जिस फिल्ड में एक्सपर्ट है उसे ही सीखे | वल्कि आप उन चीजो को भी सिखने की कोसिस करे जो अपने पहले नही की हो | आप नया सीखे | एक डाटा यह कहता है कि किसी एक क्षेत्र में महान ज्ञान व्यक्ति होने की अपेक्षा वो व्यक्ति अधिक सफल है जिसको अलग अलग क्षेत्र की जानकारी है |

जब किसी व्यक्ति को कुछ नया सिखने की लत होती है यानि वो Polymath है तो कही न कही वो Learning Transfer Method का उपयोग कर ही लेता है | इसका मतलब है कि किसी भी विषय का बेस समझ कर दूसरी जगह पर उसको apply करना | क्योकि अधिकतर इंडस्ट्रीज का मॉडल सेम होता है | इसको Learning Transfer Method कहते है |

हम उम्मीद करते है यह article आपको बहुत पसंद आया होगा व कुछ नया सिखने और जानने को मिला होगा | और अपने परिवार व मित्र के साथ शेयर करना न भूले | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |

एक ब्रैड बेचने वाले लड़के ने कैसे खड़ी करी करोड़ो की कम्पनी –

एक ब्रैड बेचने वाले लड़के ने कैसे खड़ी करी करोड़ो की कम्पनी –

आज जिन शक्स के बारे में बताने जा रहा हूँ | उनकी भी बहुत मोटीवेट कहानी है | जो हम उम्मीद करते है कि हर युवा को आगे बढ़ने के लिए व अपने लक्ष्य को पाने के लिए हमेशा प्रेरित करेगी | इन शक्स ने कम उम्र में मेहनत करना सीख लिया |

छोटे से गाँव से होने के बावजूद इस युवा ने साइकिल से ब्रैड बैच कर, पैदल चल चलकर सिमकार्ड बेचकर , एक गार्ड की छोटी सी जॉब करने के बाद कड़ी मेहनत व लगन के साथ कैसे कुछ वर्षो में ही करोड़ो कम्पनी खड़ी कर दी |

जिसका सालाना टर्न ओवर करोड़ो में है | चलिए शुरू करते है इस युवा की एक उत्साह भर देने वाली , एक जोश व प्रेणना देने वाली मोटीवेट स्टोरी |

हम बात कर रहे है विकास उपाध्याय की , विकास उपाध्याय उत्तर प्रेदश के जालोन जिला के रामपुरा गाँव के निवासी है | जिनके पिता जी एक किराना की छोटी सी दुकान चलाते थे | और उस छोटी सी दुकान से उनके परिवार का हरण पोषण किया जाता |

जिंदगी की शुरुआती मुश्किले-

पिता जी उस दुकान से अपने परिवार को पालते | और विकास उपाध्याय अपनी पढाई पर फोकस करते | उस वक़्त विकास की उम्र सिर्फ 9 वर्ष थी | कुछ समय बाद पता लगा की विकास की माँ को टीवी बीमारी है | जो की बहुत बड़ी बीमारी थी |

जिसमे विकास के पापा उस छोटी सी दुकान से उनकी बीमारी का खर्चा नहीं उठा पा रहे थे जिस वजह से उन्होंने बहुत कर्ज ले लिया | और उस कर्ज को हटाने के लिए उन्होंने सोचा की यह दिल्ली आ कर वो जॉब करेंगे | और दिल्ली आ कर उन्होंने गार्ड की नोकरी की |

विकास पर अब घर का सभी बोझ आ चुका था | वो अब अपनी दुकान पर बेठने लगे | और घर की थोड़ी मदद करने लगे | पर कुछ समय बाद ही कर्ज देने वालो ने अपना पैसा मागने लगे | जिस वजह से विकास के पिता जी ने अपनी छोटी सी दुकान बेच दी | और लोगो के पैसे चुका दिये | उस वक़्त विकास के परिवार के लिये एक एक पैसा का मोल बहुत अधिक था |

विकास सोचने लगे की इतनी कम उम्र में वो क्या कर सकते है जिससे परिवार की मदद हो सके | पर आखिर एक 9 साल का बच्चा क्या कर सकता था ? विकास सोचने लगे और एक सुबह वो जाग के उठे और उनके कानो में आवाज आई ब्रेड ले लो …ब्रेड ले लो  …वो आवाज कुछ बच्चो की थी |

वो आवाज उनकी मंजिलो तक पहुचने का एक संकेत था जिसको विकास ने महसूस किया और वो अपनी पहली कमाई करने निकल गये | उससे उनका घर तो नही चल पा रहा था पर कुछ तो पैसे आ रहे थे | जिससे कुछ तो मदद हो रही थी |

एक कम उम्र का बच्चा सोचने लगा की वो और क्या कर सकता है जिससे कुछ और पैसे आये | विकास ने एक दिन देखा की किसान अपनी फसल जैसे गेंहू अनाज लाया करते और दुकानदारो को बेच देते और दुकान दार लोगो को बेचते |

विकास ने भी कुछ पैसे जमा कर के वो अनाज लेना शुरू किया एक पेड़ के नीचे अपना बोरा बिछाकर लोगो को बेचने लगे | और ऐसा करने से वो अब कुछ हद  तक अपने परिवार की मदद करने लगे |

माँ ने प्रेरित किया पढने को-

इसी बीच उनके 10वी का रिजल्ट आया जिसमे वो 3rd डीविजन से पास हुए | तब उन्हें ऐसास हुआ की उन्हें आगे पढना चाहिए | और उनकी माँ ने अपने गहने बेच कर उरई शहर में विकास को पढने भेज दिया | विकास ने सोच लिया था कि वो अपनी पढाई का खर्च खुद उठाएंगे |

विकास  सिमकार्ड का काम करने लगे और गली गली जा कर बेचने लगे उस वक़्त सिमकार्ड पर बहुत अच्छा मुनाफा हो जाता था | विकास ने दिन में सिमकार्ड बेचे और रात में अपनी पढाई को वक़्त दिया | सिमकार्ड से वो महीने के अच्छे पैसे कामने लगे | और इतने में उनकी 12वी खत्म हो चुकी थी |

उन्हें आगे और पढना था और विकास ने आईटी ब्रांच से इंजीनियरिंग में दाखिला ले लिया | पर यहा भी बहुत मुश्किले थी |

इंजीनियरिंग के पैसे भरने के लिये उन्होंने अपने कमाये पैसे सब लगा दिये | फिर भी फीस अपूर्ण थी | विकास ने एक कंप्यूटर कोचिंग ज्वाइन कर लिया | जिससे वो बच्चो को अपने कंप्यूटर का ज्ञान पढ़ाते भी और उन्हें सिखने को भी मिलता |

