आखिर सफल व्यक्ति करते क्या है ? (what do successful people do ?)

आखिर सफल व्यक्ति करते क्या है ? (what do successful people do ?)

मैं हमेशा से सोचता हूँ | कि आखिर यह सफल व्यक्ति क्या करते होंगे | जो वो दिन पर दिन सफल और अपने काम को और अधिक बेहतर करते जा रहे है | हर दिन नई बुलंदियों को छू रहे है |  

आज हमने थोडा बहुत भी इन सफल व्यक्ति के बारे में थोडा समझने व जानने का प्रयास किया है |  जो हम इस article के माध्यम से आप सभी तक सांझा करते है |

सफल व्यक्ति को जहा तक मैं समझ पाया हूँ | कुछ बाते हमने समझने का प्रयास किया है | जिनको आप सभी के साथ रखते है |

  • ये सफल लोग बहुत ही ज्यादा अपने काम में फोकस रहते है | जो सफल व्यक्ति होते है  | जहा तक समझ पाया हूँ वो यह है कि उनके दिमाग में यह हमेशा चलता रहता है कि उन्हें कब क्या करना है | उनके जो गोल्स होते है वो उनके दिमाग में हमेशा चलते रहते है कि उन्हें क्या करना है |
  • दूसरी बात यह है कि एक सफल व्यक्ति बहुत ही जल्दी एक्शन लेते है यानि बहुत फ़ास्ट decision लेते है | हाल की हाल decision लेते है | वो बहुत अधिक उस वक़्त सोंचते नहीं है | अधिक प्लानिंग नहीं करते है | वो अपनी सारी एनर्जी वहा उस वक़्त प्लानिंग में नहीं लगाते |
  • तीसरी बात यह है की सफल व्यक्ति लोग अपने आप को पॉजिटिव रखते है | वो हर वक़्त पॉजिटिव कैसे रहे क्या करे | इस पर बहुत ज्यादा काम करते है | वो पॉजिटिव लोगो के बीच में यहा उनके साथ टाइम बिताते है | वो मोटीवेट लोगो से जुड़े रहते है वो मोटीवेट article व बुक्स पढ़ते है | वो अपने आप को हमेशा पॉजिटिव व मोटीवेट रखते है |
  •  सफल लोग इस पर और ध्यान देते है कि कब उनका माइंड अच्छे से काम करता है | वो अपने mind व बॉडी को भी समय देते है | क्योकि जब हमारा शरीर ही अच्छा नहीं होगा | हम किसी भी काम पर फोकस नहीं कर सकते |  सफल लोग इस बात पर ध्यान देते है कि वो busy रहने के बाद भी कैसे अपने आप को फिट रखे |

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  •  सफल लोग हमेशा लॉजिकल सोंचने वाली बातो पर ध्यान देते है | हर सफल व्यक्ति लॉजिकल article को पढ़ते है , लॉजिकल विडियो , लॉजिकल बुक्स पढ़ते है | वो हमेशा वो करते है जिससे उनका माइंड और अधिक लॉजिकल हो और अधिक अच्छा हो | मेरा मानना है जितना अच्छा आपका माइंड लॉजिकल होगा उतना ही अच्छा आपका माइंड काम करेगा |
  • यह पॉइंट बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है कि वो लोग किसी भी काम को परफेक्ट बनाने की सोंच से शुरुआत नहीं करते | वो हमेशा छोटी सी चीजो से शुरुआत करते है | व वो लोग कभी भी अपने काम को यह नहीं कहते की यह परफेक्ट है वल्कि वो दिन पर दिन उसे और अधिक अच्छा बनाने में लग जाते है |
  • सफल व्यक्ति हमेशा अपने कम्फर्ट ज़ोन से बहार जाते है | और यह पॉइंट बिल्कुल सच है कि यदि आपको एक सफल व्यक्ति बनना है तो आपको अपने कम्फर्ट ज़ोन से बहार निकलना ही होगा |
  • एक सफल व्यक्ति हमेशा चीजो को बहुत अधिक सिंपल करते है | यदि एक अच्छा स्पीकर है तो वो बहुत ही सिंपल बाते समझाएगा | वो complicate बातो को नहीं कहेगा | वल्कि complicate चीजो को सरल कर के बताएगा | यानि हर सफल व्यक्ति ध्यान देते है कि हर चीज को कैसे लोगो के बीच simple कर के रखे |
  •  सफल लोग छोटी छोटी चीजो को जरुर करते है | यानि वो improvement पर improvement करेंगे | भले ही छोटा काम करे पर अपना खाली समय बर्बाद नहीं करेंगे | कम improvement हो पर वो करेंगे जरुर |
  • यह पॉइंट सबसे जरुरी जो मैंने बहुत ध्यान से विचार किया है और हम ऐसा मानते है हर सफल व्यक्ति अपनी growth को हमेशा ट्रेक करते रहते है | वो कितना आगे पहुचे किन किन कारण व लोगो के साथ वो आगे पहुचे | वो अपनी हर growth की गतिविधियों पर ध्यान देते है | ताकि वो और अधिक सफल कैसे हो | कि उन्हें किस जगह से कितना रिजल्ट मिला और क्या करे जो आगे भी अच्छा रेस्पोंस मिले | वो कुछ समय बाद अपनी growth को ट्रेक जरुर करते है |

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हमने इस article से क्या सीखा-

इस article से वो बाते सांझा कि है जो एक सफल व्यक्ति करते है | जिसकी वजह से वो सफल व्यक्ति कहलाते है  यदि इन सब बातो को आप सभी भी follow करे | तो मुझे उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास है कि आपके अंदर बदलाव जरुर होंगे |

ऐसे ही interested article पढने के लिये bell icon से हमारे पोर्टल से जुड़े रहे | आप सभी का कीमती वक़्त देने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद |  

दुनिया ने बोला तुम से न हो पायेगा….30 साल के इंजीनियर लड़के ने खड़ी कर दी करोड़ो की कम्पनी-

दुनिया ने बोला तुम से न हो पायेगा….30 साल के इंजीनियर लड़के ने खड़ी कर दी करोड़ो की कम्पनी-

आज यह article आपके अंदर बहुत सीख दे कर जायेगा | उत्तर प्रदेश के छोटे शहर का लड़का जिसके स्कूल के टीचर बोला कि तुम जिंदगी में कुछ भी नहीं कर सकते | और इस शब्द की जिद ने ही बना दिया करोड़ो की कम्पनी का मालिक |

आप सभी का एक बार फिर everythingpro.in के success story in hindi में स्वागत है | चलिए शुरू करते है एक और जोश व नई प्रेणना देने वाली मोटीवेट स्टोरी जो आपके लक्ष्य तक पहुचने में मदद करेगी |

परिचय-

आज हम जिन शक्स के बारे में बात कर रहे है वो है आमिर क़ुतुब (Amir Qutub) | आमिर क़ुतुब उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर के रहने वाले है | आमिर क़ुतुब एक बहुत ही साधारण परिवार से है | आमिर क़ुतुब के पिता जी हमेशा से चाहते थे कि उनका बेटा डॉक्टर या इंजीनियर बने | पर आमिर क़ुतुब चाहते थे कि वो कुछ ऐसा बिज़नस करे या काम करे |

जिसमे वो खुश रहे | मुख्य रूप से आमिर क़ुतुब अपना ही कुछ बिज़नस करना चाहते थे | पर क्या करना था ? कैसे करना था ? इसकी उन्हें कोई भी समझ नहीं थी | आमिर क़ुतुब के पिता जी अक्सर उनसे कहा करते कि इन सब के चक्कर में न पड़ो आगे अपनी पढाई करो और एक अच्छी सी जॉब करने की सोंचो |

यह सब बिज़नस पैसे वालो के ही काम है | हमारे बस का काम नहीं है | पर कही न कही आमिर क़ुतुब इन शब्दों से संतुष्ट नहीं थे | 

इंजीनियरिंग की दस्तक-

पापा की उस वक़्त बात मानते हुए | आमिर क़ुतुब ने इंजीनियरिंग में दाखिला ले लिया | और न चाहते हुए उन्हें इंजीनियरिंग में मैकेनिकल इंजीनियरिंग मिल गयी | पर उन्होंने सोंचा कि चलो हम इसमें ही कुछ नया सीखने को मिलेगा | नई गाड़िया बगेरा बनाने को मिलेगा | पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ |

यहा भी वही हुआ जो 12वी तक हुआ करता, वोही फार्मूला, वोही कंसेप्ट, वोही एग्जाम सब वोही सब पर कुछ नया सीखने को नहीं | ऐसा कुछ भी नहीं जो हम अपनी आने वाली जिंदगी में प्रेक्टिकली कर के देखे | और इस तरह आमिर क़ुतुब का पढाई से मन हटने लगा |

इस वजह से आमिर क़ुतुब के अंक कम आने लगे | एक बार तो एक टीचर ने भरी क्लास में आमिर क़ुतुब से बोला कि तुम लिख के लेलो, तुम अपनी जिंदगी में कुछ भी नहीं कर सकते | और यह बात आमिर क़ुतुब के दिल को बहुत लगी | और वो अंदर ही अंदर टूटने लगे |

उन्हें लगने लगा कि वो वाकई अपनी जिंदगी में कुछ भी नहीं कर सकते | वो क्लास बंक करने लगे पढाई से उनका बिल्कुल मन हट गया |

कॉलेज के प्रोग्राम से आया वापिस आया विश्वास-

इंजीनियरिंग कॉलेज में हर कुछ महीने में कोई न कोई प्रोग्राम या फेस्टिवल होते रहते है | आमिर क़ुतुब के कॉलेज में भी एक दिन टेक फेस्टिवल आयोजित हुआ | जिसमे आमिर क़ुतुब ने 2nd ईनाम जीता | और जब वो अपना ईनाम लेने गये तो उन्ही टीचर ने दिया जिन्होंने बोला था कि तुम लिख के लेलो, तुम अपनी जिंदगी में कुछ भी नहीं कर सकते |

उसी वक़्त आमिर क़ुतुब ने अपने आप से बोला भले ही में पढाई में कमजोर हूँ | पर में अपनी जिंदगी में कुछ तो कर सकता हूँ | जो आज में 2nd पोजीशन पर आया हूँ | इस तरह आमिर क़ुतुब का एक बार फिर कुछ नया करने के लिए प्रेरित हुए |

