7 वी पास शक्स का 35 रुपए से 13 करोड़ तक का सफर-

7 वी पास शक्स का 35 रुपए से 13 करोड़ तक का सफर-

हम अपने हर article में आप सभी स्टूडेंट व मेहनत करने वाले युवाओ से कहते रहते है कि हमे किसी भी मंजिल पर पहुचने से पहले सबसे जरुरी होता शुरुआत करना | 

माया नगरी मुंबई –

मुंबई ऐसा शहर है जहाँ हमने बचपन से सुना है कि यदि इन्सान मेहनत करने वाला है तो बदले में मुंबई शहर उनके सपनो से रुबहरू करा ही देती है व शर्त है अपनी मेहनत पर विश्वास होना |

आज की success story ऐसे शक्स की है जिन्होंने अपने सपनो की शुरुआत का सफर सिर्फ 35 रुपय से शुरू किया और आज करोड़ो रुपय का टर्न ओवर है |

आप सभी का एक बार फिर Everythingpro.in के success में स्वागत है | हम उम्मीद करते है यह success story भी युवाओ में उत्साह व उनके गोल्स को पाने के लिये प्रेरित करेगी |

माया नगरी मुंबई जहाँ हजारो लोग अपने सपनो को पूरा करने आते है ऐसे ही अपने सपनो को पूरा करने आये Veeral Patel जो गुजरात से मुंबई सिर्फ अपनी ज़ेब में 35 रुपय लेकर मुंबई की जमीन पर पैर रखा |

Veeral patel

वीरल पटेल का जन्म गुजरात के कछ जिले में हुआ | उनके पिता जी खेती कर के अपने परिवार का हरण पोषण करते | गरीबी के चलते वीरल पटेल की पढाई सिर्फ 7वी तक ही हो सकी | हालात और गरीबी के चलते , न चाहते हुए भी वीरल पटेल के पिता आगे पढ़ाने में असमर्थ थे | और उन्होंने वीरल से पढाई को आगे बढ़ाने के लिये मना कर दिया |

वीरल पटेल ने अपने पिता जी से 100 रुपय लिये | और निकल पड़े माया नगरी की ओर | वीरल पटेल उस वक़्त उन्होंने नही सोचा की उन्हें क्या करना है बस पिता जी के दिये हुए 100 रुपय व 2 जोड़ी कपडे लेकर निकल पड़े शहर की ओर |

पिता जी के 100 रुपय में से वीरल पटेल ने 65 रुपय की ट्रेन की टिकट ली | वाकी के 35 रुपय के साथ माया नगरी मुंबई में प्रवेश किया | मुंबई पहुचने पर उनके परिचित रिश्तेदार के यहाँ वो कुछ दिन रहे और उन्होंने वीरल पटेल को एक छोटी सी कॉपी किताबो की शॉप पर लगवा दिया |

वहाँ वीरल पटेल झाड़ू, साफ सफाई , कॉपी किताबे उठाने रखने आदि का काम करते | क्योकि कम उम्र का लड़का पहली बार शहर आया | अपने घर परिवार से हालातो और गरीबी ने दूर रहने के लिये मजबूर किया |

जब वीरल पटेल शॉप में झाड़ू पोछा लगाते और छोटी उम्र के कारण घर की यादे अक्सर उनकी आंखो को भीगा दिया करती | उनकी आँखों से निकलने वाले आंसु कब पोछा लगाने वाले पानी में मिल जाते, यह पता ही नहीं लगता |

वीरल पटेल जी ने जिस शॉप में काम मिला | उस शॉप के मालिक ने बोला यदि तुम 6 महीने फ्री में काम कर सको, तो तुम्हारा खाना और रहना फ्री | वीरल पटेल ने हाँ किया और बिना रुपय के 6 महीने काम किया | इस शर्त पर की उन्हें खाने और रहने की जगह मिल गयी |

6 महीने बाद उन्हें उस शॉप के मालिक उन्हें 250 रुपय पगार के रूप में देने लगे | यह वक़्त 1983 का था | 250 रुपय महीने के, वो अपने गाँव में अपने पिता जी को दे दिया करते | ताकि खेती करने में थोड़ी मदद मिल सके | वीरल पटेल ने 5 साल तक छोटा मोटा काम किया |

One think the change life in Hindi ( E-book )

अगर आप अपने जीवन में सफल व बहुत पैसे कमाना चाहते है | तो यह E-book आपकी पूरी जिन्दगी बदल सकती है | आपने अक्सर सुना होगा कि एक सफल व्यक्ति बुक्स जरुर पढ़ता है | क्योकि बुक्स हमे ऐसी सीख देती है जो अनमोल होती है | इस E- Book में ऐसे सीक्रेट बिज़नस की सम्पूर्ण जानकारी दी गयी है | जो बेहद ही कम लोगो को जानकारी है |

बहुत कम निवेश में सिर्फ 5 से 10 रुपय के निवेश में आपको कुछ ही महीने में 50 से 90 हज़ार तक कमा के दे सकता है | इस ई –बुक ने कई लोग की जिंदगी बदली है | और आगे भी बदलेगी | इस ई-बुक से खुद हम लाखो रुपय कमा रहे है | दोस्तों 199./- रुपय बेहद ही छोटी रकम होती है जो अक्सर लोग खाने पीने में खर्च कर देते है |

पर यह 199./- रुपय की छोटी सी रकम आपके पूरी जिंदगी को बदल सकती है | साथ ही इस ई – बुक को खरीदने वाले लोगो को एक अवसर प्राप्त होगा | जिसमे वो जीरो इन्वेस्टमेंट के साथ घर से लाखो रुपय कमा सकते है |

आज यह 199./- रुपय आपके आने वाले भविष्य या सफलता पर निर्भर करता है | आप स्टूडेंट्स, हाउसवाइफ, किसी भी उम्र का व्यक्ति हो | चाहे वो जॉब या कोई बिज़नस भी करता हो | उसके बाद भी आप इस ई – बुक में बताये गयी बातो से अपना जीवन को नये शिखर पर लाया जा सकता है |

इस 199./- रुपय रकम से अधिक फोन के रिचार्ज हो जाते है | पर बहुत कम लोग अपने जीवन को बदलने के लिए इन्वेस्ट करते है | यह 199./- रुपय कि इन्वेस्टमेंट आपको जिंदगी भर लाखो रुपय रिटर्न कर के दे सकती है |

आज निर्भर आप पर करता है इस छोटी रकम से अपने जीवन को परिवर्तित करना चाहते है या जिस तरह जीवन वितीत कर रहे है वेसा ही करना चाहते है | अपने आप से एक बात अवश्य पूछे जो काम आज आप कर रहे है क्या उस काम से आपके सभी सपने पूरे हो सकते है यदि जबाब आये हाँ तो आपको इस ई – बुक खरीदने की आवश्यकता नहीं है और यदि जबाब आये नहीं तो आप को पता है क्या करना है ?