क्योकि विकास ने आईटी ब्रांच तो ले ली थी | पर उससे पहले उन्होंने कभी भी कंप्यूटर को हाथ नहीं लगया था | पर धीरे धीरे सब ठीक हुआ | और उनकी इंजीनियरिंग पूरी हुई | जिसके बाद उन्हें लखनऊ शहर में एक छोटी सी जॉब भी मिल गयी |

जॉब को छोडकर कर बढे अपनी मंजिल की ओर-

जॉब मिल जाने के बाद उनका परिवार खुश था | पर कही न कही विकास खुश नहीं थे क्योकि उन्हें अपना business करना था | और जॉब को छोडकर कर , 4 हजार रूपए , कुछ कपडे और एक लैपटॉप लेकर वो आ गये उत्तर प्रदेश के नॉएडा शहर में | नॉएडा में कुछ दोस्तों के पास कुछ दिन रहे | परन्तु यहा भी धीमे धीमे सब पैसे खत्म हो गये | और वो बहुत उदास होने लगे |

उन्हें लगा की उनकी जॉब छोड़ने का विचार गलत था | अब यहा न खाने के लिये और न ही रहने के लिये छत थी | उसी बीच जिस बिलडिंग में वो रहते थे | उनके मालिक से विकास की मुलाक़ात हुई | और वो रियल स्टेट की कम्पनी चलाते थे जिसके लिये वो एक वेबसाइट बनाने वाले की तलाश कर रहे थे | और बस विकास को अपनी राह दिख गयी |

उन्होंने बिलडिंग के मालिक से कहा की में आपकी वेबसाइट बनाता हूँ | और विकास ने कुछ महीने में उनकी वेबसाइट बना कर लोंच कर दी | जिसके बदले में उन्हीने विकास को एक छोटी सी उसी बिलडिंग का बेसमेंट दे दिया | जहा विकास ने कई दिन गुजारे |

अपने काम को उसी जगह से करते और रात होने पर वही सो जाते | विकास दिन रात मेहनत करते गये | और अपने साथ एक टीम को बनाया | मेहनत और लगन से 2015 में विकास ने Dream steps नाम से अपनी IT company बनायीं | Dream step की एक ब्रांच कनाडा और दुबई में है | विकास की मेहनत और लगन से आज उनकी कम्पनी का टर्न ओवर करोड़ो में है |  

हमने आज इस article से क्या सिखा ?

हमने इस article के माध्यम से आप सभी को बताने का प्रयास किया है | कि किसी भी मंजिल तक पहुचने से पहले सबसे जरूरी कदम होता है …. शुरू करना | आप समझ गये होगे में क्या कहना चाहता हूँ | एक 9 साल का बच्चा जब शुरुआत कर सकता है तो आप क्यों नहीं |

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एक ऐसा भारत का युवा जिसने भारत का आने वाला भविष्य का जिम्मा उठाया-

एक ऐसा भारत का युवा जिसने भारत का आने वाला भविष्य का जिम्मा उठाया-

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हमेशा से कहते है हम देश का आने वाला भविष्य यह युवा पीढ़ी है | वो युवा कुछ और ही होते है जो देश के हित के लिए वो सब अपना बलिदान कर देते है जो कईयों के सपने होते है | आज में जिस युवा की बात करने जा रहा हूँ |

वो मेरे inspiration है जिनसे में बहुत inspired हूँ | आपको यह article पढ़ते-पढ़ते पता लग जायेगा | कि हम इनसे इतना क्यों inspired है और में जिस युवा की बात करने जा रहा हूँ |

में उनकी सोच उनकी मेहनत और उनके कार्य से बहुत प्रेरित हूँ | जो मेरे ही नहीं वल्कि उन सभी युवा कर लिये प्रेणना है जो कुछ करना चाहते है किसी दुसरो के लिए | चलिए शुरू करते है मेरे inspiration person के बारे में | हम बात कर रहे है, वो है रोमन सैनी (Roman Saini)|

कम उम्र में डॉक्टर बनने का सफर-

रोमन सैनी (Roman Saini) का जन्म राजस्थान में कोटपुतली के एक गाँव रायकरणपुरा में हुआ | घर में पिता इंजिनियर व माँ गृहिणी थी | घर का माहोल पढ़ा लिखा होने पर उनकी पढाई ठीक ढंग से हुई | और बचपन से ही पढाई में बहुत अच्छे थे |

इसी के चलते हुए रोमन सैनी ने महज 16 वर्ष की उम्र में देश के बहुचर्चित मेडिकल collage एम्स का इंट्रेंस एग्जाम पास किया | और उन्होंने वहा से अपनी एमबीबीएस पूरी करी | और वो एम्स के बहुत कम उम्र के डॉक्टर भी बने |

One think the change life in Hindi ( E-book )

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डॉक्टर से एक आईएएस बनने का सफर-

 एम्स के कम उम्र के डॉक्टर बन जाने के बाद, इसी दोरान वर्ष 2011 में वह एक मेडिकल कैंप के दोरान एक गाँव में गये | जहा उन्होंने देखा की गाँव में सेहत ,सफाई,पानी व अन्य चर्चित विषय पर कोई भी जागरूकता नहीं है | और उन्होंने यही से विचार किया की वो भारत की सबसे चर्चित परीक्षा, सिविल सर्विसेज परीक्षा में जायेंगे व अपने देश को और बेहतर बनाने का प्रायस करेंगे |

दिन रात कड़ी मेहनत करने के बाद रोमन सैनी ने महज 22 वर्ष की उम्र में , अपने पहले ही प्रयास में 2013 में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली | और पूरे देश में 18 वी रेंक प्राप्त की | और 2014 में वो डॉक्टर से कम उम्र के एक आईएएस अफ़सर भी बन गये | रोमन सैनी की न्युक्ति मध्यप्रदेश में बतौर कलेक्टर हुई |

महज 2 वर्ष बाद आईएएस अफ़सर से इस्तीफा दे कर कर दिया सब को हैरान-

IAS बनने के बाद वो फिर एक बार फिर भ्रमणं करने गाँव में गये जहा उन्होंने महसूस किया कि भारत में शिक्षा का स्थर बहुत गिरा हुआ है | और अच्छी शिक्षा अच्छे बच्चो को जो मेहनत करना चाहते है वो शिक्षा नहीं मिल पा रही है |

वो गरीब बच्चो जो मेहनती थे पर पैसे न होने के कारण वो एक अच्छी शिक्षा से वंचित हो रहे थे | वो IAS अफ़सर बनने के बाद भी वो कुछ खास नहीं कर पा रहे थे |