रुख मोड़ा कंप्यूटर इंजीनियरिंग की तरफ-

टेक फेस्टिवल में अच्छी परफोर्मेंस के बाद आमिर क़ुतुब के अंदर एक विचार आता है कि वो अपने कॉलेज के लिए कुछ ऐसा बनाये जिससे उनके कॉलेज के बच्चे आपस में जुड़ सके | और अपने आईडिया share कर सके | आमिर क़ुतुब ने अपने दोस्तों से अपनी बाते सांझा की | पर उनके दोस्तों ने बोला कि तुम हो मैकेनिकल इंजीनियरिंग के और तुम्हे कंप्यूटर के बारे में कुछ पता नहीं है और तुम app बनाने की बात कर रहे हो |

आमिर क़ुतुब ने अपने दोस्तों की बातो को इग्नोर किया और 6 महीने कंप्यूटर कोडिंग सीखी | और कुछ महीने में ही अपने ही स्कूल के लिए एक apps बना दी | जिसमे कुछ ही महीने में उनके कॉलेज से 2 हज़ार बच्चे जुड़ गये | जिससे उन्हें एक नया विश्वास मिला | टीचर को सब कुछ नहीं पता है | कुछ तो है जो में अपनी जिंदगी में कर सकता हूँ |

इंजीनियरिंग के बाद जॉब के द्वार पर दस्तक देना-

हर इंजीनियरिंग स्टूडेंट अपनी इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद दिल्ली या नॉएडा की तरफ भागते है | और ऐसा ही हुआ आमिर क़ुतुब के साथ वो भी आ गये | उत्तर प्रदेश के नॉएडा शहर में और कई जगह जॉब के लिए apply करने लगे |

मैकेनिकल इंजीनियरिंग होने के कारण उन्हें हौंडा कम्पनी में जॉब मिली | पर वहा कुछ ही महीने के बाद उन्हें ऐसास हुआ कि जैसे वो एक जेल में बंद हो | और उन्होंने वहा से जॉब छोड़ दी और निकल गये अपने सपनो की ओर |

जॉब छोड़ने के बाद समस्या यह थी कि वो क्या करे | क्योकि उनके पास पैसे नहीं थे | अपना बिज़नस करने के लिये | पैसे कमाने के लिए वो freelancer कम्पनी का उपयोग करने लगे | जिसमे वो लोगो के बिज़नस प्रॉब्लम को , अपनी app के रूप में solve करके देने लगे |

freelancer के वजह से उनके भारत के बहार ऑस्ट्रेलिया में लोगो से सम्पर्क होने लगे | और उसी में से एक ने सुझाव दिया कि आप ऑस्ट्रेलिया ही आये | और यहा अपना बिज़नस करे | और यह आईडिया आमिर क़ुतुब को पसंद आ गया | और उन्होंने स्टूडेंट visa बनवा कर, MBA करने के लिये और अपना बिज़नस शुरू करने के लिये ऑस्ट्रेलिया पहुच गये |

मुश्किल समय-

ऑस्ट्रेलिया पहुचने के बाद उनके सामने बहुत समस्या आयी | उन्होंने सोंचा की ऑस्ट्रेलिया आकर उनकी मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री काम आयेगी | पर ऐसा नहीं हुआ उन्होंने लगातार 170 जॉब के लिए apply किया | पर हर जगह से निराशा हाथ लगी |

उस वक़्त उन्हें लगा जैसे उन्होंने अपने पैरो पर कुल्हाड़ी मार दी हो | जब कही भी जॉब नहीं मिली तो उन्होंने एअरपोर्ट पर कचरा व झाड़ू लगाने का काम मिला | जिससे वो वहा रह और खा सके | पर इतना सब उनके लिये काफी नहीं था क्योकि उन्हें अपना बिज़नस के लिए पैसे कमाने थे | दिन में एअरपोर्ट में कचरा उठाने और झाड़ू लगाने का काम और रात में न्यूज़ पेपर लोगो के घर में फेकने का काम |

यह सब उन्होंने 1 से 1.5 साल तक किया और इसमें उन्होंने 4000$ पैसे जमा कर के, अपना बिज़नस शुरू किया जिसमे वो लोगो के बिज़नस की समस्या अपनी app बना कर solve करते | कई महीने तक घुमने पर उन्हें ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं मिला जो उनके साथ काम करना चाहे |

आमिर क़ुतुब ट्रेन, बस, मॉल, आदि जगह जाते और अपने बिज़नस के बारे में लोगो को बताते | पर कई महीने मेहनत करने के बाद एक बार बस में ऐसा व्यक्ति मिला जिसकी बिज़नस की समस्या  आमिर क़ुतुब ने दूर कर दी | और इसके बाद उस व्यक्ति को हर महीने 2000$ से 3000$ (भारतीय रूपए लघभग 2 लाख 20 हज़ार ) का प्रॉफिट होने लगा | और आमिर क़ुतुब को मंजिल मिल गयी | और साथ में बिज़नस करने लगे |

धीरे धीरे वो अन्य लोगो के साथ बिज़नस करने लगे | और आज उन्होंने अपनी खुद की कम्पनी खोल दी |जो की ऑस्ट्रेलिया में है | जिसका सालाना टर्नओवर करोड़ो में है | यह वाकई मेहनत और लगन का ही फल है |

हमने आज इस article से क्या सीखा-

हमने आज इस article के माध्यम से आप सभी को समझने का प्रयास किया है कि जिंदगी में मेहनत के बाद ही सफलता है | मेहनत करते जाईये सफलता आपका इंतजार कर रही है |

उम्मीद करते है यह article आपको नई प्रेणना देगा और आपके लक्ष्य तक पहुचने में मदद करेगा | अपने मित्र व परिवार तक जरुर share करे | ऐसे ही interested व मोटीवेट article के लिए हमारी website से जुड़े रहे | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |

एक फेलियर बार बार फ़ैल होने के बाद भी डिप्टी कलेक्टर तक बनने का सफर-

rahul sinha

एक फेलियर बार बार फ़ैल होने के बाद भी डिप्टी कलेक्टर तक बनने का सफर-

एक बच्चा जो पढाई में बहुत कमजोर हो | जो बार बार छोटी से छोटी परीक्षा में बार बार फ़ैल हो जाये | और दुनिया उस पर एक फेलियर का टेग लगा दे | पढाई में कमजोर होने के बाद भी , दुनिया की नजरो में फेलियर का टेग लिये हुए इन्सान ने कैसे अपनी कमजोरी के साथ एक डिप्टी कलेक्टर तक बनने का सफर तय किया |

हर उस व्यक्ति के लिये यह काहनी प्रेणना देने वाली है | जो बार बार असफल होने पर टूट जाते है | और टूट कर वापिस खड़ा हो जाना ही जिंदगी है | आप सभी का एक बार फिर everythingpro.in के success story in hindi में स्वागत है |

आज एक फेलियर जो अपनी जिंदगी में बार बार फ़ैल होने के बाद भी डिप्टी कलेक्टर का सफर तय किया | चलिए शुरू करते है-

एक ऐसे लड़के की कहानी जो स्कूल से लेकर कॉलेज में हर जगह फ़ैल हुआ और कई बार हुआ | उसके बाद भी अपने कलेक्टर बनने का सपना नहीं छोड़ा | हम बात कर रहे है एक कायस्थ परिवार के राहुल सिन्हा के बारे में जो अपनी जिंदगी के लघभग हर मुख्य सफर पर फ़ैल हुए | उसके बाद भी उन्होंने अपनी मंजिल प्राप्त की |

एक शब्द जो मुकाम पर ले गया-

राहुल सिन्हा की कहानी शुरू होती है उनके बचपन से, बात ऐसी है कि राहुल बचपन से ही कुछ आलसी थे जो अक्सर वो अपना काम किसी और से करवाते थे | तब उनके घर वाले उनसे बोलते थे कि बड़ा लाटसाहब बन रहा है |

राहुल के दिमाग में यह बात बैठ गयी की यह लाटसाहब का मतलब क्या होता है ? राहुल जैसे जैसे बड़े हुए तो उन्हें पता लगा कि लाटसाहब कलेक्टर को बोला जाता है यह एक बहुत बड़ी post होती है | जिस पद तक पहुचने के लिए बहुत मेहनत की जाती है | उस वक़्त ही राहुल के दिमाग में यह बात आ गयी | राहुल का सपना हो गया कि उन्हें बस कलेक्टर बनना है |

असलियत में पढाई में बहुत कमजोर छात्र-

राहुल सिन्हा  असलियत जिंदगी में बहुत ही कमजोर विधार्थी थे | राहुल बताते है कि वो इतने कमजोर छात्र थे कि उनकी क्लास में 30 छात्र में से वो पढाई में 30 वे ही नंबर पर थे | राहुल के पिता जी बैंक में थे तो जब उनका ट्रान्सफर किसी अन्य शहर में हुआ |

तो राहुल को एक अन्य स्कूल में दाखिला के लिए | राहुल को उस छोटे से स्कूल का एक टेस्ट पास करना होना था | और राहुल उस छोटे से टेस्ट को भी पास नहीं कर सके | यह हालत थी राहुल की पढाई की |

जिन्दगी के इमतांह-

राहुल सिन्हा जैसे तैसे 10 वी में आये | तो उनके 10वी का जिस दिन रिजल्ट आया | उस दिन उनके घर का माहोल न खुसी का था और न ही गम का | क्योकि राहुल के 10वी में 52% आये | और जब उनके पिता जी किसी को लडखडाते हुए अपने बच्चे का रिजल्ट बताते | तो वो मायूसी राहुल ने महसूस कर ली थी | कुछ ऐसे ही कम प्रतिशत अंको के साथ 12वी हुई |

मन था इंजीनियरिंग करने का –

12वी के बाद राहुल के दोस्त सभी इंजीनियरिंग करने जा रहे थे | राहुल का भी मन हुआ कि वो एक इंजिनियर बने | और इंजीनियरिंग में दाखिला के लिए वो तैयारी करने कोटा चले गये | और एक साल कोटा में इंजीनियरिंग में दाखिला के लिए पढाई की |