 हमारी एक्सपर्ट व बिज़नस एडवाइजर ने ऐसे बिज़नस के बारे में बताया गया है जिन्होंने ई – बुक का मूल्य 999./- रुपय रखा गया | पर स्टूडेंट्स को ध्यान में रखते हुए यह 999./- रुपय एक स्टूडेंट व निम्न स्थर के व्यक्ति के लिये बेहद ही अधिक हो सकते थे |

इसलिए हमारी टीम ने सिर्फ़ 199./- रुपय रखा जिससे हर स्टूडेंट्स अपनी मंजिलो के रास्ते को देख सके व जीवन में बेहद ही सफल हो सके | ई-बुक अभी 50% डिस्काउंट में मिल रही है |

यानी अभी आप इस ई –बुक को खरीदते है तो सिर्फ 99./- रुपय में यह ई –बुक आपको प्राप्त हो जायेगी | जरा विचार करे यह 99./- रुपय कितनी छोटी रकम है जो आपको महीने के लाखो रुपय के रिटर्न के रूप में देगी | Amazon पर सर्च कर के  या नीचे दिये Buy Now E-Book से ई – बुक खरीदे |

Buy Now E-Book

पंखो को मिली थोड़ी उड़ान-

वीरल पटेल जी के दूर के रिश्तेदार ने मुम्बई की अंधेरी में एक शॉप खोली | जिसमे उन्होंने वीरल पटेल को पार्टनरशिप करने का अवसर प्रदान किया | जो वीरल पटेल के लिये करना बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण था |

इस पार्टनरशिप शॉप से वीरल पटेल जी को धीरे-धीरे मार्किट की जानकारी होना शुरू हो गयी | और करीब 3 वर्ष तक पार्टनरशिप करने के बाद , वीरल पटेल ने मेहनत करके पैसा जमा कर, खुद की किराना शॉप खोली | जो उनकी मेहनत व भगवान के आशीर्वाद से , वीरल पटेल ने जितना सोंचा था उससे कई अधिक उस शॉप का रेस्पोंस आया | और वो एक  अच्छी कमाई करने लगे |

मीठास ने किये सपने सच –

www.everythingpro.in

कहते है जब ज़ेब में पैसा आता है तो दिमाग दोगुना फ़ास्ट हो जाता है | हमारे पास नये नये आईडिया आने लगते है | पैसा और अधिक कैसे कमाये हम विचार करने लगते है | हम उस पर काम करने लगते है |

 कुछ ऐसा ही हुआ वीरल पटेल के साथ भी | अपने मित्र के सुझाव से वीरल पटेल ने Sweets की शॉप खोलने का विचार किया | और कुछ सालो तक छोटे ही स्थर से मिठाई की शॉप से शुरुआत की | धीरे-धीरे कुछ साल बीते और अपनी सालो की मेहनत से कमाई को बहुत बड़े स्थर पर इन्वेस्ट करने का विचार किया | क्योकि वीरल पटेल भले ही अधिक पढ़े लिखे नहीं थे | पर उन्हें यह बात अच्छे से पता थी यदि बड़ा आदमी बनना है तो खतरा भी बड़ा उठाना पड़ेगा |

सफलता-

www.everythingpro.in

वीरल पटेल ने 2005 में 30 लाख के बड़े इन्वेस्टमेंट के साथ Veeral got into retailing sweets and snaks  के नाम से बड़ी शॉप खोली | जिसमे नमकीन व मिठाई से शुरुआत की | जब एक sweets शॉप से अच्छा रेस्पोंस मिलना शुरू हुआ | तो वीरल पटेल ने दूसरी ब्रांच खोलना शुरू की | धीरे-धीरे अलग-अलग जगह बड़ी कई ब्रांच खोलना प्रारंभ किया |

www.everythingpro.in

जिसमे वो आज 300 से भी अधिक प्रकार की मिठाईयां उपलब्ध है |वीरल पटेल बताते है कि आज उनकी कई ब्रांच से सालाना 13 करोड़ का टर्न ओवर है | जो वाकई काबले तारीफ है |

हमने आज इस article से क्या सीखा-

इस article से सीख मिली, यह जरुरी नहीं कि यदि कोई व्यक्ति अधिक शिक्षित नहीं है तो वह सफल नहीं हो सकता | जरुरी यह है कि खुद की मेहनत और खुद के विश्वास पर भरोसा रखना |

वीरल पटेल जी के हालात ऐसे थे कि वो अपनी पढाई को छोडकर शहर गये | यह हम पर निर्भर करता है कि हमे अपने हालातो को देख कर कमजोर पड़ना है या उन हालातों से अपने आप को मजबूत बनाना है |

इस article के लास्ट में एक बात और कहना चाहूँगा कि मेहनत सब करते है पर असली मेहनत वो है हम जिस हालात में है अभी, चाहे हम गरीबी में हो, चाहे हमारे पास अधिक साधन न हो…. हम जिन भी हालातो में हो , पर ध्यान रहे हमेशा हमे … जिस प्रकार रात जाने के बाद एक नया दिन आता है उसी प्रकार वक़्त भी ठहेरता नहीं है , हर किसी का बदलता है | आज बुरा वक़्त है तो कल अच्छा जरुर आयेगा व शर्त है धेर्य की | उन हालातो को अपनी ताक़त बनाये |

उन हालातो से हमारे लक्ष्य पर, कोई भी प्रभाव न पड़ सके | हम विचार करे इन हालातो में हम अपने आप को केसे, क्या करके अपने आप को स्थर रख  सकते है | यदि मैं कम शब्दों में कहू तो हमारे हालात , हमारे लक्ष्य पर हावी न हो सके |  यदि आप अपने हालातो पर काबू करना सीख गये | तो विश्वास है हमे आप अपने जीवन में एक अच्छे मुकाम पर होंगे |  

उमीद करता हूँ यह article आपको पसंद आया होगा | ऐसे ही interestedmotivate article पढने के लिये नीचे दिये Bell icon को प्रेस करे | अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरुर दे | आप के द्वारा दिया हुआ हर एक शब्द हमे प्रेरित करेगा | जिससे हम नये उत्साह व जोश के साथ एक नया article लिखने के लिये प्रेरित होंगे | अपना कीमती वक़्त देने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद |

बिल गेट्स को पीछे कर के दुनिया के दूसरे सबसे अमीर आदमी बने एलोन मस्क-

बिल गेट्स को पीछे कर के दुनिया के दूसरे सबसे अमीर आदमी बने एलोन मस्क-

इस वर्ष भले ही पूरी दुनिया मंदी से गुजरी हो | पर अमेरिका कार निर्माता कम्पनी टेस्ला के कारोबार में बड़ी लम्बी छलांग मारी है |

जिससे वो माइक्रोसॉफ्ट के co-founder बिल गेट्स को पीछा कर के, दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में दूसरे पैरदान पर आ गये है |

एलोन मस्क की वर्तमान सम्पत्ति 127.9 अरब डॉलर है यानि भारतीय रुपए में 9.474 अरब है | व माइक्रोसॉफ्ट से co-founder बिल गेट्स की वर्तमान सम्पत्ति 127.7 अरब डॉलर है भारतीय रुपए 9.459 अरब है | जो की दुनिया के तीसरे सबसे धनी व्यक्ति है |

ब्लूमबर्ग की सूची-                    

हम आपको बता दे | कि ब्लूमबर्ग दुनिया के अरबपतियो की सूची प्रदान करता है | जिसमे जारी की जाने वाली अरबपतियो सूची में एलोन मस्क पहली बार दूसरे स्थान पर पहुचे है | इससे पहले वो 6 व 7 वे स्थान पर थे |

ब्लूमबर्ग सूची के अनुसार तीसरे नंबर पर बिल गेट्स जिसमे उनकी कुल सम्पत्ति 127.7 अरब डॉलर, दूसरे स्थान पर एलोन मस्क जिसमे कुल सम्पत्ति 127.9 अरब डॉलर व पहले स्थान पर अमेज़न के सीईओ जेफ़ बेजोस जिनकी वर्तमान में कुल सम्पत्ति 182 अरब डॉलर है | जो आज वो दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति है |

एलोन मस्क की 100 अरब डॉलर बड़ी सम्पत्ति-

सम्पत्ति की बढोत्तरी में एलोन मस्क ने बहुत ही बड़ी छलांग लगाई है | 2020 जनवरी के बाद उनकी सम्पत्ति में 100 अरब की यानि 7,407 अरब रुपय का इजाफा हुआ है |