वो उन बच्चो के लिए और भारत के आने वाले भविष्य के लिए मुफ्त में कुछ करना चाहते थे | और सिर्फ अपने देश के हित के लिये व शिक्षा का स्थर सुधारने के लिए उन्होंने वो कर दिया जो कईयो के सपने होते है जिस पद के लिए कड़ी से कड़ी मेहनत करते है वो पद उन्होंने देश के बच्चो के लिए छोड़ दिया |

आज देश की सबसे बड़ी एजुकेशन कम्पनी unacademy के संस्थापक है | जहा उन्होंने देश के बच्चो के लिए मुफ्त में एक बेहतर शिक्षा प्रदान कर रहे है |जब रोमन सैनी ने अपना इस्तीफा कलेक्टर को देते हुए कहा- कि आईएएस बनना था सपना , अब दुसरो को आईएएस बनने के गुण सिखाएँगे |

रोमन सैनी का भारत के युवा से कहना है कि –

‘ मैं मानता हूं कि हम अपने हर सपने को साकार कर सकते हैं। मेरा ऐसा मानना है कि कोई आपको सफलता के लिए प्रेरित तब तक नहीं कर सकता है जब तक कि आप स्वयं को प्रेरित करने का संकल्प न लें। सफलता प्राप्त करने का मूलमंत्र आपके अपने अंदर ही छिपा होता है। मैने सफलता पाई क्योंकि जो मेरा दिल कहता था मैं वो पूरी ईमानदारी के साथ करता था। जरूरी नहीं कि आपकी इच्छा जिस काम को करने में हो उसका कोई अंतिम पड़ाव तक पहुंचना आवश्यक ही हो जैसे मुझे गिटार बजाना अच्छा लगता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मुझे इंग्लैंड के  ट्रिनिटी collage में  एडमिशन लेना है। एक डॉक्टर के रूप में या एक आईएएस  अधिकारी के रूप में या फिर एक  उद्यमी  के रूप में अगर लाखों लोगों करोड़ को की सहायता कर पा रहा हूं तो इसका भी मूल कारण हैं कि मुझे ये अच्छा लगता है। ’

हमने इस article से क्या सिखा-

हमने इस article के माध्यम से सिखा कि जीवन में हम कितने भी बड़े मुकाम पर पहुच जाये | पर हमे कभी भी रुकना नहीं चाहिए | हमे अपने आप को और अधिक बेहतर बनाने के लिए काम करना चाहिए |

रोमन सैनी चाहते तो एक आईएएस अफ़सर के पद पर रहते अपना जीवन शान से जीते | पर उन्होंने देश के युवाओ के लिए सोचा, उस पद को छोड़ दिया जिसके लिए कई युवा न जाने कितने सपने देखते है |

यह वाकई काबिले तारीफ है हम ऐसे युवा को दिल से शुक्रिया करते है जो एक ऐसा प्लेटफोर्म लाये जिससे एक गरीब घर का बच्चा, जिसके अंदर कुछ करने का जुनून है वो मुफ्त में पढ़ सकता है |

मेरा इस article के माध्यम से बताने का एक ही मकसद था कि जिस प्लेटफोर्म से देश के कई गरीब बच्चे पढ़ रहे है उस प्लेटफोर्म को लाने वाले व्यक्ति को दुनिया के सामने लाया जाये | ताकि ऐसे युवा लोगो की प्रेणना बने | comment box में अपनी राय दे |यह article आप को पसंद आया हो तो नीचे दिये bell icon को प्रेस कर के हम से जुड़े | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |

100 रूपय कमाने वाली महिला का 1000 करोड़ रूपय तक का सफर-

100 रूपय कमाने वाली महिला का 1000 करोड़ रूपय तक का सफर-

एक नारी कितना सहन कर सकती है इसकी कल्पना हम पुरुष कभी भी नहीं कर सकते | और जब वो नारी कुछ करने की ठान ले तो वो हर मुकाम को हासिल कर सकती है | आप सभी का एक बार everythingpro.in के success story in hindi में स्वागत है |

आज जो हम success story बताने जा रहे है वो है एक 13 वर्ष की कल्पना सरोज की एक कहानी नहीं हकीकत है जो एक फिल्म की तरह लगती है पर यह मोटीवेट स्टोरी आपको नई उर्जा , नई प्रेणना देगी , जो आपके मुकाम तक पहुचाने में काफी हद तक मदद करेगी |

क्यों है सभी महिला के लिए प्रेणना-

कल्पना सरोज की कम उम्र महज 12 वर्ष की उम्र में, उनके मामा ने उनकी शादी की बात उनके पिता जी से की और कुछ ही दिनों में उनकी शादी हो गयी | शादी के बाद उन पर बहुत अत्याचार होने लगा | कल्पना जी ने जैसा एक सपना देखा हुआ था कि एक घर होगा अच्छे लोग होंगे परिवार होगा , पति प्यार व सम्मान देने वाला होगा | पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ |

कहते है यदि अपना पति अच्छा हुआ तो सारे दुःख दर्द कम हो जाता है | और धीरे धीरे सब ठीक हो जाता है | छोटी छोटी बात पर मारा-पीटी जो की बहुत ही दर्दनाक था |

अपनी जिन्दगी खत्म करने के लिए खटमल मारने वाली दवाई की तीन बोतल पी ली ताकि वो जीवित न रहे | पर किस्मत में कुछ और ही लिखा था | इन सब से बहार निकल कर उन्होंने अपने आप से बोला कुछ कर के मरना ही है तो क्यों न कुछ कर के ही जियें |

तमाम समस्या के बाद भी , और मात्र 9वी तक पढ़ी हुई लड़की ने आज 1000 करोड़ से भी अधिक की है मालकिन | जो आज महिलाओ के लिए प्रेणना बन के उभरी है |

कल्पना सरोज (kalpana saroj) की हकीकत –

बहुत ही साधारण परिवार में जन्मी कल्पना सरोज (kalpana saroj) का जन्म महाराष्ट्र के अकोला गाँव के एक छोटे से गाँव रोपड़ खेडा में 1961 में हुआ था | कल्पना सरोज के पिता जी महाराष्ट्र पुलिस के ह्बलदार थे | जिसमे उन्हें 300 रूपए वेतन मिला करता | जिससे उनका परिवार को पालते |

शादी हो जाने के बाद उनके साथ अत्याचार होने लगे जिसके बाद उनके पिता जी एक बार उनके पास गये व उनकी हालत देख कर वो उन्हे वहा से वापिस ले आये | कल्पना सरोज ने अब अपने आप से बोल चुकी थी की अब कुछ करना है और दुनिया के सामने अपने आपको साबीत करना है |