असफलता की शुरुआत-

राहुल ने एक साल कोटा में पढाई करने के बाद इंजीनियरिंग में AIEEE में एग्जाम देना शुरू कर दिया | और पहली बार में उन्हें असफलता हाथ लगी | राहुल ने अपने पिता जी से बोला कि में एक बार और देना चाहता हूँ | राहुल ने फिर अगली साल एग्जाम दिया | और राहुल का इस बार फिर नहीं हुआ |

दुनिया ने राहुल पर प्रश्न करना शुरू कर दिये थे कि दो साल कोटा में रहने के बाद भी एक एग्जाम पास नहीं कर पा रहा है | राहुल ने बड़ी हिम्मत से एक बार फिर अपने पापा से इजाजत मांगी कि एक बार मुझे और कोशिश करने दे इस बार 100% हो जायेगा |

राहुल ने फिर एग्जाम दिया और इस बार भी उनका नहीं हुआ | और आखरी में उन्हें एक प्राइवेट कॉलेज से ही अपनी इंजीनियरिंग करनी पड़ी | इंजीनियरिंग धीरे धीरे शुरू हो गयी | और फाइनल ईयर में राहुल अधिकतर कम्पनी में इसलिए नहीं बैठ सके क्योकि उनके 10वी और 12वी में बहुत कम अंक थे | और जिस प्लेसमेंट कम्पनी में राहुल बैठे उसमे भी उन्हें सफलता का स्वाद नहीं मिला |

उसके बाद राहुल पर कोई option नहीं था उन्होंने सोंचा कि वो CATE (Computer Aided Test Engineering) की तैयारी करते है | और आखिर में 2 बार प्रयास करने के बाद भी उन्हें फिर असफलता हाथ लगी |

कुछ बढ़ते कदम-

राहुल का CATE में भी सफलता नहीं मिलने पर | उन्होंने फिर छोटी जॉब करना शुरू कर दिया | और साथ में ही पढाई | प्राइवेट कम्पनी में जॉब करने के बाद, शादी हो जाने के बाद राहुल कि जिंदगी धीरे धीरे चलने लगी | पर इन सब के बीच उन्हें ध्यान आया कि उन्होंने जो बचपन में अपने दिमाग में बीज बोया था |

वो अब धीरे धीरे बड़ा होने लगा था | उसके बाद यूपीएससी एग्जाम देने का विचार किया | राहुल ने हर साल यूपीएससी का एग्जाम का फॉर्म भरा पर डर के मारे वो एग्जाम देने नहीं गये | जब यूपीएससी का लास्ट चांस बचा था तब उन्होंने सोंचा कि इस बार में जरुर जाऊंगा | और कड़ी मेहनत की और एग्जाम दिया |

एग्जाम का रिजल्ट आने पर उन्हें फिर से वोही असफलता हाथ लगी | जो उनके बचपन से उन्हें लग रही थी | राहुल ने सोंचा की इस जन्म में शयद वो अपने कलेक्टर बनने का सपना पूरा नहीं कर पयेंगे | इसी बीच DPSC State Public Service Commission के फॉर्म आये जिससे उन्हें पता लगा कि इस एग्जाम को पास करने के बाद भी डिप्टी -कलेक्टर बना जा सकता है |

इस एग्जाम के लिए भी राहुल पर आखिरी मोका था इसके बाद वो किसी भी गवर्नमेंट जॉब के लिये प्रयास नहीं कर सकते थे | राहुल ने अपने आप से बोल दिया कि इसी जन्म में दुनिया के बीच फेलियर का टेग है वो खत्म करना है | राहुल ने दिन रात एक कर दी और आखरी प्रयास किया |

आखरी प्रयास में जिंदगी के हर मोड़ पर असफलता से परिचय होते होते उन्हें आखिरी में सफलता ही मिली | राहुल ने एग्जाम पास किया और महज 92 रेंक ला कर अपने फेलियर का टेग हटा दिया | और आज वो डिप्टी कलेक्टर के पद पर कार्यरत है | राहुल सिन्हा की कहानी नये युवा के लिए एक प्रेणना है |

हमने इस article से क्या सीखा-                  

हमने आप सभी को इस article के माध्यम से बताने का प्रयास किया है कि जिंदगी में असंभव कुछ भी नहीं है | हर असफलता के बाद एक प्रयास जरुर करे | क्या पता वो प्रयास आपका आखिरी प्रयास हो |

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पोलियो बॉडी में है मन में नहीं और अपनी ज़िद से बन गयी एक CA और IRS अफ़सर-

पोलियो बॉडी में है मन में नहीं और अपनी ज़िद से बन गयी एक CA और IRS अफ़सर-

यह मोटीवेट स्टोरी उन शक्स के लिए है जो भगवान के दिये हुए शरीर को, अपने लक्ष्य की ओर न बढ़ने के लिये अपने शरीर को समस्या मानते है | भगवान यदि एक चीज हमसे लेता है तो बदले में कई चीज दे देता है जो औरो से बहतर हो | आज हम बात करने जा रहे है एक ऐसी लड़की जिसको बचपन से ही पोलियो हो गया |

जिनके शरीर ने उन्हें और लोगो से असामन्य रखा | समाज और दुनिया का एक नजरिया कि यह कुछ भी नहीं कर सकती | कड़ी मेहनत, लगन और विश्वास से समाज और दुनिया को बताया की पोलियो शरीर में है पर मन में नहीं | आप सभी का एक बार फिर everythingpro.in के success story in hindi में स्वागत है |

हमारे हर article लिखने का एक ही मकसद है कि हम अपने शब्दों द्वारा आप सभी के लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित करा सके | चलिए शुरू करते है एक और दिलो में जोश व प्रेणना भर देने वाली मोटीवेट स्टोरी |

बचपन में ही आ गये कष्ट-

हम जिस लड़की के बारे में बात कर रहे है उनका नाम है सारिका जैन (sarika jain)| सारिका का जन्म उडीसा के एक छोटे से कस्बा कातामंजी में हुआ | बचपन में ही महज 2 वर्ष में ऐसी बीमारी हुई जहा माँ-पिता को भी न थी यह जानकारी की यह पोलियो क्या होता है |

माँ-पिता डॉक्टर के पास ले गये | डॉक्टर ने कहा मरेलिया है | और डॉक्टर ने इंजेक्शन दे दिया | जिस कारण से सारिका का 50% शरीर काम करना बंद कर गया |

माँ बाप ने न मानी हार-

50% शरीर काम न करना | हम कल्पना भी नही कर सकते कितना कष्ट देने वाला समय होगा | माँ पिता ने हर हकीम , हर डॉक्टर के पास चक्कर लगा लिये | माँ ने हार न मानी और दिन रात मालिश की और सालो बाद सारिका गिरते हुए , लड़खड़ाते हुए और 4 साल की उम्र में चलना सीखी |

माँ पिता ने कभी भी ऐसास नहीं होने दिया कि वो एक असामन्य लड़की है |  धीरे धीरे समय बिता | और आगे जिंदगी बढती चलो गयी |

दुनिया को किया अनदेखा-

माँ पिता ने स्थनीय स्कूल में ही दाखिला दिलवा दिया जो बहुत अधिक संघर्षपूर्ण था | स्कूल जाती तो बच्चे चिड़ाते , मजाक उड़ाते, रास्ते में कंकर मारते बहुत ही संघर्षपूर्ण वो सफर था | सारिका ने उस वक़्त अपने आप से बोला की यदि आज मैंने इस दुनिया को देख लिया , या अपने आप को रोक रिया तो में आगे नही बढ़ पाऊँगी | और दुनिया को अनदेखा कर, करी अपनी बचपन की पढाई पूरी |

डॉक्टर बनने की थी इच्छा-

सारिका का छोटे से ही मन था कि वो एक डॉक्टर बन सके ताकि वो जिस बीमारी से लड़ रही है | इस तरह से और कोई बच्चा न लड़े | पिता जी से बोला कि में डॉक्टर बनना चाहती हूँ | पिता ने बड़े निराश मन से बोला कि हमारी हेसियत नहीं है कि में तुम्हे डॉक्टर बनाऊ | घर की परिस्थति को देख कर सारिका ने कोमर्स ले लिया |

एक हर पिता का सदेव येही इच्छा रहती है कि उनकी बिटिया पढ़ लिख जाये और एक अच्छे घर में शादी हो जाये | पर यहा सारिका के साथ बहुत समस्या थी क्योकि यहा उन्हें शादी का दूर दूर तक कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था |

दुनिया और समाज का नजरिया था कि घर  पर ही अपना जीवन बिताना है | पर सारिका के अंदर एक जुनून एक विश्वास था कि इस समाज का वो नजरिया बदल सके | और आखिरी में उन्होंने बस अपने आप से बोला की उन्हें बस पढना है |

बड़ी बहन ने अक्सर सारिका को प्रेरित किया | कि यह समय बदल जायेगा | सारिका 4 साल घर पर रहने के बाद उन्हें एक अवसर मिला कि वो CA (Chartered Accountant) का एग्जाम दे सकती है | और CA की पढाई घर से ही शुरू कर दी | उनके गाँव से लघ लघभग 40 बच्चो ने एग्जाम दिया |

सारिका की मेहनत ने CA का एग्जाम top किया | वहा से माँ पिता के अंदर हिम्मत आई कि यह बच्ची कुछ कर सकती है | और आगे पढने का मोका देना चाहिए | सारिका आगे पढने के लिए शहर चली गयी | और CA बन गयी | घर में ख़ुशी का माहोल हो गया |

क्योकि सारिका के घर में किसी ने भी इतनी अधिक पढाई नहीं की थी | और उस लड़की ने कर दिखया जो समाज की नजरो में एक असमान्य लड़की थी |

ट्रेन ने दी यूपीएससी की जानकारी-

शहर से घर, घर से शहर अक्सर वो ट्रेन से जाया करती | एक बार ऐसा हुआ कि वो अपने घर से शहर जा रही थी | और किसी के मुंह से यूपीएससी की पॉवर को जाना | कि आईएएस अफ़सर नाम की भी कोई चीज होती है | सारिका ने उन लोगो से हिम्मत जुटा कर पूछा कि क्या करना होता है IAS बनने के लिये |