इसके साथ ही एलोन मस्क दुनिया के 500 अरबपतियो के बीच सबसे तेजी से बढ़ने वाले व्यक्तियों में शामिल हो गए है |

टेस्ला कार के शेयर में उछाल से एलोन मस्क हुए दुनिया के दूसरे सबसे धनी व्यक्ति-

इलेक्ट्रोनिक कार बनाने वाली अमेरिका कम्पनी टेस्ला के शेयर में सोमवार दिनांक 23/11/2020 को भारी उछाल आया | जिसके कम्पनी का बाजार पूंजीकरण 500 अरब डॉलर यानि भारतीय रुपए 37,036 अरब रुपय हो गया |

इस उछाल के कारण मस्क की सम्पत्ति में इजाफा हुआ | और वो दूसरे स्थान पर पहुच गये |

पहले ही पैरदान पर होते बिल गेट्स यदि दान न करते-

बिल गेट्स तीसरे सबसे धनी व्यक्ति

बिल गेट्स आज भी पहले ही स्थान पर होते | यदि बिल गेट्स सम्पत्ति का एक बड़ा हिस्सा सामाजिक कार्यो में दान नहीं करते | वर्ष 2006 में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन बनाने के बाद वह लघभग 2000 अरब रुपय दान कर चुके है | बिल गेट्स 2017 तक लगातार 4 साल दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति रहे है | इसके बाद अमेज़न के सीईओ जेफ़ बेजोस ने जगह ली |  

मैकेनिकल इंजिनियर मल्टीनेशनल कम्पनी छोड़ कर खेती से कमा रहे है 70 लाख रूपए से अधिक-

मैकेनिकल इंजिनियर मल्टीनेशनल कम्पनी छोड़ कर खेती से कमा रहे है 70 लाख रूपए से अधिक-

यह उन लोगो के लिये प्रेणना है जो कहते है खेती में मुनाफा नहीं | आज हम अपने article के माध्यम से जिन शक्स के बारे में बता रहे है | उनकी कहानी भी बहुत ही उत्साहित व रोचक है | जो खेती करने वाले किसान व नई पीढ़ी को प्रेरित करेगी |

Note: If you access our website from another country. so tap on the menu and select your country language.

परिचेय एक इंजिनियर का –                      

हम बात कर रहे है | मैकेनिकल इंजिनियर नंदन महतो के बारे में | नंदन महतो बिहार के सीतामढ़ी जिले के रोधी गाँव के रहने वाले है | नंदन की बचपन की पढाई से लेकर 12th तक सीतामढ़ी से ही की | उनके पिता रेलवे में कर्मचारी है | नंदन ने मुंबई के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करी है |

नंदन ने अपनी मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करने के बाद उन्हें मल्टीनेशनल  कम्पनी में जॉब मिल गयी | 3 साल मल्टीनेशनल  कम्पनी में जॉब करी | इसके बाद वो अपने घर रोधी गाँव में रहने आ गये |

इंजिनियर से किसान बनने का सफर-

नंदन कुछ अलग करना चाहते थे | कुछ दिन घर रहने के बाद वो अपने साथ पढ़े मित्र प्रदीप आप्टे से मिलने मुंबई वापिस चले गये | प्रदीप आप्टे ने इजरायल में जैविक खेती का प्रशिक्षण लेकर आये थे |  जिसके बारे में उन्होंने नंदन को बताया | जहा नंदन ने एक माह से अधिक कुछ समय में उन्होंने मचान विधि का हुनर सीखा | और यही से शुरू हुआ एक इंजिनियर के किसान बनने का सफर |

खेती की शुरुआत-

नंदन ने आज अपनी पहचान एक किसान के रूप में कर ली है | और वो आज 32 एकड़ जमीन में मचान विधि से सब्जी कर के सालाना मुनाफा 70 लाख से अधिक कर रहे है व साथ साथ कई किसान को रोजगार दे रहे है |

नंदन के मुताबिक सब्जी पैदा करने से लेकर बेचने तक उनके अच्छे खासे रूपए खर्च हो जाते है | नंदन ने अपनी खेती 20 एकड़ खेती में सब्जी की जब उन्हें वहा सफलता मिली इसके अलावा उन्होंने 12 एकड़ जमीन लीज पर ली है जिसका सालाना खर्च 6 लाख रूपए आता है |

इसके बाद 36 लाख रूपए खेत की निराई, गुड़ाई की मजदूरी , सब्जी तोड़ने में खर्च हो जाता है | कुछ लाख रूपए बीज व कीटनाशक पर रुपय खर्च होता है | जिसके बाद भी वो महीने का 6 से 7 लाख रूपए कमा रहे है | और सालाना 70 लाख रूपए से अधिक |

इस काम में नंदन कई किसान को रोजगार भी दे रहे है | व उनकी पत्नी आनंदी देवी भी साथ दे रही है | नंदन सब्जी में करेला, परवल, खीरा, बैगन, मिर्च, टमाटर, आलू, गोभी लघभग सबी प्रकार की सब्जी करते है | और सब्जी की सप्लाई नंदन आसपास के जिलो में ही नहीं वल्कि पडोसी राज्यों में भी करते है | और सालाना 70 लाख से भी अधिक मुनाफे का कमाते है |

क्या होती है यह मचान विधि-

इस मचान विधि में एक ही स्थान पर कई सब्जिओ की पैदावार हो जाती है | इस वजह से यह कम जगह पर अधिक प्रकार की सब्जियों को पैदा कर के अधिक मुनाफा देती है | मचान विधि में खेत में लकड़ी और बांस के मचान ( स्ट्रक्चर) बनाकर उस पर लोकी, तोराई, करेला, खीरा, परवल की लता इस पर चढाई जाती है |

वही जमीन के अंदर पैदा होने वाली सब्जी जैसे आलू, मुली, चुकंदर, शलजम आदि जमीन के अंदर और सतह पर होने वाली सब्जी गोभी, टमाटर, भिन्डी, मिर्च, आदि उसी जगह पर की जाती है | मतलब तीनो तरह से पैदावार होने वाली सब्जी एक ही जगह पर हो जाती है | इस तरह से पैदावार होने वाली सब्जी को मचान विधि कहते है |  

यह लेख अपने किशान भाइयो के साथ जरुर शेयर करे | ताकि उन्ही भी इस  मचान विधि की जानकारी हो | ऐसे ही लाभकारी जानकारी व अन्य article पढने के लिये नीचे दी गयी bell से हमसे जुड़े | जिससे हर जानकारी आपके फोन तक पहुचे | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |

दुनिया ने बोला तुम से न हो पायेगा….30 साल के इंजीनियर लड़के ने खड़ी कर दी करोड़ो की कम्पनी-

दुनिया ने बोला तुम से न हो पायेगा….30 साल के इंजीनियर लड़के ने खड़ी कर दी करोड़ो की कम्पनी-

आज यह article आपके अंदर बहुत सीख दे कर जायेगा | उत्तर प्रदेश के छोटे शहर का लड़का जिसके स्कूल के टीचर बोला कि तुम जिंदगी में कुछ भी नहीं कर सकते | और इस शब्द की जिद ने ही बना दिया करोड़ो की कम्पनी का मालिक |

आप सभी का एक बार फिर everythingpro.in के success story in hindi में स्वागत है | चलिए शुरू करते है एक और जोश व नई प्रेणना देने वाली मोटीवेट स्टोरी जो आपके लक्ष्य तक पहुचने में मदद करेगी |

परिचय-

आज हम जिन शक्स के बारे में बात कर रहे है वो है आमिर क़ुतुब (Amir Qutub) | आमिर क़ुतुब उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर के रहने वाले है | आमिर क़ुतुब एक बहुत ही साधारण परिवार से है | आमिर क़ुतुब के पिता जी हमेशा से चाहते थे कि उनका बेटा डॉक्टर या इंजीनियर बने | पर आमिर क़ुतुब चाहते थे कि वो कुछ ऐसा बिज़नस करे या काम करे |