उन्होंने पहले सोचा की पहले वो पुलिस में ही जयेंगी पर पढाई व उम्र दोनों कम होने के कारण वो यह नहीं कर पायी | फिर उन्होंने सोचा की वो आर्मी में चली जाये ताकि देश के काम आ सकु पर ऐसा भी नहीं हो सका |

फिर उन्होंने अपनी माँ से बोला की वो कुछ करना चाहती है जिसके लिए उन्हें मुंबई जाना होगा | और अगर अपने नहीं जाने दिया तो में ट्रेन के नीचे आ जाउंगी ताकि कोई कसर न रह जाये मरने की | उनकी माँ ने पिता से बात कर के उन्हें मुंबई अपने चाचा जी के पास भेज दिया |

One think the change life in Hindi ( E-book )

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कुछ बढते कदम जिंदगी जीने कर लिए-

कल्पना सरोज अपने मुंबई में चाचा जी के पास आ गयी| उन्होंने अपने चाचा जी जो बताया कि वो सिलाई का काम जानती थी तो उनके चाचा जी ने सिलाई का काम एक फेक्ट्री में दिलवा दिया | परन्तु वो इतना अंदर से डरी हुई थी की वो सिलाई मशीन पर बेठने से डर रही थी | मशीन पर बेठने पर उनके हाथ कापने लगे और उनसे गलती होने के बाद वहा का incharge डाटने लगे |

जब फेक्ट्री के लोग लंच पर चले जाते तो वो सिलाई मशीन पर बेठ कर प्रयास करती ताकि वो डर खत्म हो सके | पर incharge ने उन्हें मशीन को छोडकर हेल्पर को तोर पर रख लिया जिसमे वो धागे को काटा करती | जिसका उन्हें 60 रूपए से 100 रूपय महिना मिलता | यह काम उन्होंने कुछ दिनों तक किया |

हुआ एक हादसा जिसने जिंदगी बदल दी-

कल्पना सरोज की जिंदगी कुछ हद तक पटरी पर आना शुरू हो गयी थी | परन्तु उनकी बहन को केंसर था | और एक दिन पैसे न होने के कारण उनका इलाज न हो सका और उनकी एक दिन मोत हो गयी |

इस घटना से कल्पना सरोज पूरी तरह से टूट गयी | और उन्होंने अपने आप से कहा यदि आज उनके पास पैसे होते तो वो अपनी बहन को बचा सकती थी | उन्हें समज आ गया था की गरीबी सबसे बड़ी बीमारी है जिसको उन्हें खत्म करना है |

कुछ और कदम सफलता की ओर-

कल्पना जी ने कुछ सिलाई मशीन से पैसे कमाना शुरू कर दिए | और वो कि घंटे कड़ी मेहनत करने लगी क्योकि उन्होंने ठान लिया था की इस गरीबी बीमारी को मिटाना है | पर इतने पैसे काफी नहीं थे उनके लिये | इसलिए उन्होंने व्यापार करने का विचार आया |

व्यापार करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे तो उन्होंने सरकार से बहुत मुश्किल के बाद , महात्मा ज्योतिबा फुले के अंतर्गत 50,000 का लोंन लिया | जिससे उन्होंने महज 22 साल की उम्र में फर्नीचर का व्यापार शुरू किया जिसमे उन्हें बहुत सफलता मिली |

एक जमीन ने उनकी सफलता में लगा दिए पंख-

फ़र्निचर के व्यापार करते करते एक दिन उनके पास एक व्यक्ति आये और उन्होंने अपनी जमीन बेचने के लिए बोला | जिसकी कीमत 2.50 लाख रूपए बताया | पर इतने पैसे नहीं थे तो उस व्यक्ति ने बोला की अभी आप सिर्फ 1 लाख रूपए दे दीजिये | कल्पना जी ने जेसे तेसे कर के वो एक प्लाट जमीन खरीद ली |

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परन्तु बाद में उन्हें पता लगा की वो जमीन विवादित है | और सरकार के सभी एक्ट उस जमीन पर लगे हुए थे | 1.5 साल तक मेहनत कर के उन्होंने उस विवादित जमीन से वो सभी एक्ट हटा दिए और उस जमीन से विवादित नाम का शब्द हट गया | जिसकी कीमित 2.50 लाख से 50 लाख हो गयी |

कल्पना जी के साहस ने एक 2.50 लाख की जमीन को 50 लाख कर दिया | उसके बाद उन्होंने उस जमीन पर बिल्डिंग बनाने के लिए एक सिंधी पार्टनर को चुना | जो की बिल्डर थे |

जिसमे उन्होंने उनसे कहा की जगह मेरी है और बनाना आपको है तो पार्टनर मान गया जिसमे उन्होंने प्रतिशत तह किया जिसमे सिंधी पार्टनर का 65% और कल्पना जी का 35% प्रतिशत था | और जब बिलडिंग पूरी हुई उसमे कल्पना जी ने 4.50 करोड़ रूपए कमाये |

इस तरह वो कदम पर कदम आगे बढती गयी | आज वो कमानी ऑफ़ ग्रुप की मालकीन है जिसकी कीमत 1000 करोड़ से भी अधिक है | यह थी 9वी क्लास की एक लड़की का 100 रूपए से लेकर 1000 करोड़ रूपए तक का सफर | जो की हर महिला के लिए प्रेणना है |

हमने आज इस article से क्या सिखा-

हमने success story in hindi में आज कल्पना सरोज की एक जोश व प्रेणना से भरपूर्ण है | हमने आज इस article के माध्यम से सिखा की किस्मत भी हमारा तब साथ देती है जब हम मेहनत करने में कोई भी कसर न रखे |

यह मोटिवेट स्टोरी आपको अपने लक्ष्य की और और प्रेरित करेगी | ऐसे ही मोटीवेट व down to earth success story के लिये नीचे दिये bell icon से हमारी टीम से जुड़े | जिससे हर article आप के फोन तक पहुचे | अपनी राय comment box में जरुर दे | इस article को अपने मित्र तक जरुर शेयर करे | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |

रिक्शा चालक का बेटा बना IAS गोविन्द (Govind jaiswal)

रिक्शा चालक का बेटा बना IAS अफ़सर –

यदि इन्सान के अंदर कड़ी मेहनत करने की लगन हो व तैयार हो तो वो इन्सान हर मंजिल को हासिल कर सकता है | आज में यह article के माध्यम से आप सभी को बताने की कोसिस कर रहा हूँ | कि एक इन्सान ने गरीबी व अनेक मुश्किलें सहन कर के आईएएस अफ़सर बनने का सफर तह किया | गोविन्द (Govind jaiswal)