लोगो के जबाब आये कुछ नहीं बेटा बस पढना पढता है | और उस वक़्त लोगो की बाते सुन सुन कर | सारिका के मन में दिल और दिमाग पर आ गयी | कि उन्हें बस यूपीएससी का एग्जाम देना है | सारिका CA बन कर घर आई और बोला की उन्हें IAS अफसर बनाना है |

तो घर में सभी ने कहा कि लड़की को भूत चड़ गया है | केसी बहकी बहकी बाते कर रही है | पिता ने बोला हमारी जेसी फैमिली के बच्चे आईएएस नहीं बनते है | हम बहुत साधारण लोग है | ऑफिसर श्रेणी के बच्चे अलग ही परिवार के होते है |

लगन व मेहनत से जीता सभी का दिल-

घर में विवाद होने के बाद | सभी घर वालो ने फैसला किया कि जब सारिका चाहती है तो 1 साल का समय दे देते है | और आखिर में घर वाले राजी हो गये | और सारिका ने घर से ही पढाई शुरू कर दी | जब सारिका की घर की पढाई देख कर घर वालो ने सोंचा यह मेहनत इतना कर रही है |

एक बार फिर बहार भेज देते है | और सारिका अपने ही बल पर दिल्ली पढने आ गयी | और महज एक साल में ही यूपीएससी का एग्जाम पास कर दिया | और सारिका से सारिका जैन डिप्टी कमिश्नर आयकर विभाग में कार्यरत हुई |

हमने आज इस article से क्या सीखा-

हमने इस article के माध्यम से बताने की कोशिश की है कि हम जिस रूप में भी है जिस तरह से भगवान ने हमे बनाया है वो हमारे लक्ष्य तक पहुचने के लिये काफी है | हमे अपने अंदर का हुनर को जानना है और बस अपने लक्ष्य की और बढ़ना है | आप अपना काम करिये और परमात्मा अपना काम करेंगे | और एक दिन सफलता अवश्य मिलेगी |

उम्मीद करते है हम की यह मोटीवेट सारिका जैन की कहानी आपको आपके लक्ष्य तक पहुचाने में मदद करेगी | ऐसे ही interested व मोटीवेट article पढने के लिए हमारी website से जुड़े रहे | व अपने मित्रो व परिवार तक इस मोटीवेट कहानी को जरुर शेयर करे | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |

प्रेमिका से बोला कि तुम हाँ कर दो ….बदल दूंगा दुनिया …प्रेमिका के एक हाँ ने बना दिया आईपीएस अफ़सर –

यह article आपको पढने में बहुत मज़ा आने वाला है | और इस article को पढ़ते-पढ़ते आपको ऐसा ऐसास होगा की जैसे आप एक मसाले दार फिल्म देख रहे है | हम आपसे पूरे विश्वास से कहते है | इस article के शब्द पढकर आपके मन में एक दृश्य सा बनने लगेगा | मानो जैसे यह फिल्म चल रही हो |

यह कहानी आपको बहुत अधिक प्रेरित करेगी व सोचने पर मजबूर करेगी | जब एक लड़का 9th 3rd डिवीज़न, 10वी 3rd डिवीज़न, 11वी 3rd डिवीज़न और तीनो क्लास नकल से पास हो कर और 12th फ़ैल क्लास वाला एक लड़का | आईपीएस अफ़सर बन सकता है |

तो इस दुनिया में मेहनत से  सब कुछ संभव है | हम आपको पूरी कोशिश करते है कि हम अपने लेख द्वारा आपको यह कहानी एक दृश्य के रूप में प्रस्तुत कर सके | आप सभी का एक बार फिर everythingpro.in के success story in hindi में आपका स्वागत है |

आज जिस शख्स की हम बात कर रहे है उनका नाम है डॉ. मनोज कुमार शर्मा | चलिए डॉ शब्द बाद में लगाते है | पहले सिर्फ एक मामूली लड़का मनोज से शुरू करते है |

नोट- इस article के लिखने का सिर्फ एक ही मकसद है कि इस कहानी से नयी पीढ़ी प्रेरित हो | हमारी ऐसी मंशा बिल्कुल भी नहीं है कि हम इस कहानी के बल पर किसी देश, राज्य, शहर, स्कूल व शिक्षा पर संदेह करे व गलत धारणा रखे | इस वजह से मनोज जी किस जगह से है यह हम आपको नहीं बता सकते | पर कहानी का मुख्य मकसद है प्रेणना देना | इस कहानी के सभी शब्द खुद एक इंटरव्यूह में मनोज जी के द्वारा कहे गये है | जो हर किसी को प्रेरित करेगी |

शुरुआती शिक्षा-

कहानी की शुरुआत होती है चंबल के पास एक छोटे से जिले से | बेहद गरीब परिवार में जन्मे मनोज की शुरुआती शिक्षा उनके जिले से ही हुई | मनोज चुकी पढाई में कमजोर थे | उनका पढाई में मन बिल्कुल भी नहीं लगता था | यह मन न लगने के बहुत कारण हो सकते है , माहोल न होना या फिर गरीबी या कोई और कारण |

मस्ती के वो पल-

मनोज पढाई में अच्छे न होने के कारण मनोज ने एक ऐसी जगह से दाखिला लिया जहा नकल की पूरी सुविधा हो | मनोज जैसे तैसे 9वी ,10वी और 11वी पास की, वो भी 3rd डिवीज़न | वो भी नकल के भरोसे |

 मनोज व उनके मित्र की पूरी तैयारी थी कि वो इस बार 12वी में वो थोडा अच्छे से नकल करेंगे | जिससे वो 12वी में थोड़े अच्छे अंक ला सके | मनोज बताते है कि उनके मित्रो की संख्या 10 थी | जिसमे उनके मित्र ऐसे थे कि जब ब्लैक बोर्ड पर लिखने के वाबजूद वो लिख नहीं पाते थे |

जिस करण हर बार परीक्षा में उनकी 3rd डिवीज़न के अंक आते | पर वो इससे भी संतुष्ट थे | क्योकि उनका कहना था कि 12वी के बाद , टाइपिंग सीख कर कही चिपक जायेंगे | जिससे उनका जीवन यापन हो सके |

नयी जानकारी-

बदकिस्मत से शहर के नये SDM साहब बहुत सक्त थे जिनके आदेश पर नकल की सारी सुविधा बंद हो गयी | और खास तोर पर मनोज का स्कूल निशाने पर था | परीक्षा के दिन हुआ यह कि अचानक से SDM साहब का आना हुआ | और पूरा स्कूल, प्रिंसिपल , शहर के थाना दार उनके सामने हाथ जोड़ रहे और उनसे बोल रहे है कि नकल करने दो | पर उन्होंने एक नही सुनी |

यह सब पूरा दृश्य मनोज अपने मित्रो के साथ देख रहे थे | और उन्होंने अपने मित्र से पूछा कि इतना पावरफुल आदमी कोन है जिसके सामने सब हाथ पैर जोड़ रहे है | हुआ कुछ ऐसा कि नकल न होने के कारण मनोज 12वी में फ़ैल हो गये | उस दिन उन्हें जानकारी मिली की एक एग्जाम होता है और इस एग्जाम को पास करने के बाद इतना पावरफुल आदमी बन जाता है |

ऑटो रिक्शा ले गया मंजिल की ओर-

12वी में फ़ैल हो जाने के बाद , वो पैसे कमाने के लिए अपने भाई के साथ ऑटो रिक्शा चलाने लगे | एक दिन पुलिस वाले ने उनका ऑटो-रिक्शा पकड़ लिया है | उस ऑटो रिक्शा को छुड़ाने के लिए मनोज व उनके भाई SDM के पास जाते है कि उनका ऑटो रिक्शा छुट जाये |

जब मनोज SDM साहब के पास जाते है तो वोही सब उनके दिमाग में उनकी पॉवर देख कर वो भूल जाते है कि वो ऑटो रिक्शा को छुडवाने आये है | और वो सीधे SDM साहब से कहते है कि- साहब आप कैसे बने ? SDM ने बोला कि बहुत सरल है | बस थोडा सा पढना पड़ता है | और यह बात मनोज के दिमाग में बेठ गयी |

कि बस अब जिन्दगी में कुछ करना है तो बस ऐसे ही जीना है | हालाकि वो यह बात उन्हें बता भी नहीं पाए कि वो 12th फ़ैल हो गये है |

मनोज के दिमाग में बेठ गयी थी वो शान-शोकत , वो इज्जत , वो रुतवा सभी चीजे उनके दिमाग में बेठ गयी थी | या कहू उन्होंने अपने दिमाग में यह बीज बो दिया था |

सपनो ने मजबूर किया मेहनत करने को –

मनोज पढाई के लिए अपने शहर को छोडकर, सिर्फ 500 रुपय और एक थेला ले कर , ग्वालियर पढने आ गये | मनोज के पास शुरू के कुछ दिन रहने के लिये जगह भी न थी | तो वो मन्दिर के बहार जहा भिखारी सोते वहा अपनी राते बिता दिया करते | कभी कभी ऐसा होता कि वो भूखे पेट भी सो जाया करते |

पेट भरने के लिये | उन्हें एक पुस्तकालय में चपरासी की नोकरी मिल गयी | जिसमे वो झाड़ू साफ सफाई करते | वहा से उन्हें 2 चीजो में फ़ायदा मिलता है एक उनके पास कुछ पैसे आ जाना शुरू हो जाते |

दूसरा वो वहा की महान लोगो की किताबे पढ़ा करते | ऐसे उन्होंने ग्वालियर में रह कर अपनी स्नातक तक की पढाई पूरी करी | और उसके बाद वो दिल्ली आ गये | दिल्ली आने के बाद भी वोही रहने खाने की समस्या | और भी कुछ छोटे काम कर के गुजारा किया | 

12वी फ़ैल का ठप्पा हर मोड़ पर-

मनोज जब भी आगे बढ़ने की सोंचते | दुनिया उनसे कहती कि तुम नहीं कर सकते | क्योकि तुम 12वी फ़ैल हुए थे | मनोज ने किसी की भी नहीं सुनी और बस अपने दिल और दिमाग का साथ दिया | दिल्ली आने के बाद एक टीचर ने मनोज पर रहम किया और उन्हें फ्री में पढने के लिए कोचिंग में आने की अनुमति दे दी |