जिसमे वो खुश रहे | मुख्य रूप से आमिर क़ुतुब अपना ही कुछ बिज़नस करना चाहते थे | पर क्या करना था ? कैसे करना था ? इसकी उन्हें कोई भी समझ नहीं थी | आमिर क़ुतुब के पिता जी अक्सर उनसे कहा करते कि इन सब के चक्कर में न पड़ो आगे अपनी पढाई करो और एक अच्छी सी जॉब करने की सोंचो |

यह सब बिज़नस पैसे वालो के ही काम है | हमारे बस का काम नहीं है | पर कही न कही आमिर क़ुतुब इन शब्दों से संतुष्ट नहीं थे | 

इंजीनियरिंग की दस्तक-

पापा की उस वक़्त बात मानते हुए | आमिर क़ुतुब ने इंजीनियरिंग में दाखिला ले लिया | और न चाहते हुए उन्हें इंजीनियरिंग में मैकेनिकल इंजीनियरिंग मिल गयी | पर उन्होंने सोंचा कि चलो हम इसमें ही कुछ नया सीखने को मिलेगा | नई गाड़िया बगेरा बनाने को मिलेगा | पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ |

यहा भी वही हुआ जो 12वी तक हुआ करता, वोही फार्मूला, वोही कंसेप्ट, वोही एग्जाम सब वोही सब पर कुछ नया सीखने को नहीं | ऐसा कुछ भी नहीं जो हम अपनी आने वाली जिंदगी में प्रेक्टिकली कर के देखे | और इस तरह आमिर क़ुतुब का पढाई से मन हटने लगा |

इस वजह से आमिर क़ुतुब के अंक कम आने लगे | एक बार तो एक टीचर ने भरी क्लास में आमिर क़ुतुब से बोला कि तुम लिख के लेलो, तुम अपनी जिंदगी में कुछ भी नहीं कर सकते | और यह बात आमिर क़ुतुब के दिल को बहुत लगी | और वो अंदर ही अंदर टूटने लगे |

उन्हें लगने लगा कि वो वाकई अपनी जिंदगी में कुछ भी नहीं कर सकते | वो क्लास बंक करने लगे पढाई से उनका बिल्कुल मन हट गया |

कॉलेज के प्रोग्राम से आया वापिस आया विश्वास-

इंजीनियरिंग कॉलेज में हर कुछ महीने में कोई न कोई प्रोग्राम या फेस्टिवल होते रहते है | आमिर क़ुतुब के कॉलेज में भी एक दिन टेक फेस्टिवल आयोजित हुआ | जिसमे आमिर क़ुतुब ने 2nd ईनाम जीता | और जब वो अपना ईनाम लेने गये तो उन्ही टीचर ने दिया जिन्होंने बोला था कि तुम लिख के लेलो, तुम अपनी जिंदगी में कुछ भी नहीं कर सकते |

उसी वक़्त आमिर क़ुतुब ने अपने आप से बोला भले ही में पढाई में कमजोर हूँ | पर में अपनी जिंदगी में कुछ तो कर सकता हूँ | जो आज में 2nd पोजीशन पर आया हूँ | इस तरह आमिर क़ुतुब का एक बार फिर कुछ नया करने के लिए प्रेरित हुए |

रुख मोड़ा कंप्यूटर इंजीनियरिंग की तरफ-

टेक फेस्टिवल में अच्छी परफोर्मेंस के बाद आमिर क़ुतुब के अंदर एक विचार आता है कि वो अपने कॉलेज के लिए कुछ ऐसा बनाये जिससे उनके कॉलेज के बच्चे आपस में जुड़ सके | और अपने आईडिया share कर सके | आमिर क़ुतुब ने अपने दोस्तों से अपनी बाते सांझा की | पर उनके दोस्तों ने बोला कि तुम हो मैकेनिकल इंजीनियरिंग के और तुम्हे कंप्यूटर के बारे में कुछ पता नहीं है और तुम app बनाने की बात कर रहे हो |

आमिर क़ुतुब ने अपने दोस्तों की बातो को इग्नोर किया और 6 महीने कंप्यूटर कोडिंग सीखी | और कुछ महीने में ही अपने ही स्कूल के लिए एक apps बना दी | जिसमे कुछ ही महीने में उनके कॉलेज से 2 हज़ार बच्चे जुड़ गये | जिससे उन्हें एक नया विश्वास मिला | टीचर को सब कुछ नहीं पता है | कुछ तो है जो में अपनी जिंदगी में कर सकता हूँ |

इंजीनियरिंग के बाद जॉब के द्वार पर दस्तक देना-

हर इंजीनियरिंग स्टूडेंट अपनी इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद दिल्ली या नॉएडा की तरफ भागते है | और ऐसा ही हुआ आमिर क़ुतुब के साथ वो भी आ गये | उत्तर प्रदेश के नॉएडा शहर में और कई जगह जॉब के लिए apply करने लगे |

मैकेनिकल इंजीनियरिंग होने के कारण उन्हें हौंडा कम्पनी में जॉब मिली | पर वहा कुछ ही महीने के बाद उन्हें ऐसास हुआ कि जैसे वो एक जेल में बंद हो | और उन्होंने वहा से जॉब छोड़ दी और निकल गये अपने सपनो की ओर |

जॉब छोड़ने के बाद समस्या यह थी कि वो क्या करे | क्योकि उनके पास पैसे नहीं थे | अपना बिज़नस करने के लिये | पैसे कमाने के लिए वो freelancer कम्पनी का उपयोग करने लगे | जिसमे वो लोगो के बिज़नस प्रॉब्लम को , अपनी app के रूप में solve करके देने लगे |

freelancer के वजह से उनके भारत के बहार ऑस्ट्रेलिया में लोगो से सम्पर्क होने लगे | और उसी में से एक ने सुझाव दिया कि आप ऑस्ट्रेलिया ही आये | और यहा अपना बिज़नस करे | और यह आईडिया आमिर क़ुतुब को पसंद आ गया | और उन्होंने स्टूडेंट visa बनवा कर, MBA करने के लिये और अपना बिज़नस शुरू करने के लिये ऑस्ट्रेलिया पहुच गये |

मुश्किल समय-

ऑस्ट्रेलिया पहुचने के बाद उनके सामने बहुत समस्या आयी | उन्होंने सोंचा की ऑस्ट्रेलिया आकर उनकी मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री काम आयेगी | पर ऐसा नहीं हुआ उन्होंने लगातार 170 जॉब के लिए apply किया | पर हर जगह से निराशा हाथ लगी |

उस वक़्त उन्हें लगा जैसे उन्होंने अपने पैरो पर कुल्हाड़ी मार दी हो | जब कही भी जॉब नहीं मिली तो उन्होंने एअरपोर्ट पर कचरा व झाड़ू लगाने का काम मिला | जिससे वो वहा रह और खा सके | पर इतना सब उनके लिये काफी नहीं था क्योकि उन्हें अपना बिज़नस के लिए पैसे कमाने थे | दिन में एअरपोर्ट में कचरा उठाने और झाड़ू लगाने का काम और रात में न्यूज़ पेपर लोगो के घर में फेकने का काम |

यह सब उन्होंने 1 से 1.5 साल तक किया और इसमें उन्होंने 4000$ पैसे जमा कर के, अपना बिज़नस शुरू किया जिसमे वो लोगो के बिज़नस की समस्या अपनी app बना कर solve करते | कई महीने तक घुमने पर उन्हें ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं मिला जो उनके साथ काम करना चाहे |