रिक्शा चालक पिता की कड़ी मेहनत-

यह आज मोटिवेट स्टोरी है एक रिक्शा चालक के बेटे गोविन्द जयसवाल की | गोविन्द (Govind jaiswal) का जन्म 8 अगस्त 1983 में वनारस में ही हुआ | गोविन्द के पिता जी जो की गरीबी के कारण वस पढ़ न सके पर अपने बेटे को जरुर पढाया | गोविन्द के पिता जी एक रिक्शा चालक थे |

जो चाहे बारिस हो या सर्दी या गर्मी पर वो अपने परिवार के लिए रिक्शा चलाते ताकि शाम की रोटिया खा सके | व अपने परिवार का हरण पोषण कर सके | गोविन्द का परिवार, जो की वनारस की छोटी सी गलियों में एक छोटे से कमरे 12/8 के कमरे में रहने वाला गोविन्द का परिवार बड़ी मुश्किलों से अपना गुजारा कर पाता था |

गोविन्द अपने परिवार में सबसे छोटे थे | उनकी तीन  बड़ी बहने व माँ और पिता जी रहते थे | इस छोटे से कमरे में ही गोविन्द व उनका परिवार का सामान व खाना पीना सभी चीजे इस 12/8 के छोटे से कमरे में ही होता | गोविन्द जिस जगह रहते थे वो जगह बहुत सोल-गुल वाली थी जहा अनेक प्रकार की आवाजे आया करती थी |

जिस कारण से उन्हें पढाई में बहुत दिक्कत आया करती | जिसको वो खिडकियों पर पर्दे लगा कर और अपने कानो में रुई लगाने के बाद अपनी पढाई को पूरा करते |

गोविन्द ने गरीबी को बहुत करीब से देखा है जिसको उन्होंने इस गरीबी को अपनी पढाई पर कभी भी हाबी नहीं होने दिया | गोविन्द क्लास 8 से ही बच्चो को पढ़ाते थे | और पिता रिक्शा चला कर अपने परिवार का हरण पोषण करते | इस मोहल में रहने के बाद गोविन्द को दुनिया के ताने भी सुनने को मिलते |

लोग गोविन्द से कहते की तुम कितना भी पढ़ लो | चलाना आखिर रिक्शा ही है | पर गोविन्द ने थान लिया था की वो एक दिन जरुर इस दुनिया का मुह अपनी मेहनत व लगन से बंद कर देंगे | और आखिर में किया भी |

कड़ी मेहनत-

जब अधिक शोर होता तो गोविन्द के अनुसार वो अपने कानो में रुई लगा के पढ़ते व अधिक शोर में वो मैथ लगाते व कम शोर में वो अन्य विषय पर ध्यान देते | रात में कई कई घंटो तक बत्ती का आना उनकी पढाई में रूकावट पैदा करता | जिससे बचने के लिए गोविन्द अक्सर मोमबत्तिया , डीबे में बत्ती डाल कर जला कर वो अपनी रात गुजारा करते |

12वी के बाद इंजीनियरिंग को बनाने की सोंची, अपनी सफलता का पथ-

गोविन्द शुरू से ही पढाई में नपुर थे व विज्ञान व मैथ्स उनके पसिंदा विषय थे | इस वजह से उनके चाहने वाले लोगो ने उन्हें इंजीनियरिंग करने की सलाह दी | परन्तु गरीबी के कारण वो इंजीनियरिंग न कर सके | और वनारस यूनिवर्सिटी से बीएससी की पढाई पूरी की | जहा पर उन्हें 10 रुपय की मासिक फीस देने पड़ती |

वो दिल्ली की महंगाई-

गोविन्द अपने आईएएस अफ़सर बनने के सपने के लिए काफी लगन से पढाई कर रहे थे व उसके बाद वो अपनी पढाई के लिए दिल्ली चले गये | जहा उन्होंने बहुत कड़ी मेहनत की | पर दिल्ली की महंगाई उन्हें बहुत पीड़ा दे रही थी |

पिता रिक्शा चला कर गोविन्द को पढाई के लिये पैसे देते | पर कहते हेना यह जिंदगी कदम कदम पर इम्तांह लेती है | गोविन्द के पिता जे के पैर में इन्फेक्शन हो गया जिस कारण वश वो रिक्शा न चला सके | जिसके लिए उन्हें अपनी थोड़ी सी जगह भी बेचने पड़ी व गोविन्द को पढाई में कोई समस्या न आये |

गोविन्द को यह बात बताई भी नहीं गयी | उनके पिता जी का कहना था की वो नहीं चाहते थे कि उनके कारण गोविन्द के आईएएस अफ़सर बनने के सफर में रुकावट हो |

पिता की मेहनत व गोविन्द की लगन लाई रंग-

गोविन्द के पिता ने बड़ी मुश्किलो से दिन रात रिक्शा चला कर गोविन्द को पढाया और गोविन्द ने भी अपनी मेहनत व विश्वास से किसी को निराश नहीं किया | और 2006 में मात्र 24 वर्ष में अपने पहले ही प्रियास में सिविल सर्विसेज परीक्षा में 474 सफल लोग में 48 वा स्थान ला कर | गोविन्द ने अपनी व अपने परिवार की जिन्दगी हमेशा हमेशा के लिए बदल दी |

हमने इस article से क्या सिखा-

हम ने इस article के माध्यम से आप सभी को बताने का प्रियास किया है कि परिस्थतियाँ कैसी भी हो हमे अपने लक्ष्य से ध्यान नहीं हटाना चाहिए | गोविन्द की मेहनत ने उन्हें एक नये मुकाम पर खड़ा कर दिया |

गोविन्द देश के अन्य युवाओ के लिए एक आइडियल है जो अपने लक्ष्य के प्रति जी तोर मेहनत कर रहे है | जो युवा इस article को पढ़ रहा है उनसे में कहना चाहुंगा कि मेहनत इतनी खामोशी से करो, की कामयावी शोर मचा दे…

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मेहनत एक दिन जरुर रंग लाती है | साइकिल पंचर की दुकान से IAS अफ़सर बनने का सफर –

मेहनत एक दिन जरुर रंग लाती है | साइकिल पंचर की दुकान से IAS अफ़सर बनने का सफर –

हम सभी ने छोटे से लेकर बड़े होने तक किसी न किसी से जरुर सुना होगा कि मेहनत एक दिन जरुर रंग लाती है | आज जो हम यह मोटीवेट article लिख रहे है इस मोटीवेट स्टोरी को पढकर आप सभी अपने आप से एक सवाल करेंगे की हम अपने Goal को पाने के लिए कितनी मेहनत कर रहे है |