प्यार की दस्तक-

मनोज के दिन दिल्ली में शुरू हो गये | और हम आपको बता दे | यूपीएससी में पास होने के लिए 6 ही प्रयास होते है | जिसमे उन्होंने अपने पहले प्रियास में प्री निकल दिया | पर मैन्स नहीं निकल पाया |

कोचिंग जाने के बाद एक दिन कोचिंग में टेस्ट हुआ जिसमे मनोज के नंबर अच्छे आ गये | जिस वजह से कोचिंग की लडकियों में मनोज के प्रति आकर्षण आना शुरू हो गया | और इसी के चलते मनोज को एक लड़की से प्यार होने लगा | और बस जब मनोज प्यार में पड़ने लगे |

अब में आपको मनोज के ही शब्द में बोल कर बताता हु | मनोज ने कहा ….अरे यह यूपीएससी एग्जाम, शान-शोकत, रुतवा सब बेकार है पहले लड़की महत्वपूर्ण है | और बस जब मनोज प्यार में पड़े सब भूल गये | पढाई लिखाई |

जिसके बाद जहा उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में प्री एग्जाम निकाल दिया था | वही अब वो 2 बार एग्जाम दिया पर वो उसमे पास नहीं हुए | क्योकि वो एक तडफा वाले तगड़े प्यार में जो थे | मनोज बताते है | कि उनकी इंग्लिश बहुत कमजोर थी |

तो यूपीएससी में एक इंग्लिश का एग्जाम होता है जो अनिवार्य होता है देना | जिसमे एक निबंध लिखना होता है | जब वो तीसरी बार एग्जाम देने गये तो एग्जाम में 100 नंबर का निबंध उन्होंने लिखा और बहुत खुश हुए कि उन्होंने निबंध लिख दिया है | और जब वो घर आते है और देखते है कि निबंध जो वो लिख के आये थे वो है terrorism in india और जो एग्जाम में आया हुआ था वो था tourism in india. जिस वजह से वो तीसरे प्रयास में नहीं हो पाया |

प्रेमिका से बोला कि तुम हाँ कर दो तो पलट दू दुनिया-

चोथे व लास्ट प्रयास में हुआ कुछ ऐसा | कि मनोज के कोचिंग में से एक लड़के का एग्जाम पास हो गया | जिसकी पार्टी में मनोज का बहुत अपमान हुआ | तो उनके साथ पढने वाली लड़की जिससे वो प्यार करते थे | जिनका नाम श्रद्धा था | उन्होंने बोला कि तुम अपमान के लिये हमेशा तैयार रहो क्योकि तुम अपनी अंदर की क्षमताओ उपयोग नहीं कर रहे |

अब मनोज पर प्यार का भूत चढ़ा था | मनोज ने भी पलट कर जबाब दिया- कि क्षमताओ का उपयोग तो में कर दू अगर तुम एक बार हाँ कर दो | श्रद्धा वापिस बोलती है मतलब – मनोज ने कहा कि तुम एक बार हाँ कर दो में दुनिया उल्ट पलट दूंगा | श्रद्धा ने बोला चलो… हाँ जाओ उल्ट पलट दो |

मनोज ने उसके बाद दिन रात एक कर दी | और इस बीच उन्होंने P.hd भी कर ली | ताकि यदि लास्ट चांस में कुछ भी नहीं हुआ तो कुछ और कर सके | अब वो  मनोज से डॉ.मनोज शर्मा हो चुके थे |

बहुत अधिक मेहनत करने के बाद डॉ.मनोज ने आखरी प्रयास में सफलता पाई | और 2005 बैच के IPS अफ़सर बने | और साबित किया कि मेहनत से हर मंजिल पाना मुमकिन है |

 

डॉ.मनोज कुमार शर्मा नई पीढ़ी के लिए इतने प्रेरित हुए कि उन पर हाल ही में उनके ही मित्र अनुराज पाठक जी ने उनके जीवन के बारे में अपनी किताब में लिखा जिसका नाम है ट्वेल्थ फ़ैल (हरा वोही जो लड़ा नहीं ) प्रेणना से भरपूर्ण यह किताब नई पीढ़ी के लिए , अपने लक्ष्य की ओर प्रेरित करेगी |

हम आप सभी से उम्मीद करते है यह article आपको प्रेरित करेगी अपने लक्ष्य की ओर | अपनी अपनी राय comment box में जरुर रखे | यदि आप के पास भी कोई मोटिवेट स्टोरी है तो हम से साँझा करे | हम अपने शब्दों में और बेहतरीन बना कर आप सभी के साथ शेयर करेंगे | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |

यह कुछ law बदल सकते है आपके जीने के नजरिया को-

यह कुछ law बदल सकते है आपके जीने के नजरिया को-

इस article में हम जो भी आपको बताने जा रहे है | वो आपकी जिन्दगी पर हसर जरुर डालेगा | आप अपने आप से बहुत सारे सवाल पूछेंगे | और जबाब आपके पास ही होंगे | इस article में जो भी जानकारी में आपको दे रहा हूँ |

यह जानकारी वहुत रिसर्च करने के बाद प्राप्त हुई है जिसको में आप सभी के साथ शेयर करने की कोशिश करूंगा | सबसे पहले हम उस law की बात कर लेते है |  universal law जो इस दुनिया के हर आदमी से कनेक्ट है |

दुनिया के बड़े वैज्ञानिको ने भी अपनी किताबो जैसे- The power of your subconscious mind, Think and grow rich  में इस universal law के बारे में बताया है | और दुनिया के कामयाब इन्सान इस universal law के बिना कामयाब नहीं हुए है | हर कामयाब इन्सान ने इस नियम को जाने या अनजाने में इस्तमाल किया है |

आप इस law से कुछ भी पा सकते है | इस universal में सब कुछ नियम व प्रिसिपल पर चलते है | यह नियम कोई भी नहीं तोड़ सकता | आप दुनिया के किसी भी कोने में हो | यह नियम आप पर इफ़ेक्ट करेंगे ही |

इन में से कुछ law जो फिजिकल होते है जिन्हें देखा व सुना जा सकता है | और कुछ spiritual  law जिन्हें देखा व सुना नहीं जा सकता है | प्रचीन काल में बहुत से ज्ञानी ने हजारो सालो से इन law को जाना व बात की , अधिकतर लोगो को इन law के बारे में जानकरी नहीं है |

बहुत से universal law है पर में जिस universal law के बारे में बात करने जा रहा हु | जिसकी वजह से article लिख रहा हूँ | वो है-

The law of reaping on sowing-

यह universal law यह कहता है कि आप जो कुछ भी अपने दिमाग में प्लान करते हो , रखते हो वो आप बहार की दुनिया में साबित करोगे | उस को प्रकट करोगे | उसे  पाओगे | हम आपको समझाते है | यह बिल्कुल एक फल के पेड़ लगाने के जैसा है |

आप पहले एक उपजाऊ मिट्टी लाते है आप तह करते है कि कोन सा बीज प्लांट करना है | आप आवश्यकता अनुसार जल देते हो , सूरज की रौशनी देते हो | और जब एक सही वक़्त आता है उस बीज को उगना होता है एक बड़े फल के पेड़ के रूप में |

हमारी जिंदगी भी कुछ इसी तरह होती है मिट्टी हमारा दिमाग है ,बीज आपके विचार है , पानी आपके एक्शन है आपका काम है , और सूरज की रौशनी, आपकी भावना यानि फीलिंग है | यह में आप सभी से विश्वास से कह सकता हूँ |

यदि आप अपने mind में कोई आईडिया प्लांट करते हो | और आप महसूस करते है कि आप use पा चुके है या बन चुके हो तो आपका दिमाग एक्शन लेने के लिए मजबूर करेगा | फिर आप मेहनत करोगे , इसको प्रकट होना होगा | इसे सामने व सच होना होगा | जो अपने प्लांट किया था | इसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है क्योकि यह एक law है यह एक universal law है |

चलिए और बेहतर समझाने की कोशिश करते है | यह बात अपने फील करी होगी | जिस जगह आपका मन नहीं लगता वहा आपकी एनर्जी बहुत कम होती है | और जिस में आपका मन करता है आपको खुसी मिलती है तो वहा आपकी body से उत्पन्न एनर्जी अलग ही लेबल की होती है |

One think the change life in Hindi ( E-book )

अगर आप अपने जीवन में सफल व बहुत पैसे कमाना चाहते है | तो यह E-book आपकी पूरी जिन्दगी बदल सकती है | आपने अक्सर सुना होगा कि एक सफल व्यक्ति बुक्स जरुर पढ़ता है | क्योकि बुक्स हमे ऐसी सीख देती है जो अनमोल होती है | इस E- Book में ऐसे सीक्रेट बिज़नस की सम्पूर्ण जानकारी दी गयी है | जो बेहद ही कम लोगो को जानकारी है |

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आज यह 199./- रुपय आपके आने वाले भविष्य या सफलता पर निर्भर करता है | आप स्टूडेंट्स, हाउसवाइफ, किसी भी उम्र का व्यक्ति हो | चाहे वो जॉब या कोई बिज़नस भी करता हो | उसके बाद भी आप इस ई – बुक में बताये गयी बातो से अपना जीवन को नये शिखर पर लाया जा सकता है |

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हमारी कामयावी में एनर्जी का मुख्य किरदार-

हमारे जीवन में हर चीज एक एनर्जी है और सभी एनर्जी एक जैसी एनर्जी को अट्रेक्ट करती है | आप निगेटिव एनर्जी को रखकर , पॉजिटिव रिजल्ट की उम्मीद नहीं कर सकते | ठीक इसी प्रकार बार बार आप फेलियर की तरह सोचकर , आप पॉजिटिव सक्सेसफुल रिजल्ट को प्रकट नहीं कर सकते |

यदि आप बार बार उन चीजो के बारे में सोंच रहे हो और आप चाहते हो की वो सब आप के साथ न हो | जिसके साथ आप डरते हो | और वो बार बार आप सोंच रहे है | तो आप अपने दिमाग में वो बीज प्लांट कर रहे हो | वो बीज आप अपने दिमाग में रख रहे हो | और The law of reaping on sowing law के अनुसार इस बीज को उगना ही होगा |