आमिर क़ुतुब ट्रेन, बस, मॉल, आदि जगह जाते और अपने बिज़नस के बारे में लोगो को बताते | पर कई महीने मेहनत करने के बाद एक बार बस में ऐसा व्यक्ति मिला जिसकी बिज़नस की समस्या  आमिर क़ुतुब ने दूर कर दी | और इसके बाद उस व्यक्ति को हर महीने 2000$ से 3000$ (भारतीय रूपए लघभग 2 लाख 20 हज़ार ) का प्रॉफिट होने लगा | और आमिर क़ुतुब को मंजिल मिल गयी | और साथ में बिज़नस करने लगे |

धीरे धीरे वो अन्य लोगो के साथ बिज़नस करने लगे | और आज उन्होंने अपनी खुद की कम्पनी खोल दी |जो की ऑस्ट्रेलिया में है | जिसका सालाना टर्नओवर करोड़ो में है | यह वाकई मेहनत और लगन का ही फल है |

हमने आज इस article से क्या सीखा-

हमने आज इस article के माध्यम से आप सभी को समझने का प्रयास किया है कि जिंदगी में मेहनत के बाद ही सफलता है | मेहनत करते जाईये सफलता आपका इंतजार कर रही है |

उम्मीद करते है यह article आपको नई प्रेणना देगा और आपके लक्ष्य तक पहुचने में मदद करेगा | अपने मित्र व परिवार तक जरुर share करे | ऐसे ही interested व मोटीवेट article के लिए हमारी website से जुड़े रहे | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |

एक फेलियर बार बार फ़ैल होने के बाद भी डिप्टी कलेक्टर तक बनने का सफर-

rahul sinha

एक फेलियर बार बार फ़ैल होने के बाद भी डिप्टी कलेक्टर तक बनने का सफर-

एक बच्चा जो पढाई में बहुत कमजोर हो | जो बार बार छोटी से छोटी परीक्षा में बार बार फ़ैल हो जाये | और दुनिया उस पर एक फेलियर का टेग लगा दे | पढाई में कमजोर होने के बाद भी , दुनिया की नजरो में फेलियर का टेग लिये हुए इन्सान ने कैसे अपनी कमजोरी के साथ एक डिप्टी कलेक्टर तक बनने का सफर तय किया |

हर उस व्यक्ति के लिये यह काहनी प्रेणना देने वाली है | जो बार बार असफल होने पर टूट जाते है | और टूट कर वापिस खड़ा हो जाना ही जिंदगी है | आप सभी का एक बार फिर everythingpro.in के success story in hindi में स्वागत है |

आज एक फेलियर जो अपनी जिंदगी में बार बार फ़ैल होने के बाद भी डिप्टी कलेक्टर का सफर तय किया | चलिए शुरू करते है-

एक ऐसे लड़के की कहानी जो स्कूल से लेकर कॉलेज में हर जगह फ़ैल हुआ और कई बार हुआ | उसके बाद भी अपने कलेक्टर बनने का सपना नहीं छोड़ा | हम बात कर रहे है एक कायस्थ परिवार के राहुल सिन्हा के बारे में जो अपनी जिंदगी के लघभग हर मुख्य सफर पर फ़ैल हुए | उसके बाद भी उन्होंने अपनी मंजिल प्राप्त की |

एक शब्द जो मुकाम पर ले गया-

राहुल सिन्हा की कहानी शुरू होती है उनके बचपन से, बात ऐसी है कि राहुल बचपन से ही कुछ आलसी थे जो अक्सर वो अपना काम किसी और से करवाते थे | तब उनके घर वाले उनसे बोलते थे कि बड़ा लाटसाहब बन रहा है |

राहुल के दिमाग में यह बात बैठ गयी की यह लाटसाहब का मतलब क्या होता है ? राहुल जैसे जैसे बड़े हुए तो उन्हें पता लगा कि लाटसाहब कलेक्टर को बोला जाता है यह एक बहुत बड़ी post होती है | जिस पद तक पहुचने के लिए बहुत मेहनत की जाती है | उस वक़्त ही राहुल के दिमाग में यह बात आ गयी | राहुल का सपना हो गया कि उन्हें बस कलेक्टर बनना है |

असलियत में पढाई में बहुत कमजोर छात्र-

राहुल सिन्हा  असलियत जिंदगी में बहुत ही कमजोर विधार्थी थे | राहुल बताते है कि वो इतने कमजोर छात्र थे कि उनकी क्लास में 30 छात्र में से वो पढाई में 30 वे ही नंबर पर थे | राहुल के पिता जी बैंक में थे तो जब उनका ट्रान्सफर किसी अन्य शहर में हुआ |

तो राहुल को एक अन्य स्कूल में दाखिला के लिए | राहुल को उस छोटे से स्कूल का एक टेस्ट पास करना होना था | और राहुल उस छोटे से टेस्ट को भी पास नहीं कर सके | यह हालत थी राहुल की पढाई की |

जिन्दगी के इमतांह-

राहुल सिन्हा जैसे तैसे 10 वी में आये | तो उनके 10वी का जिस दिन रिजल्ट आया | उस दिन उनके घर का माहोल न खुसी का था और न ही गम का | क्योकि राहुल के 10वी में 52% आये | और जब उनके पिता जी किसी को लडखडाते हुए अपने बच्चे का रिजल्ट बताते | तो वो मायूसी राहुल ने महसूस कर ली थी | कुछ ऐसे ही कम प्रतिशत अंको के साथ 12वी हुई |

मन था इंजीनियरिंग करने का –

12वी के बाद राहुल के दोस्त सभी इंजीनियरिंग करने जा रहे थे | राहुल का भी मन हुआ कि वो एक इंजिनियर बने | और इंजीनियरिंग में दाखिला के लिए वो तैयारी करने कोटा चले गये | और एक साल कोटा में इंजीनियरिंग में दाखिला के लिए पढाई की |

असफलता की शुरुआत-

राहुल ने एक साल कोटा में पढाई करने के बाद इंजीनियरिंग में AIEEE में एग्जाम देना शुरू कर दिया | और पहली बार में उन्हें असफलता हाथ लगी | राहुल ने अपने पिता जी से बोला कि में एक बार और देना चाहता हूँ | राहुल ने फिर अगली साल एग्जाम दिया | और राहुल का इस बार फिर नहीं हुआ |

दुनिया ने राहुल पर प्रश्न करना शुरू कर दिये थे कि दो साल कोटा में रहने के बाद भी एक एग्जाम पास नहीं कर पा रहा है | राहुल ने बड़ी हिम्मत से एक बार फिर अपने पापा से इजाजत मांगी कि एक बार मुझे और कोशिश करने दे इस बार 100% हो जायेगा |

राहुल ने फिर एग्जाम दिया और इस बार भी उनका नहीं हुआ | और आखरी में उन्हें एक प्राइवेट कॉलेज से ही अपनी इंजीनियरिंग करनी पड़ी | इंजीनियरिंग धीरे धीरे शुरू हो गयी | और फाइनल ईयर में राहुल अधिकतर कम्पनी में इसलिए नहीं बैठ सके क्योकि उनके 10वी और 12वी में बहुत कम अंक थे | और जिस प्लेसमेंट कम्पनी में राहुल बैठे उसमे भी उन्हें सफलता का स्वाद नहीं मिला |

उसके बाद राहुल पर कोई option नहीं था उन्होंने सोंचा कि वो CATE (Computer Aided Test Engineering) की तैयारी करते है | और आखिर में 2 बार प्रयास करने के बाद भी उन्हें फिर असफलता हाथ लगी |