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हम कितनी और अधिक मेहनत कर सकते है | इस article को पढ़ कर आप जो मेहनत कर रहे है उससे अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित होंगे |

हम में से बहुत लोग होते है जिन्हें हर मुमकिन सुविधा मिलती है पर हमे उन सुविधाओ की कदर नहीं होती | पर जरा अपनी नजरे घुमा कर देखिये जो सुविधा हमे मिल रही है वो सुविधा बहुत है |

देश में कई लोग है जिन्हें यह भी सुविधा नसीब भी नहीं होती | चलिए इस article को पढ़ते-पढ़ते आपको feel हो जायेगा कि हम आप सब से क्या बात कहने की कोसिस कर रहे है | चलिए शुरू करते है-

मेहनत व विश्वास ने साइकिल पंचर जोड़ने वाले को बना दिया IAS अफसर-

आज की मोटीवेट सक्सेस स्टोरी जो है वो है छोटे शहर के वरुण बरनवाल (varun baranwal) की जो महाराष्ट्र के पालघर जिले के बोइसर के रहने वाले है | जिन्हें साइकिल के पंचर की दुकान से लेकर उनकी मेहनत ने एक आईएएस अफसर बना डाला |

Varun baranwal के पिता जी बोइसर मे साइकिल की दुकान थी | वरुण बरनवाल सर की काहनी शुरूआत होती है उनके 10वी से , वरुण बरनवाल सर ने 2006 में 10वी पूरी की , इनकी 21 मार्च 2006 में परीक्षा खत्म हुई थी | और 24 मार्च 2006 को इनके पिता जी का दिहांत हो गया |

पिता जी के दिहांत के बाद वरुण सर ने सोचा की घर की समस्या को देख कर उन्होंने विचार किया कि 10वी कर ही ली है और अब वो पढाई को छोडकर, अपने पापा की छोटी सी साइकिल की दुकान को आगे ले जयेंगे |

वरुण सर ने अपनी पढाई को छोड़ने का पूरी तरह से मन बना लिया था क्योकि घर की आर्थिक तंगी की वजह से मुमकिन नहीं था की वो अपने पढाई को आगे बढ़ाते | पर कहते हेना की होता वोही है जो ऊपर वाला करता है |

कुछ दिनों बाद 10वी का रिजल्ट आया जिसमे वरुण सर ने अपना स्कूल top किया | जब वो अपना रिजल्ट देख कर घर पर आये तो सभी लोग रो रहे थे | उनकी माँ और बहन ने बोला की तुम पढो हम काम करेंगे |  

जिन्दगी के सबसे कठिनाई वाला वक़्त-

वरुण सर का 11th व 12th उनकी जिन्दगी के सबसे मुश्किल भरे दिन थे | 10th के बाद जब 11th के लिए कॉलेज में दाखिला लेने के लिए कुछ 10 हजार रूपए की जरुरत थी | पर वरुण सर के पास इतने पैसे नहीं थे और उन्होंने अपनी साइकिल की दुकान में टाइम देने लगे |

एक बार उनकी दुकान के सामने एक डॉक्टर , जो उनके पिता जी का ट्रीटमेंट करते थे वो अपने बच्चे का दाखिला दिलवाने collage जा रहे थे | वो रुके और उन्होंने पूछा क्या चल रहा है | और वरुण सर ने अपनी बात उन्हें बताई |

उन डॉक्टर ने अपनी जेब से हाल उसी वक़्त 10 हजार रूपए दिए | और तब जा कर उन्होंने अपना दाखिला लिया | जब उन्होंने 11th में दाखिला लिया तो उनके दिमाग में एक बात थी जो हर महीने की फीस भरी जाती है वो वह नहीं भरेंगे |

उन्होंने अपने आप से बोला की वो बहुत अच्छे से पढेंगे मेहनत करेंगे और बाद में स्कूल के प्रिंसिपल से कहेंगे की मेरे फीस माफ़ की जाये |

कुछ महीने में ही सबी टीचर को पता लग गया की घर की क्या हाल है | और जब सबी टीचर को पता लगा की पढाई में इतनी रूचि है तो उन्होंने 2 साल तक वरुण सर की पूरी फीस भरी | एक रूपए भी नहीं दिया सर ने 2 साल तक | इस तरह 11th और 12th हो पाई |

वरुण सर का खुद कहना है की उन्होंने अपनी पढाई का खर्च खुद कभी भी नहीं किया | कोई फीस भर देता था तो कोई बुक्स ले लेता था तो कोई फॉर्म भरने के पैसे तक नहीं लेता था | वरुण सर की माँ और बहन ने दो साल में थोड़े पैसे जमा कर लिए थे क्योकि उनकी बहन collage में पढ़ाती थी |

दिन भर की कड़ी मेहनत-

वरुण सर का भी दिन का टाइम ऐसा था की सुबह से दोपहर तक collage फिर 2 बजे से रात तक कोचिंग क्लास दे कर बच्चो को पढ़ाते और रात में 10 बजे आ कर दुकान का काम देखते और फिर 1-2 घंटा पढ़ कर रात के 12-1 बजे सो जाते और अगली सुबह वोही सब हररोज की दिनचर्या |

12वी के बाद की इंजीनियरिंग-

माँ बहन और कुछ अपने पैसे से MIT से इंजीनियरिंग में दाखिला ले लिया | इंजीनियरिंग की पहली साल का बजट 1 लाख रूपए हुआ जो जैसे तैसे 1st year complete हो गयी | और फिर वोही चीज वरुण सर ने कहा की अगली year की फीस नहीं भरनी है |

जब इंजीनियरिंग में प्रवेश किया तो लोगो ने डराना शुरू कर दिया | की इंजीनियरिंग में हर किसी की सब्जेक्ट में back लगती ही है जिसकी back न लगे तो क्या इंजीनियरिंग की | टॉप करने वाले लोग अलग ही दुनिया के होते है तो वरुण सर थोडा सा सहम से गये | पर उनने अपने आप से कहा की मुझे बस पढना है |

कहते हेना रोटी की कीमित उस इन्सान को ही होती है जो भूखा हो | तो बस वरुण सर ने खुद ही अपनी पढाई शुरू कर दी | और 1st year में वरुण सर के 86% आये और कॉलेज टॉप किया |