इसे उत्पन्न होना होगा | प्रकट होना होगा | इसे सामने आना होगा | जब भी आप उल्ह्ज्न में हो और आपके दिमाग में नेगेटिव एनर्जी आ रही हो | तो आप यह 6 word को याद करना | यह 6 word मदद करेंगे आपको निगेटिव एनर्जी से बहार निकलने के लिए |  ‘’you become what you think about‘’ आप जो भी सोचते है वो बनते है |

मेरा मानना है है यदि हम अपने दिमाग को एक बगीचा की तरह देखे जिसमे हम पॉजिटिव प्लांट को रखे | और Reaping on sowing law के अनुसार यह पनपे गा जरुर | यानि प्रकट , उत्पन्न जरुर होगा |

यदि हमने सब कुछ अपने दिमाग पर उतार दिया तो यह एक दिन प्रकट जरुर होगा | उम्मीद करता हु जहा तक में आप सभी को ले जाने की कोशिश कर रहा हूँ | आप वहा तक पहुच रहे होंगे |

हमने इस article से क्या सिखा-

हमने आपको इस article के माध्यम से बताने का प्रायस किया है कि आपको जो भी बनना है , आप जिस मुकाम पर जाना चाहते है | जो भी आपका गोल्स है उसका बीज अपने दिमाग में डाल दो | इमेजिन करो जब में वेसा बन जाऊंगा तो कैसा लगेगा |

मेरे कहने का मतलब है कि आप बस एक पॉजिटिव बीज डाल लो अपने दिमाग में | उसके बाद आपका दिमाग खुदवा खुद काम करेगा | अब यह दिमाग मुझे जो बनना है उसके लिए खुद काम करेगा |

यह आप पर निर्भर करता है आप अपने दिमाग में  निगेटिव बीज बोते है या पॉजिटिव | हमे हमेशा याद रखना है कि हमे अपने दिमाग में एक पॉजिटिव बीज बोना है | जो एक न एक दिन पनपे गा जरुर | और जब वो बीज पनपे गा | आपकी जिंदगी कुछ और ही होगी |

उम्मीद करता हु यह article आपको कुछ नया सीखने को मिला होगा | ऐसे ही article पढने के लिए नीचे दिए bell-icon को प्रेस करे | अपने मित्र व परिवार के साथ यह मेरी मेहनत व अनमोल बात जरुर share करे | मिलता हु एक नये article व मेरी नयी सोंच के साथ | ऐसे ही अपना प्यार बनाये रखे व हमारी website से जुड़े रहे | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |

एक ब्रैड बेचने वाले लड़के ने कैसे खड़ी करी करोड़ो की कम्पनी –

एक ब्रैड बेचने वाले लड़के ने कैसे खड़ी करी करोड़ो की कम्पनी –

आज जिन शक्स के बारे में बताने जा रहा हूँ | उनकी भी बहुत मोटीवेट कहानी है | जो हम उम्मीद करते है कि हर युवा को आगे बढ़ने के लिए व अपने लक्ष्य को पाने के लिए हमेशा प्रेरित करेगी | इन शक्स ने कम उम्र में मेहनत करना सीख लिया |

छोटे से गाँव से होने के बावजूद इस युवा ने साइकिल से ब्रैड बैच कर, पैदल चल चलकर सिमकार्ड बेचकर , एक गार्ड की छोटी सी जॉब करने के बाद कड़ी मेहनत व लगन के साथ कैसे कुछ वर्षो में ही करोड़ो कम्पनी खड़ी कर दी |

जिसका सालाना टर्न ओवर करोड़ो में है | चलिए शुरू करते है इस युवा की एक उत्साह भर देने वाली , एक जोश व प्रेणना देने वाली मोटीवेट स्टोरी |

हम बात कर रहे है विकास उपाध्याय की , विकास उपाध्याय उत्तर प्रेदश के जालोन जिला के रामपुरा गाँव के निवासी है | जिनके पिता जी एक किराना की छोटी सी दुकान चलाते थे | और उस छोटी सी दुकान से उनके परिवार का हरण पोषण किया जाता |

जिंदगी की शुरुआती मुश्किले-

पिता जी उस दुकान से अपने परिवार को पालते | और विकास उपाध्याय अपनी पढाई पर फोकस करते | उस वक़्त विकास की उम्र सिर्फ 9 वर्ष थी | कुछ समय बाद पता लगा की विकास की माँ को टीवी बीमारी है | जो की बहुत बड़ी बीमारी थी |

जिसमे विकास के पापा उस छोटी सी दुकान से उनकी बीमारी का खर्चा नहीं उठा पा रहे थे जिस वजह से उन्होंने बहुत कर्ज ले लिया | और उस कर्ज को हटाने के लिए उन्होंने सोचा की यह दिल्ली आ कर वो जॉब करेंगे | और दिल्ली आ कर उन्होंने गार्ड की नोकरी की |

विकास पर अब घर का सभी बोझ आ चुका था | वो अब अपनी दुकान पर बेठने लगे | और घर की थोड़ी मदद करने लगे | पर कुछ समय बाद ही कर्ज देने वालो ने अपना पैसा मागने लगे | जिस वजह से विकास के पिता जी ने अपनी छोटी सी दुकान बेच दी | और लोगो के पैसे चुका दिये | उस वक़्त विकास के परिवार के लिये एक एक पैसा का मोल बहुत अधिक था |

विकास सोचने लगे की इतनी कम उम्र में वो क्या कर सकते है जिससे परिवार की मदद हो सके | पर आखिर एक 9 साल का बच्चा क्या कर सकता था ? विकास सोचने लगे और एक सुबह वो जाग के उठे और उनके कानो में आवाज आई ब्रेड ले लो …ब्रेड ले लो  …वो आवाज कुछ बच्चो की थी |

वो आवाज उनकी मंजिलो तक पहुचने का एक संकेत था जिसको विकास ने महसूस किया और वो अपनी पहली कमाई करने निकल गये | उससे उनका घर तो नही चल पा रहा था पर कुछ तो पैसे आ रहे थे | जिससे कुछ तो मदद हो रही थी |

एक कम उम्र का बच्चा सोचने लगा की वो और क्या कर सकता है जिससे कुछ और पैसे आये | विकास ने एक दिन देखा की किसान अपनी फसल जैसे गेंहू अनाज लाया करते और दुकानदारो को बेच देते और दुकान दार लोगो को बेचते |

विकास ने भी कुछ पैसे जमा कर के वो अनाज लेना शुरू किया एक पेड़ के नीचे अपना बोरा बिछाकर लोगो को बेचने लगे | और ऐसा करने से वो अब कुछ हद  तक अपने परिवार की मदद करने लगे |

माँ ने प्रेरित किया पढने को-

इसी बीच उनके 10वी का रिजल्ट आया जिसमे वो 3rd डीविजन से पास हुए | तब उन्हें ऐसास हुआ की उन्हें आगे पढना चाहिए | और उनकी माँ ने अपने गहने बेच कर उरई शहर में विकास को पढने भेज दिया | विकास ने सोच लिया था कि वो अपनी पढाई का खर्च खुद उठाएंगे |

विकास  सिमकार्ड का काम करने लगे और गली गली जा कर बेचने लगे उस वक़्त सिमकार्ड पर बहुत अच्छा मुनाफा हो जाता था | विकास ने दिन में सिमकार्ड बेचे और रात में अपनी पढाई को वक़्त दिया | सिमकार्ड से वो महीने के अच्छे पैसे कामने लगे | और इतने में उनकी 12वी खत्म हो चुकी थी |

उन्हें आगे और पढना था और विकास ने आईटी ब्रांच से इंजीनियरिंग में दाखिला ले लिया | पर यहा भी बहुत मुश्किले थी |

इंजीनियरिंग के पैसे भरने के लिये उन्होंने अपने कमाये पैसे सब लगा दिये | फिर भी फीस अपूर्ण थी | विकास ने एक कंप्यूटर कोचिंग ज्वाइन कर लिया | जिससे वो बच्चो को अपने कंप्यूटर का ज्ञान पढ़ाते भी और उन्हें सिखने को भी मिलता |

क्योकि विकास ने आईटी ब्रांच तो ले ली थी | पर उससे पहले उन्होंने कभी भी कंप्यूटर को हाथ नहीं लगया था | पर धीरे धीरे सब ठीक हुआ | और उनकी इंजीनियरिंग पूरी हुई | जिसके बाद उन्हें लखनऊ शहर में एक छोटी सी जॉब भी मिल गयी |

जॉब को छोडकर कर बढे अपनी मंजिल की ओर-

जॉब मिल जाने के बाद उनका परिवार खुश था | पर कही न कही विकास खुश नहीं थे क्योकि उन्हें अपना business करना था | और जॉब को छोडकर कर , 4 हजार रूपए , कुछ कपडे और एक लैपटॉप लेकर वो आ गये उत्तर प्रदेश के नॉएडा शहर में | नॉएडा में कुछ दोस्तों के पास कुछ दिन रहे | परन्तु यहा भी धीमे धीमे सब पैसे खत्म हो गये | और वो बहुत उदास होने लगे |

उन्हें लगा की उनकी जॉब छोड़ने का विचार गलत था | अब यहा न खाने के लिये और न ही रहने के लिये छत थी | उसी बीच जिस बिलडिंग में वो रहते थे | उनके मालिक से विकास की मुलाक़ात हुई | और वो रियल स्टेट की कम्पनी चलाते थे जिसके लिये वो एक वेबसाइट बनाने वाले की तलाश कर रहे थे | और बस विकास को अपनी राह दिख गयी |

उन्होंने बिलडिंग के मालिक से कहा की में आपकी वेबसाइट बनाता हूँ | और विकास ने कुछ महीने में उनकी वेबसाइट बना कर लोंच कर दी | जिसके बदले में उन्हीने विकास को एक छोटी सी उसी बिलडिंग का बेसमेंट दे दिया | जहा विकास ने कई दिन गुजारे |

अपने काम को उसी जगह से करते और रात होने पर वही सो जाते | विकास दिन रात मेहनत करते गये | और अपने साथ एक टीम को बनाया | मेहनत और लगन से 2015 में विकास ने Dream steps नाम से अपनी IT company बनायीं | Dream step की एक ब्रांच कनाडा और दुबई में है | विकास की मेहनत और लगन से आज उनकी कम्पनी का टर्न ओवर करोड़ो में है |  

हमने आज इस article से क्या सिखा ?