कुछ बढ़ते कदम-

राहुल का CATE में भी सफलता नहीं मिलने पर | उन्होंने फिर छोटी जॉब करना शुरू कर दिया | और साथ में ही पढाई | प्राइवेट कम्पनी में जॉब करने के बाद, शादी हो जाने के बाद राहुल कि जिंदगी धीरे धीरे चलने लगी | पर इन सब के बीच उन्हें ध्यान आया कि उन्होंने जो बचपन में अपने दिमाग में बीज बोया था |

वो अब धीरे धीरे बड़ा होने लगा था | उसके बाद यूपीएससी एग्जाम देने का विचार किया | राहुल ने हर साल यूपीएससी का एग्जाम का फॉर्म भरा पर डर के मारे वो एग्जाम देने नहीं गये | जब यूपीएससी का लास्ट चांस बचा था तब उन्होंने सोंचा कि इस बार में जरुर जाऊंगा | और कड़ी मेहनत की और एग्जाम दिया |

एग्जाम का रिजल्ट आने पर उन्हें फिर से वोही असफलता हाथ लगी | जो उनके बचपन से उन्हें लग रही थी | राहुल ने सोंचा की इस जन्म में शयद वो अपने कलेक्टर बनने का सपना पूरा नहीं कर पयेंगे | इसी बीच DPSC State Public Service Commission के फॉर्म आये जिससे उन्हें पता लगा कि इस एग्जाम को पास करने के बाद भी डिप्टी -कलेक्टर बना जा सकता है |

इस एग्जाम के लिए भी राहुल पर आखिरी मोका था इसके बाद वो किसी भी गवर्नमेंट जॉब के लिये प्रयास नहीं कर सकते थे | राहुल ने अपने आप से बोल दिया कि इसी जन्म में दुनिया के बीच फेलियर का टेग है वो खत्म करना है | राहुल ने दिन रात एक कर दी और आखरी प्रयास किया |

आखरी प्रयास में जिंदगी के हर मोड़ पर असफलता से परिचय होते होते उन्हें आखिरी में सफलता ही मिली | राहुल ने एग्जाम पास किया और महज 92 रेंक ला कर अपने फेलियर का टेग हटा दिया | और आज वो डिप्टी कलेक्टर के पद पर कार्यरत है | राहुल सिन्हा की कहानी नये युवा के लिए एक प्रेणना है |

हमने इस article से क्या सीखा-                  

हमने आप सभी को इस article के माध्यम से बताने का प्रयास किया है कि जिंदगी में असंभव कुछ भी नहीं है | हर असफलता के बाद एक प्रयास जरुर करे | क्या पता वो प्रयास आपका आखिरी प्रयास हो |

उम्मीद करते है यह article आपके लक्ष्य तक पहुचाने में मदद करेगा | ऐसे ही interested व मोटीवेट article पढने के लिए | हमारी website से जुड़े रहे |नीचे दिये bell icon को प्रेस करे | जिससे हर story आप तक पहुचे | अपनी अपनी राय नीचे दिए कमेंट बॉक्स में दे | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |

आप नीचे दिए join telegram से भी जुड़ सकते है | जिससे हर रोज एक मोटीवेट व अच्छी सीख आप तक पहुचे | यदि आपके घर में कोई भी बच्चा व युवा है तो हमारे पोर्टल से उसे जरुर जोड़े | क्योकि हमारा लक्ष्य ही है युवा पीढ़ी को उनके लक्ष्य का मार्गदर्शन करना |

Join Telegram

ध्यान दे यदि join telegram बटन काम न करे | तो एक या दो बार पेज को रिफ्रेश करे | या टेलीग्राम पर जा कर सर्च करे @everythingpro_in और ज्वाइन करे | धन्यवाद

पोलियो बॉडी में है मन में नहीं और अपनी ज़िद से बन गयी एक CA और IRS अफ़सर-

पोलियो बॉडी में है मन में नहीं और अपनी ज़िद से बन गयी एक CA और IRS अफ़सर-

यह मोटीवेट स्टोरी उन शक्स के लिए है जो भगवान के दिये हुए शरीर को, अपने लक्ष्य की ओर न बढ़ने के लिये अपने शरीर को समस्या मानते है | भगवान यदि एक चीज हमसे लेता है तो बदले में कई चीज दे देता है जो औरो से बहतर हो | आज हम बात करने जा रहे है एक ऐसी लड़की जिसको बचपन से ही पोलियो हो गया |

जिनके शरीर ने उन्हें और लोगो से असामन्य रखा | समाज और दुनिया का एक नजरिया कि यह कुछ भी नहीं कर सकती | कड़ी मेहनत, लगन और विश्वास से समाज और दुनिया को बताया की पोलियो शरीर में है पर मन में नहीं | आप सभी का एक बार फिर everythingpro.in के success story in hindi में स्वागत है |

हमारे हर article लिखने का एक ही मकसद है कि हम अपने शब्दों द्वारा आप सभी के लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित करा सके | चलिए शुरू करते है एक और दिलो में जोश व प्रेणना भर देने वाली मोटीवेट स्टोरी |

बचपन में ही आ गये कष्ट-

हम जिस लड़की के बारे में बात कर रहे है उनका नाम है सारिका जैन (sarika jain)| सारिका का जन्म उडीसा के एक छोटे से कस्बा कातामंजी में हुआ | बचपन में ही महज 2 वर्ष में ऐसी बीमारी हुई जहा माँ-पिता को भी न थी यह जानकारी की यह पोलियो क्या होता है |

माँ-पिता डॉक्टर के पास ले गये | डॉक्टर ने कहा मरेलिया है | और डॉक्टर ने इंजेक्शन दे दिया | जिस कारण से सारिका का 50% शरीर काम करना बंद कर गया |

माँ बाप ने न मानी हार-

50% शरीर काम न करना | हम कल्पना भी नही कर सकते कितना कष्ट देने वाला समय होगा | माँ पिता ने हर हकीम , हर डॉक्टर के पास चक्कर लगा लिये | माँ ने हार न मानी और दिन रात मालिश की और सालो बाद सारिका गिरते हुए , लड़खड़ाते हुए और 4 साल की उम्र में चलना सीखी |

माँ पिता ने कभी भी ऐसास नहीं होने दिया कि वो एक असामन्य लड़की है |  धीरे धीरे समय बिता | और आगे जिंदगी बढती चलो गयी |

दुनिया को किया अनदेखा-

माँ पिता ने स्थनीय स्कूल में ही दाखिला दिलवा दिया जो बहुत अधिक संघर्षपूर्ण था | स्कूल जाती तो बच्चे चिड़ाते , मजाक उड़ाते, रास्ते में कंकर मारते बहुत ही संघर्षपूर्ण वो सफर था | सारिका ने उस वक़्त अपने आप से बोला की यदि आज मैंने इस दुनिया को देख लिया , या अपने आप को रोक रिया तो में आगे नही बढ़ पाऊँगी | और दुनिया को अनदेखा कर, करी अपनी बचपन की पढाई पूरी |

डॉक्टर बनने की थी इच्छा-

सारिका का छोटे से ही मन था कि वो एक डॉक्टर बन सके ताकि वो जिस बीमारी से लड़ रही है | इस तरह से और कोई बच्चा न लड़े | पिता जी से बोला कि में डॉक्टर बनना चाहती हूँ | पिता ने बड़े निराश मन से बोला कि हमारी हेसियत नहीं है कि में तुम्हे डॉक्टर बनाऊ | घर की परिस्थति को देख कर सारिका ने कोमर्स ले लिया |

एक हर पिता का सदेव येही इच्छा रहती है कि उनकी बिटिया पढ़ लिख जाये और एक अच्छे घर में शादी हो जाये | पर यहा सारिका के साथ बहुत समस्या थी क्योकि यहा उन्हें शादी का दूर दूर तक कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था |