कॉलेज टॉप करने के बाद वरुण सर सब टीचर की नजरो में आ गये | उनके कॉलेज में मैथमेटिक डिपार्टमेंट में एक टीचर थी माधुरी लता नाम की जिन्होंने मुझे बुलाया | जिनसे वरुण सर ने अपने घर की सभी परिस्थितियों के बारे में बताया | शयद उनकी आखे नम हो गयी थी उस वक़्त |

उन्होंने कॉलेज के सभी टीचर , डायरेक्टर के पास इनके घर की परिस्थितियों की बाते पहुचना शुरू हो गयी | जो पहुचते पहुचते बात में पूरी एक साल, यानि 2nd year लग गये |

वरुण सर की 2nd year की फीस उनके एक दोस्त के माता-पिता ने भरी | और वाकी की साल में स्कोलरशिप मिल गयी | और इंजीनियरिंग जैसे तेसे पूरी हो गयी |

कड़ी मेहनत लाई रंग-

इंजीनियरिंग पूरी होने के बाद प्लेसमेंट भी अच्छा हो गया | वरुण सर को कॉरपोरेट सेक्टर में जॉब मिली पहले , फिर उन्होंने कहा की हमे टेक्निकल फिल्ड में ही काम करना है | तो किसी दोस्त ने बोला की तू टेक्निकल में बहुत अच्छा है तो तू IES (Indian engineering services) की तैयारी क्यों नहीं करता |

फिर वरुण सर ने IES की तैयारी 3 महीने तक करी | और फिर एक बार उनसे किसी फ्रेंड ने बोला की तू IAS (Indian Administrative service) की तैयारी क्यों नहीं करता | और इनने फिर अपने आप से बोला की चलो यह भी कर लेते है |

वरुण सर ने जनवरी 2013 में पूरी तरह से विचार किया की उन्हें सिविल सर्विसेज में ही जाना है |

विचार करने के बाद वरुण सर बहुत कंफ्यूज रहे की उन्हें किस विषय को चुन कर अपनी तैयारी शुरू करनी है और बहुत सोच कर उन्होंने Pole Science (धुर्वीय विज्ञान) को सेलेक्ट किया और अपनी तैयारी शुरू कर दी | और महज चार महीने में वरुण सर ने यूपीएससी  2013 में 32 रेंक हासिल की |

जब यूपीएससी का रिजल्ट आया तो उन्होंने खुद रिजल्ट नहीं देखा उनके एक भईया थे जिन्हें वो चंमय भईया के नाम से पुकारते |  वरुण सर ने चंमय भईया को फोन किया और पूछा भईया आपने रिजल्ट देखा | चंमय भईया ने भरी हुई आवाज में बोला congratulation 32 रेंक आई है |

यह congratulation शब्द मनो उनकी life का सबसे खुबसूरत शब्द बन गया | यह शब्द सुनकर वरुण सर की आखे नम हो गयी | वरुण सर अभी वर्तमान में Assistant collector के पद पर कार्यरत है |

हमने इस article से क्या सिखा-

हमने इस article के माध्यम से बताने की कोसिस की है हम सब को मिल रही सुविधा की कदर नहीं है और मेहनत करने से कतराते है | जरा अपनी नजरे घुमा कर देखिये जो सुविधा हमारे पास है उनकी कदर करे और अपने लक्ष्य की और मेहनत करे |

वरुण सर ने कड़ी मेहनत और एक लगन से सिविल सेवा परीक्षा में 32 में रेंक हासिल कर के IAS बन गये | विषम परिस्थितियों को पर कर के वो अपने लक्ष्य की और बढ़ते गये | यहा गोर करने वाली बात यह है की यदि आप दिल से कड़ी मेहनत कर रहे है और तो ईश्वर भी आपके लिए वेसे है द्वार खोलते जायेंगे |

जैसे वरुण सर की उनकी पढाई की लगन देख कर उनके लिए हर बार नये अवसर के द्वार खुलते चले गये | वरुण सर उन लाखो हजारो युवाओ के लिए एक एक प्रेरणा हैं जो चुनौतियों से घबरा कर मेहनत करने से भाग जाते हैं।

आप अपने विचार comment box में दे सकते है | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद | 

परीक्षा न देने पर भी हुए सफल-

परीक्षा न देने पर भी हुए सफल-

हम सभी ने छोटे से लेकर बड़े होने तक सुना है कि मेहनत करते जाओ फल जरुर मिलेगा | और यह मेहनत एक न एक दिन जरुर रंग लाती है | दोस्तों आज हम जिस शक्स की सफलता की कहानी आपको बता रहे है | आप इन शक्स के काम से व इनसे जरुर मोटिवेट होंगे |

यदि आप एक स्टूडेंट है और यदि आप सभी को देश विदेश कि जानकारी रखना पसंद है तो आप इन शक्स के बारे में जरुर जानते होंगे | हम बात कर रहे है बिहार के khan sir के बारे में | जो दिन पर दिन सफलता के एक नये पेरदान पर है |

khan sir बिहार के पटना में अपने Khan GS Research Center के डायरेक्टर व टीचर है | जो की अपने पढ़ाने के स्टाइल से काफी लोकप्रिय है | हम आपको बता दे खान सर अपने पढ़ाने के अंदाज में बिहारी भाषा का use करते है जो कि उनके पढ़ाने के स्टाइल को दिन पर दिन लोकप्रिय बना रहा है |

khan sir पढ़ाते वक़्त किसी भी टॉपिक को बहुत ही सरल व सुलभ भाषा बताते है और मजाकी अंदाज यह देश के सभी स्टूडेंट को बहुत पसंद आता है |

khan sir कि पढ़ाने का स्टाइल इतना famous है कि आप यही से अंदाजा लगा लेंगे कि khan sir ने पिछले साल ही अपना youtube चेंनल बनाया था जो आज की डेट के अनुसार 3.03M Subscribers है जो की बहुत बड़ी बात है | खान सर अपनी बिहारी भाषा जो की बहुत प्यारी भाषा है जिसमें वो हर कठिन से कठिन टॉपिक को बहुत ही सरलता से समझा देते है |

khan sir को लोगो के द्वारा बहुत प्यार मिला है | खान सर को इतना लोगो ने प्यार दिया है कि लोग इन्हें दूसरा अब्दुल कलाम कहकर भी पुकारते है | दोस्तों मेरा इस लेख को लिखने का एक ही मकसद है कि ऐसे होनार टीचर के बारे में देश में लोगो को जानना चाहिये | और इनका अनमोल ज्ञान लेना चाहिये |

जिससे पढाई करने वाले बच्चो का भविष्य बेहतर हो | मेरे मानना है कि हम जितना किसी महान व्यक्ति के बारे में जानेंगे उतना ही हमे उनसे अधिक लघाव होगा |