हमने इस article के माध्यम से आप सभी को बताने का प्रयास किया है | कि किसी भी मंजिल तक पहुचने से पहले सबसे जरूरी कदम होता है …. शुरू करना | आप समझ गये होगे में क्या कहना चाहता हूँ | एक 9 साल का बच्चा जब शुरुआत कर सकता है तो आप क्यों नहीं |

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एक ऐसा भारत का युवा जिसने भारत का आने वाला भविष्य का जिम्मा उठाया-

एक ऐसा भारत का युवा जिसने भारत का आने वाला भविष्य का जिम्मा उठाया-

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हमेशा से कहते है हम देश का आने वाला भविष्य यह युवा पीढ़ी है | वो युवा कुछ और ही होते है जो देश के हित के लिए वो सब अपना बलिदान कर देते है जो कईयों के सपने होते है | आज में जिस युवा की बात करने जा रहा हूँ |

वो मेरे inspiration है जिनसे में बहुत inspired हूँ | आपको यह article पढ़ते-पढ़ते पता लग जायेगा | कि हम इनसे इतना क्यों inspired है और में जिस युवा की बात करने जा रहा हूँ |

में उनकी सोच उनकी मेहनत और उनके कार्य से बहुत प्रेरित हूँ | जो मेरे ही नहीं वल्कि उन सभी युवा कर लिये प्रेणना है जो कुछ करना चाहते है किसी दुसरो के लिए | चलिए शुरू करते है मेरे inspiration person के बारे में | हम बात कर रहे है, वो है रोमन सैनी (Roman Saini)|

कम उम्र में डॉक्टर बनने का सफर-

रोमन सैनी (Roman Saini) का जन्म राजस्थान में कोटपुतली के एक गाँव रायकरणपुरा में हुआ | घर में पिता इंजिनियर व माँ गृहिणी थी | घर का माहोल पढ़ा लिखा होने पर उनकी पढाई ठीक ढंग से हुई | और बचपन से ही पढाई में बहुत अच्छे थे |

इसी के चलते हुए रोमन सैनी ने महज 16 वर्ष की उम्र में देश के बहुचर्चित मेडिकल collage एम्स का इंट्रेंस एग्जाम पास किया | और उन्होंने वहा से अपनी एमबीबीएस पूरी करी | और वो एम्स के बहुत कम उम्र के डॉक्टर भी बने |

One think the change life in Hindi ( E-book )

अगर आप अपने जीवन में सफल व बहुत पैसे कमाना चाहते है | तो यह E-book आपकी पूरी जिन्दगी बदल सकती है | आपने अक्सर सुना होगा कि एक सफल व्यक्ति बुक्स जरुर पढ़ता है | क्योकि बुक्स हमे ऐसी सीख देती है जो अनमोल होती है | इस E- Book में ऐसे सीक्रेट बिज़नस की सम्पूर्ण जानकारी दी गयी है | जो बेहद ही कम लोगो को जानकारी है |

बहुत कम निवेश में सिर्फ 5 से 10 रुपय के निवेश में आपको कुछ ही महीने में 50 से 90 हज़ार तक कमा के दे सकता है | इस ई –बुक ने कई लोग की जिंदगी बदली है | और आगे भी बदलेगी | इस ई-बुक से खुद हम लाखो रुपय कमा रहे है | दोस्तों 199./- रुपय बेहद ही छोटी रकम होती है जो अक्सर लोग खाने पीने में खर्च कर देते है |

पर यह 199./- रुपय की छोटी सी रकम आपके पूरी जिंदगी को बदल सकती है | साथ ही इस ई – बुक को खरीदने वाले लोगो को एक अवसर प्राप्त होगा | जिसमे वो जीरो इन्वेस्टमेंट के साथ घर से लाखो रुपय कमा सकते है |

आज यह 199./- रुपय आपके आने वाले भविष्य या सफलता पर निर्भर करता है | आप स्टूडेंट्स, हाउसवाइफ, किसी भी उम्र का व्यक्ति हो | चाहे वो जॉब या कोई बिज़नस भी करता हो | उसके बाद भी आप इस ई – बुक में बताये गयी बातो से अपना जीवन को नये शिखर पर लाया जा सकता है |

इस 199./- रुपय रकम से अधिक फोन के रिचार्ज हो जाते है | पर बहुत कम लोग अपने जीवन को बदलने के लिए इन्वेस्ट करते है | यह 199./- रुपय कि इन्वेस्टमेंट आपको जिंदगी भर लाखो रुपय रिटर्न कर के दे सकती है |

आज निर्भर आप पर करता है इस छोटी रकम से अपने जीवन को परिवर्तित करना चाहते है या जिस तरह जीवन वितीत कर रहे है वेसा ही करना चाहते है | अपने आप से एक बात अवश्य पूछे जो काम आज आप कर रहे है क्या उस काम से आपके सभी सपने पूरे हो सकते है यदि जबाब आये हाँ तो आपको इस ई – बुक खरीदने की आवश्यकता नहीं है और यदि जबाब आये नहीं तो आप को पता है क्या करना है ?

 हमारी एक्सपर्ट व बिज़नस एडवाइजर ने ऐसे बिज़नस के बारे में बताया गया है जिन्होंने ई – बुक का मूल्य 999./- रुपय रखा गया | पर स्टूडेंट्स को ध्यान में रखते हुए यह 999./- रुपय एक स्टूडेंट व निम्न स्थर के व्यक्ति के लिये बेहद ही अधिक हो सकते थे |

इसलिए हमारी टीम ने सिर्फ़ 199./- रुपय रखा जिससे हर स्टूडेंट्स अपनी मंजिलो के रास्ते को देख सके व जीवन में बेहद ही सफल हो सके | ई-बुक अभी 50% डिस्काउंट में मिल रही है |

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डॉक्टर से एक आईएएस बनने का सफर-

 एम्स के कम उम्र के डॉक्टर बन जाने के बाद, इसी दोरान वर्ष 2011 में वह एक मेडिकल कैंप के दोरान एक गाँव में गये | जहा उन्होंने देखा की गाँव में सेहत ,सफाई,पानी व अन्य चर्चित विषय पर कोई भी जागरूकता नहीं है | और उन्होंने यही से विचार किया की वो भारत की सबसे चर्चित परीक्षा, सिविल सर्विसेज परीक्षा में जायेंगे व अपने देश को और बेहतर बनाने का प्रायस करेंगे |

दिन रात कड़ी मेहनत करने के बाद रोमन सैनी ने महज 22 वर्ष की उम्र में , अपने पहले ही प्रयास में 2013 में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली | और पूरे देश में 18 वी रेंक प्राप्त की | और 2014 में वो डॉक्टर से कम उम्र के एक आईएएस अफ़सर भी बन गये | रोमन सैनी की न्युक्ति मध्यप्रदेश में बतौर कलेक्टर हुई |

महज 2 वर्ष बाद आईएएस अफ़सर से इस्तीफा दे कर कर दिया सब को हैरान-

IAS बनने के बाद वो फिर एक बार फिर भ्रमणं करने गाँव में गये जहा उन्होंने महसूस किया कि भारत में शिक्षा का स्थर बहुत गिरा हुआ है | और अच्छी शिक्षा अच्छे बच्चो को जो मेहनत करना चाहते है वो शिक्षा नहीं मिल पा रही है |

वो गरीब बच्चो जो मेहनती थे पर पैसे न होने के कारण वो एक अच्छी शिक्षा से वंचित हो रहे थे | वो IAS अफ़सर बनने के बाद भी वो कुछ खास नहीं कर पा रहे थे |

वो उन बच्चो के लिए और भारत के आने वाले भविष्य के लिए मुफ्त में कुछ करना चाहते थे | और सिर्फ अपने देश के हित के लिये व शिक्षा का स्थर सुधारने के लिए उन्होंने वो कर दिया जो कईयो के सपने होते है जिस पद के लिए कड़ी से कड़ी मेहनत करते है वो पद उन्होंने देश के बच्चो के लिए छोड़ दिया |

आज देश की सबसे बड़ी एजुकेशन कम्पनी unacademy के संस्थापक है | जहा उन्होंने देश के बच्चो के लिए मुफ्त में एक बेहतर शिक्षा प्रदान कर रहे है |जब रोमन सैनी ने अपना इस्तीफा कलेक्टर को देते हुए कहा- कि आईएएस बनना था सपना , अब दुसरो को आईएएस बनने के गुण सिखाएँगे |

रोमन सैनी का भारत के युवा से कहना है कि –

‘ मैं मानता हूं कि हम अपने हर सपने को साकार कर सकते हैं। मेरा ऐसा मानना है कि कोई आपको सफलता के लिए प्रेरित तब तक नहीं कर सकता है जब तक कि आप स्वयं को प्रेरित करने का संकल्प न लें। सफलता प्राप्त करने का मूलमंत्र आपके अपने अंदर ही छिपा होता है। मैने सफलता पाई क्योंकि जो मेरा दिल कहता था मैं वो पूरी ईमानदारी के साथ करता था। जरूरी नहीं कि आपकी इच्छा जिस काम को करने में हो उसका कोई अंतिम पड़ाव तक पहुंचना आवश्यक ही हो जैसे मुझे गिटार बजाना अच्छा लगता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मुझे इंग्लैंड के  ट्रिनिटी collage में  एडमिशन लेना है। एक डॉक्टर के रूप में या एक आईएएस  अधिकारी के रूप में या फिर एक  उद्यमी  के रूप में अगर लाखों लोगों करोड़ को की सहायता कर पा रहा हूं तो इसका भी मूल कारण हैं कि मुझे ये अच्छा लगता है। ’

हमने इस article से क्या सिखा-

हमने इस article के माध्यम से सिखा कि जीवन में हम कितने भी बड़े मुकाम पर पहुच जाये | पर हमे कभी भी रुकना नहीं चाहिए | हमे अपने आप को और अधिक बेहतर बनाने के लिए काम करना चाहिए |