दुनिया और समाज का नजरिया था कि घर  पर ही अपना जीवन बिताना है | पर सारिका के अंदर एक जुनून एक विश्वास था कि इस समाज का वो नजरिया बदल सके | और आखिरी में उन्होंने बस अपने आप से बोला की उन्हें बस पढना है |

बड़ी बहन ने अक्सर सारिका को प्रेरित किया | कि यह समय बदल जायेगा | सारिका 4 साल घर पर रहने के बाद उन्हें एक अवसर मिला कि वो CA (Chartered Accountant) का एग्जाम दे सकती है | और CA की पढाई घर से ही शुरू कर दी | उनके गाँव से लघ लघभग 40 बच्चो ने एग्जाम दिया |

सारिका की मेहनत ने CA का एग्जाम top किया | वहा से माँ पिता के अंदर हिम्मत आई कि यह बच्ची कुछ कर सकती है | और आगे पढने का मोका देना चाहिए | सारिका आगे पढने के लिए शहर चली गयी | और CA बन गयी | घर में ख़ुशी का माहोल हो गया |

क्योकि सारिका के घर में किसी ने भी इतनी अधिक पढाई नहीं की थी | और उस लड़की ने कर दिखया जो समाज की नजरो में एक असमान्य लड़की थी |

ट्रेन ने दी यूपीएससी की जानकारी-

शहर से घर, घर से शहर अक्सर वो ट्रेन से जाया करती | एक बार ऐसा हुआ कि वो अपने घर से शहर जा रही थी | और किसी के मुंह से यूपीएससी की पॉवर को जाना | कि आईएएस अफ़सर नाम की भी कोई चीज होती है | सारिका ने उन लोगो से हिम्मत जुटा कर पूछा कि क्या करना होता है IAS बनने के लिये |

लोगो के जबाब आये कुछ नहीं बेटा बस पढना पढता है | और उस वक़्त लोगो की बाते सुन सुन कर | सारिका के मन में दिल और दिमाग पर आ गयी | कि उन्हें बस यूपीएससी का एग्जाम देना है | सारिका CA बन कर घर आई और बोला की उन्हें IAS अफसर बनाना है |

तो घर में सभी ने कहा कि लड़की को भूत चड़ गया है | केसी बहकी बहकी बाते कर रही है | पिता ने बोला हमारी जेसी फैमिली के बच्चे आईएएस नहीं बनते है | हम बहुत साधारण लोग है | ऑफिसर श्रेणी के बच्चे अलग ही परिवार के होते है |

लगन व मेहनत से जीता सभी का दिल-

घर में विवाद होने के बाद | सभी घर वालो ने फैसला किया कि जब सारिका चाहती है तो 1 साल का समय दे देते है | और आखिर में घर वाले राजी हो गये | और सारिका ने घर से ही पढाई शुरू कर दी | जब सारिका की घर की पढाई देख कर घर वालो ने सोंचा यह मेहनत इतना कर रही है |

एक बार फिर बहार भेज देते है | और सारिका अपने ही बल पर दिल्ली पढने आ गयी | और महज एक साल में ही यूपीएससी का एग्जाम पास कर दिया | और सारिका से सारिका जैन डिप्टी कमिश्नर आयकर विभाग में कार्यरत हुई |

हमने आज इस article से क्या सीखा-

हमने इस article के माध्यम से बताने की कोशिश की है कि हम जिस रूप में भी है जिस तरह से भगवान ने हमे बनाया है वो हमारे लक्ष्य तक पहुचने के लिये काफी है | हमे अपने अंदर का हुनर को जानना है और बस अपने लक्ष्य की और बढ़ना है | आप अपना काम करिये और परमात्मा अपना काम करेंगे | और एक दिन सफलता अवश्य मिलेगी |

उम्मीद करते है हम की यह मोटीवेट सारिका जैन की कहानी आपको आपके लक्ष्य तक पहुचाने में मदद करेगी | ऐसे ही interested व मोटीवेट article पढने के लिए हमारी website से जुड़े रहे | व अपने मित्रो व परिवार तक इस मोटीवेट कहानी को जरुर शेयर करे | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |

ट्रक चालक का बेटा बना IAS अफसर-

आज का article आपको बतायेगा कि जब हालात गंभीर हो तो मेहनत खुदवा खुद होने लगती है | आज हम बात कर रहे है एक ट्रक ड्राईवर के बेटे हरविंदर सिंह की |

जो एक प्राइवेट जॉब करते वक़्त भी उन्होंने अपने सपने को पंख लगाये | हरविंदर सिंह की भी कहानी काफी रोचक व मोटीवेट है | जो हम युवा को प्रेरित करेगी अपने बढ़ते लक्ष्य की ओर-

बचपन में ही दिया कुदरत ने संकेत-

जब हरविंदर सिंह छोटे थे | और उनके घर की इस्थिति कुछ खास नहीं थी | घर अधिक बना हुआ नहीं था | घर में रसोई घर नहीं थी | उनकी माँ जमीन पर ही खाना बनाती | एक दिन हुआ ऐसा कि उनकी माँ खाना बनाने के लिए पानी भरने गयी | और अचानक से हरविंदर सिंह की रोने की आवाज आती है |

हरविंदर सिंह उस वक़्त महज 3 वर्ष के थे | हरविंदर सिंह ने अपने हाथ की उंगलिया गर्म तेल में डाल दी थी | जिस वजह से उनके हाथ की 3 उंगलिया बचपन से ही सीधी नही रही | पर हरविंदर सिंह को नहीं पता था कि यह हादसा ही उन्हें एक दिन IAS अफसर बना देगा |

आप सभी का एक बार फिर everythingpro.in के success story in hindi में आपका स्वागत है | चलिए शुरू करते है एक और प्रेणना से भरने वाली मोटिवेट स्टोरी |

धीरे धीरे समय बिता हरविंदर सिंह की पढाई स्थानीय स्कूल से ही हुई | उसके बाद हरविंदर सिंह बोर्डिंग स्कूल में चले गये | वहा उनके मन में देश प्रेम के प्रति आकर्षित हुए | और उन्होंने विचार किया कि वो भारतीय सेना में अपना भविष्य बनायेंगे | व देश को अपनी सेवा देकर सोभाग्य महसूस करेंगे |

हरविंदर सिंह ने 12वी पास होने के तुरंत बाद NDA (National Defense Academy) का एग्जाम दिया | हरविंदर सिंह ने NDA के सभी एग्जाम , इंटरव्यू सब पास कर लिये | और वो फिजिकल टेस्ट के लिये इलाहाबाद गये |

जहा उन्होंने सभी टेस्ट पास कर ही लिए थे कि अचानक डॉक्टर की नजरे उनके हाथ पर गयी | और उन्होंने इस हाथ को देख कर हरविंदर से बोल दिया कि इस हाथ की वजह से आप भारतीय सेना में नहीं जा सकते | हरविंदर सिंह का सपना टूट गया | और वो निराश उदास हो गये |

हरविंदर सिंह का उस वक़्त का दुःख हम सब महसूस कर सकते है | कि इतनी मेहनत करने के बाद एक किसान ट्रक ड्राईवर का लड़का सभी एग्जाम को कड़ी मेहनत से पास करने के बाद भी उनका सिलेक्शन नहीं हुआ |

जब वो वापिस जा रहे थे तो उन्होंने उन डॉक्टर से बोला कि सर में क्या करू | जो मेरा सिलेक्शन हो जाये | उन्होंने बोला कि आप फिर से एग्जाम दे और एग्जाम देने से पहले अपने हाथ की सर्जरी करवा ले | उसके बाद आपको सिलेक्शन मिल जयेगा |