चलिए दोस्तों इन महान सर के बारे में थोडा बताने का प्रयास करते है |

Khan sir Biography-

Khan sir का जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ था | खान सर के पिता जी आर्मी में कार्यरत थे | जो अब रिटाएर हो गये है | इनकी माँ हाउस वाइफ है व खान सर के बड़े भाई कमांडो है | खान सर का शुरू से मन था कि वो भारतीय सेना में जाकर देश की सेवा करे | खान सर ने भारतीय सेना में जाने के लिये NDA की परीक्षा भी दी थी जिसमे खान सर पास भी हो गये थे परन्तु शाररिक परीक्षा में वो पास नहीं हो पाये जिस कारण वो भारतीय सेना में नहीं जा पाये |

जब खान सर NDA में पास नहीं हुए तो वो बहुत निराश व उदास रहे परन्तु उनके पिता जी व भाई ने उनका साथ दिया व बोला कि यदि तुम्हरा NDA में सिलेक्शन न हुआ तो क्या हुआ | जनता की सेवा करना भी देश सेवा ही है | लोगो की मदद करो व सेवा करो | तब से लेकर आज तक उनका जनसेवा करना ही लक्ष्य है |

खान सर ने इसी जनसेवा के रूप में एक अनाथालय भी खोला है जिसमे वो अनाथ बच्चो की सेवा कर रहे है | खान सर ने आवारा गाय के लिए गोशाला भी खोल रखी है जिसमे वो उनका पूरी तरह से ख्याल रखते है | इसी वजह से में अपने लेख में खान सर को बार बार महान सर कह रहा हूँ |

मेरा मानना है जब कोई माध्यम वर्ग का व्यक्ति ऐसे काम करता है तो वो महान हो ही जाता है | मेरी नजर में खान सर महान है और उम्मीद है आप सब की नजरो व दिल में उन्होंने अपनी जगह बना ली होगी |

खान सर की पढाई-

यदि हम बात करे खान सर कि पढाई के बारे में तो खान सर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गोरखपुर से ही की थी | खान सर का शुरू से ही पढाई में बहुत रूचि रखते थे वो जितना भी पढ़ते उतना ठोस पढ़ते | जब खान सर 9th क्लास में थे तब उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का एंट्रेंसे एग्जाम की तैयारी करने लगे | और जब वो 10th में थे तब वो गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज की तैयारी करने लगे | और जब वो 12th में थे तो वो AIEEE की तैयारी करने लगे |

हम आपको बता दे जिस दिन खान सर का AIEEE का Exam था उस दिन वो सुबह उठ न सके और वो exam देने नही जा सके | क्योकि वो रात भर exam की तैयारी करते रहे | और सुबह नहीं जाग सके | पर कहते हेना जो भी होता है वो अच्छे के लिए होता है |

यदि सोच लेते है कि उस दिन खान सर यदि उठ जाते तो वो exam पास करके एक बड़ी कम्पनी में कार्यरत होते और आज देश के कई बच्चो को ऐसे महान सर का पढ़ा हुआ न मिलता | इसलिए जो होता है वो अच्छे के लिए होता है |  

खान सर ने अपनी ग्रेजुएशन जो की B.Sc (physics व chemistry) अलाहबाद यूनिवर्सिटी से किया | खान सर ग्रेजुएशन करते वक़्त कई बार जेल के भी दर्शन कर चुके है | जब खान सर कॉलेज में थे तब वो स्टूडेंट यूनियन के सदस्य भी थे और स्टूडेंट के हित के लिए वो जेल में भी गए है | ग्रेजुएशन कम्प्लीट होने के बाद खान सर ने पीएचडी भी करी |

अपने बचपन से बने खान सर –

खान सर जब छोटे थे तो वो अक्सर अपने ननिहाल यानि बिहार में आया करते | उनका बहुत समय बिहार में गुजरा है जिसमे उन्होंने अधिकतर लोगो को मजदूरी करते हुए देखा व शिक्षा को अच्छे रूप में देने का फैसला किया | जिस वजह से खान सर ने बिहार के बच्चो के लिए पटना में अपना कोचिंग सेंटर खोला |

जिससे बच्चे सरलता से पढ़ सके व अपनी मंजिल को पा सके | खान सर कम फीस पर अनेक बच्चो को पढाना शुरू कर दिया | और बिहार की शिक्षा को आगे बढ़ाने का प्रयास करते रहे |

पढ़ाने की एक अद्भुत कला-

शुरू में खान सर की कोचिंग में एक से दो कमरे ही थे | पर जब उनका पढ़ाने का स्टाइल इतना लोकप्रिय था तो बच्चो की संख्या में बढ़त होने ही थी | खान सर की कोचिंग में जब बच्चो की संख्या में बढ़त हुई तो उन्होंने अपने कोचिंग सेंटर को एक बड़े से कोल्डस्टोर में कर लिया | खान सर एक बार में 2000 बच्चो को पढ़ाते |

जिन बच्चो को जगह नहीं मिलती वो कई घंटो तक खड़े रहते और जब खान सर ने देखा की उनके स्टूडेंट को इतनी समस्या हो रही है तब उन्होंने डिजिटल तरह से पढाना शुरू कर दिया जिससे न सिर्फ बिहार पटना का ही नहीं वल्कि देश के अन्य राज्य के बच्चे भी खान सर के अद्भुत पढ़ाने की कला के फेन हो गये | खान सर की जितनी भी कमाई youtube से होती है वो अधिकतर पैसा अनाथालय, गोशाला व समाज सेवा में देते है |

हमने आज क्या सिखा-

हम आप सभी से उम्मीद करते है की यह article आपको बहुत पसंद आया होगा | और एक महान इन्सान से आप सभी का परचिय कराने का प्रयास किया | यदि आप स्टूडेंट है तो हम आपसे एक बार जरुर कहेंगे कि एक बार खान सर को पढ़ाते हुए देखिये | आप फेन हो जायंगे |

मेरा मानना है कि ऐसे महान सर की हमारे देश के बच्चे को जरुरत है | खान सर की यह और खास बात है की वो अपने कोचिंग सेंटर में हर festival बड़े धूम धाम से मनाते | चाहे वो किसी भी धर्म का हो उनका मानना है की हम पहले हिन्दुस्तानी थे विभाजन के बाद हमे हिन्दू मुश्लिम बना दिया | में खुद खान सर का बहुत बड़ा फेन हु | और उन्हें और सफल बनाने की दिल से कामना करता हूँ | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |

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