रोमन सैनी चाहते तो एक आईएएस अफ़सर के पद पर रहते अपना जीवन शान से जीते | पर उन्होंने देश के युवाओ के लिए सोचा, उस पद को छोड़ दिया जिसके लिए कई युवा न जाने कितने सपने देखते है |

यह वाकई काबिले तारीफ है हम ऐसे युवा को दिल से शुक्रिया करते है जो एक ऐसा प्लेटफोर्म लाये जिससे एक गरीब घर का बच्चा, जिसके अंदर कुछ करने का जुनून है वो मुफ्त में पढ़ सकता है |

मेरा इस article के माध्यम से बताने का एक ही मकसद था कि जिस प्लेटफोर्म से देश के कई गरीब बच्चे पढ़ रहे है उस प्लेटफोर्म को लाने वाले व्यक्ति को दुनिया के सामने लाया जाये | ताकि ऐसे युवा लोगो की प्रेणना बने | comment box में अपनी राय दे |यह article आप को पसंद आया हो तो नीचे दिये bell icon को प्रेस कर के हम से जुड़े | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |

100 रूपय कमाने वाली महिला का 1000 करोड़ रूपय तक का सफर-

100 रूपय कमाने वाली महिला का 1000 करोड़ रूपय तक का सफर-

एक नारी कितना सहन कर सकती है इसकी कल्पना हम पुरुष कभी भी नहीं कर सकते | और जब वो नारी कुछ करने की ठान ले तो वो हर मुकाम को हासिल कर सकती है | आप सभी का एक बार everythingpro.in के success story in hindi में स्वागत है |

आज जो हम success story बताने जा रहे है वो है एक 13 वर्ष की कल्पना सरोज की एक कहानी नहीं हकीकत है जो एक फिल्म की तरह लगती है पर यह मोटीवेट स्टोरी आपको नई उर्जा , नई प्रेणना देगी , जो आपके मुकाम तक पहुचाने में काफी हद तक मदद करेगी |

क्यों है सभी महिला के लिए प्रेणना-

कल्पना सरोज की कम उम्र महज 12 वर्ष की उम्र में, उनके मामा ने उनकी शादी की बात उनके पिता जी से की और कुछ ही दिनों में उनकी शादी हो गयी | शादी के बाद उन पर बहुत अत्याचार होने लगा | कल्पना जी ने जैसा एक सपना देखा हुआ था कि एक घर होगा अच्छे लोग होंगे परिवार होगा , पति प्यार व सम्मान देने वाला होगा | पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ |

कहते है यदि अपना पति अच्छा हुआ तो सारे दुःख दर्द कम हो जाता है | और धीरे धीरे सब ठीक हो जाता है | छोटी छोटी बात पर मारा-पीटी जो की बहुत ही दर्दनाक था |

अपनी जिन्दगी खत्म करने के लिए खटमल मारने वाली दवाई की तीन बोतल पी ली ताकि वो जीवित न रहे | पर किस्मत में कुछ और ही लिखा था | इन सब से बहार निकल कर उन्होंने अपने आप से बोला कुछ कर के मरना ही है तो क्यों न कुछ कर के ही जियें |

तमाम समस्या के बाद भी , और मात्र 9वी तक पढ़ी हुई लड़की ने आज 1000 करोड़ से भी अधिक की है मालकिन | जो आज महिलाओ के लिए प्रेणना बन के उभरी है |

कल्पना सरोज (kalpana saroj) की हकीकत –

बहुत ही साधारण परिवार में जन्मी कल्पना सरोज (kalpana saroj) का जन्म महाराष्ट्र के अकोला गाँव के एक छोटे से गाँव रोपड़ खेडा में 1961 में हुआ था | कल्पना सरोज के पिता जी महाराष्ट्र पुलिस के ह्बलदार थे | जिसमे उन्हें 300 रूपए वेतन मिला करता | जिससे उनका परिवार को पालते |

शादी हो जाने के बाद उनके साथ अत्याचार होने लगे जिसके बाद उनके पिता जी एक बार उनके पास गये व उनकी हालत देख कर वो उन्हे वहा से वापिस ले आये | कल्पना सरोज ने अब अपने आप से बोल चुकी थी की अब कुछ करना है और दुनिया के सामने अपने आपको साबीत करना है |

उन्होंने पहले सोचा की पहले वो पुलिस में ही जयेंगी पर पढाई व उम्र दोनों कम होने के कारण वो यह नहीं कर पायी | फिर उन्होंने सोचा की वो आर्मी में चली जाये ताकि देश के काम आ सकु पर ऐसा भी नहीं हो सका |

फिर उन्होंने अपनी माँ से बोला की वो कुछ करना चाहती है जिसके लिए उन्हें मुंबई जाना होगा | और अगर अपने नहीं जाने दिया तो में ट्रेन के नीचे आ जाउंगी ताकि कोई कसर न रह जाये मरने की | उनकी माँ ने पिता से बात कर के उन्हें मुंबई अपने चाचा जी के पास भेज दिया |

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कुछ बढते कदम जिंदगी जीने कर लिए-

कल्पना सरोज अपने मुंबई में चाचा जी के पास आ गयी| उन्होंने अपने चाचा जी जो बताया कि वो सिलाई का काम जानती थी तो उनके चाचा जी ने सिलाई का काम एक फेक्ट्री में दिलवा दिया | परन्तु वो इतना अंदर से डरी हुई थी की वो सिलाई मशीन पर बेठने से डर रही थी | मशीन पर बेठने पर उनके हाथ कापने लगे और उनसे गलती होने के बाद वहा का incharge डाटने लगे |

जब फेक्ट्री के लोग लंच पर चले जाते तो वो सिलाई मशीन पर बेठ कर प्रयास करती ताकि वो डर खत्म हो सके | पर incharge ने उन्हें मशीन को छोडकर हेल्पर को तोर पर रख लिया जिसमे वो धागे को काटा करती | जिसका उन्हें 60 रूपए से 100 रूपय महिना मिलता | यह काम उन्होंने कुछ दिनों तक किया |

हुआ एक हादसा जिसने जिंदगी बदल दी-

कल्पना सरोज की जिंदगी कुछ हद तक पटरी पर आना शुरू हो गयी थी | परन्तु उनकी बहन को केंसर था | और एक दिन पैसे न होने के कारण उनका इलाज न हो सका और उनकी एक दिन मोत हो गयी |

इस घटना से कल्पना सरोज पूरी तरह से टूट गयी | और उन्होंने अपने आप से कहा यदि आज उनके पास पैसे होते तो वो अपनी बहन को बचा सकती थी | उन्हें समज आ गया था की गरीबी सबसे बड़ी बीमारी है जिसको उन्हें खत्म करना है |

कुछ और कदम सफलता की ओर-

कल्पना जी ने कुछ सिलाई मशीन से पैसे कमाना शुरू कर दिए | और वो कि घंटे कड़ी मेहनत करने लगी क्योकि उन्होंने ठान लिया था की इस गरीबी बीमारी को मिटाना है | पर इतने पैसे काफी नहीं थे उनके लिये | इसलिए उन्होंने व्यापार करने का विचार आया |

व्यापार करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे तो उन्होंने सरकार से बहुत मुश्किल के बाद , महात्मा ज्योतिबा फुले के अंतर्गत 50,000 का लोंन लिया | जिससे उन्होंने महज 22 साल की उम्र में फर्नीचर का व्यापार शुरू किया जिसमे उन्हें बहुत सफलता मिली |

एक जमीन ने उनकी सफलता में लगा दिए पंख-

फ़र्निचर के व्यापार करते करते एक दिन उनके पास एक व्यक्ति आये और उन्होंने अपनी जमीन बेचने के लिए बोला | जिसकी कीमत 2.50 लाख रूपए बताया | पर इतने पैसे नहीं थे तो उस व्यक्ति ने बोला की अभी आप सिर्फ 1 लाख रूपए दे दीजिये | कल्पना जी ने जेसे तेसे कर के वो एक प्लाट जमीन खरीद ली |

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परन्तु बाद में उन्हें पता लगा की वो जमीन विवादित है | और सरकार के सभी एक्ट उस जमीन पर लगे हुए थे | 1.5 साल तक मेहनत कर के उन्होंने उस विवादित जमीन से वो सभी एक्ट हटा दिए और उस जमीन से विवादित नाम का शब्द हट गया | जिसकी कीमित 2.50 लाख से 50 लाख हो गयी |

कल्पना जी के साहस ने एक 2.50 लाख की जमीन को 50 लाख कर दिया | उसके बाद उन्होंने उस जमीन पर बिल्डिंग बनाने के लिए एक सिंधी पार्टनर को चुना | जो की बिल्डर थे |

जिसमे उन्होंने उनसे कहा की जगह मेरी है और बनाना आपको है तो पार्टनर मान गया जिसमे उन्होंने प्रतिशत तह किया जिसमे सिंधी पार्टनर का 65% और कल्पना जी का 35% प्रतिशत था | और जब बिलडिंग पूरी हुई उसमे कल्पना जी ने 4.50 करोड़ रूपए कमाये |

इस तरह वो कदम पर कदम आगे बढती गयी | आज वो कमानी ऑफ़ ग्रुप की मालकीन है जिसकी कीमत 1000 करोड़ से भी अधिक है | यह थी 9वी क्लास की एक लड़की का 100 रूपए से लेकर 1000 करोड़ रूपए तक का सफर | जो की हर महिला के लिए प्रेणना है |

हमने आज इस article से क्या सिखा-

हमने success story in hindi में आज कल्पना सरोज की एक जोश व प्रेणना से भरपूर्ण है | हमने आज इस article के माध्यम से सिखा की किस्मत भी हमारा तब साथ देती है जब हम मेहनत करने में कोई भी कसर न रखे |

यह मोटिवेट स्टोरी आपको अपने लक्ष्य की और और प्रेरित करेगी | ऐसे ही मोटीवेट व down to earth success story के लिये नीचे दिये bell icon से हमारी टीम से जुड़े | जिससे हर article आप के फोन तक पहुचे | अपनी राय comment box में जरुर दे | इस article को अपने मित्र तक जरुर शेयर करे | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |

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