हरविंदर सिंह का इलाहाबाद से एक खास रिश्ता-

हरविंदर सिंह ने NDA (National Defense Academy) और AIEEE (All India Engineering Entrance Examination) दोनों के entrance एग्जाम दिये | हरविंदर सिंह वापिस इलाहाबाद से आ गये | और उन्होंने फिर एक साल बाद अपने हाथ की सर्जरी करवा कर , एक बार फिर NDA पास कर के फिर एक बार इलाहाबाद अपने सपने को पूरा करने गये |

वही शहर, वही जगह, वही इन्सान और वही डॉक्टर | उन्होंने देखा कि हरविंदर सिंह के हाथ पर operation के करण हाथ में टाँके लगे हुए थे | डॉक्टर ने हरविंदर सिंह की तरफ देखा और बोला बेटा में खुद चाहता हूँ कि तुम को पास करू |

इस हाथ की वजह से मुझे नहीं लगता की तुम ट्रेनिंग भी पूरी कर पओगे | और एक बार फिर डॉक्टर ने मना कर दिया | अपने आप से नाराज, उदास, दुखी हो कर हरविंदर सिंह वापिस आ गये | और इंजीनियरिंग में दाखिला ले लिया | और अपनी इंजीनियरिंग पूरी करी |  

इंजीनियरिंग करते वक़्त उन्हें ख्याल आया कि उनके घर की क्या हालात है | और महसूस किया कि उनके पिता जी खेती के साथ साथ ट्रक चलाकर कैसे अपने परिवार को पाल रहे थे | हरविंदर सिंह ने विचार किया की उन्हें जल्द से जल्द पैसे कमा कर घर की मदद कर सके | उन्हें अपने सपने रख कर पहले वो खुद आत्मनिर्भर बने | ताकि उनके घर पर थोड़ी सी मदद हो सके |

2013 में इंजीनियरिंग खत्म हो जाने के बाद उनकी पहली प्राथमिकता थी कि पैसे कमाना | पर प्लेसमेंट में अधिक कम्पनी न आने के कारण उनकी जॉब नहीं लग सकी | वापिस घर गये और एक मोका मिला एक प्राइवेट कॉलेज में पढ़ाने का जहा उन्होंने पढाया | उसके बाद एक प्राइवेट सेक्टर में सिविल इंजिनियर की जॉब वो करने लगे |

किस्मत एक बार फिर ले आई इलाहबाद-

एक बार फिर इलाहाबाद ले आई उनकी जिंदगी | एक और प्राइवेट सेक्टर में जॉब करने इलाहाबाद आ गये | जॉब करते करते उन्हें ऐसास हुआ कि उन्होंने अपने लिए कुछ मकसद बनाये थे और वो अपने सपनों से कही न कही दूर हो रहे है |

इस बीच प्राइवेट जॉब करते करते उन्हीने अपने सपनो के लिए पढाई शुरू कर दी | पर प्राइवेट जॉब में बहुत अधिक प्रेसर होने के कारण वो अपने सपने पर ध्यान नहीं दे पा रहे थे | पर उसके बाद भी वो दिन में जॉब करते और रात में पढाई | पर प्राइवेट जॉब में आदमी हतास हो जाता है |

उन्होंने विचार किया इलाहाबाद में ही कि भले ही उनका सिलेक्शन भारतीय सेना में नही हुआ | पर और भी तरीके है जिस से वो देश की सेवा कर सकते है | और तब उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने का विचार किया | और लग गये सपनो की ओर |

जब लक्ष्य हो मजबूत तो किस्मत भी साथ देगी-

कहते हेना जब आप मेहनत करते है तो किस्मत भी कहती है कि मेहनत तो कर में तेरा इंतजार कर रही हूँ | हरविंदर सिंह के साथ भी हुआ | वो प्राइवेट जॉब करने के बावजूद भी अपनी पढाई को कई घंटे देते | पर प्राइवेट जॉब के कारण वो इतनी मेहनत नहीं कर पाते जितना वो करना चाहते थे |

उनकी मेहनत और किस्मत ने साथ देते हुए उन्हें जम्मू कश्मीर स्टेट गवर्नमेंट PWD में सिलेक्शन हो गया | जॉब जॉइन करने के पहले ही दिन से हरविंदर सिंह ने बहुत मेहनत की | और यूपीएससी में 2016 से पहला प्रयास किया पर सफलता नहीं मिली |

फिर 2017 में प्रयास किया फिर भी नहीं मिली सफलता | फिर हरविंदर सिंह ने अपने आप से बोला की बस एक बार और प्रयास और फिर 2018 के यूपीएससी में 256 रेंक प्राप्त की | हरविंदर सिंह को एक आईएएस अफ़सर बना दिया |

हमने आज इस article से क्या सिखा-

आज इस article से हमने 2 बाते सीखी | पहली हमे एक आखरी प्रयास जरुर करना चाहिए | और दूसरी भले ही हम अपने पेरो पर खड़े हो जाये पर हमे अपने लक्ष्य से नहीं भटकना चाहिए | हरविंदर सिंह चाहते तो PWD जॉब से ही अपना जीवन यापन कर सकते थे | पर उनका लक्ष्य एक आईएएस अफसर बनना था |

उम्मीद करते है यह कहानी भी नई पीढ़ी के लिये प्रेणना होगी | व उनके लक्ष्य तक पहुचाने तक मदद करेगी | अपने मित्र व परिवार के साथ जरुर share करे | ऐसे ही interested व मोटीवेट स्टोरी के लिए हमारी website से जुड़े रहे | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |

प्रेमिका से बोला कि तुम हाँ कर दो ….बदल दूंगा दुनिया …प्रेमिका के एक हाँ ने बना दिया आईपीएस अफ़सर –

यह article आपको पढने में बहुत मज़ा आने वाला है | और इस article को पढ़ते-पढ़ते आपको ऐसा ऐसास होगा की जैसे आप एक मसाले दार फिल्म देख रहे है | हम आपसे पूरे विश्वास से कहते है | इस article के शब्द पढकर आपके मन में एक दृश्य सा बनने लगेगा | मानो जैसे यह फिल्म चल रही हो |

यह कहानी आपको बहुत अधिक प्रेरित करेगी व सोचने पर मजबूर करेगी | जब एक लड़का 9th 3rd डिवीज़न, 10वी 3rd डिवीज़न, 11वी 3rd डिवीज़न और तीनो क्लास नकल से पास हो कर और 12th फ़ैल क्लास वाला एक लड़का | आईपीएस अफ़सर बन सकता है |

तो इस दुनिया में मेहनत से  सब कुछ संभव है | हम आपको पूरी कोशिश करते है कि हम अपने लेख द्वारा आपको यह कहानी एक दृश्य के रूप में प्रस्तुत कर सके | आप सभी का एक बार फिर everythingpro.in के success story in hindi में आपका स्वागत है |

आज जिस शख्स की हम बात कर रहे है उनका नाम है डॉ. मनोज कुमार शर्मा | चलिए डॉ शब्द बाद में लगाते है | पहले सिर्फ एक मामूली लड़का मनोज से शुरू करते है |

नोट- इस article के लिखने का सिर्फ एक ही मकसद है कि इस कहानी से नयी पीढ़ी प्रेरित हो | हमारी ऐसी मंशा बिल्कुल भी नहीं है कि हम इस कहानी के बल पर किसी देश, राज्य, शहर, स्कूल व शिक्षा पर संदेह करे व गलत धारणा रखे | इस वजह से मनोज जी किस जगह से है यह हम आपको नहीं बता सकते | पर कहानी का मुख्य मकसद है प्रेणना देना | इस कहानी के सभी शब्द खुद एक इंटरव्यूह में मनोज जी के द्वारा कहे गये है | जो हर किसी को प्रेरित करेगी |

शुरुआती शिक्षा-

कहानी की शुरुआत होती है चंबल के पास एक छोटे से जिले से | बेहद गरीब परिवार में जन्मे मनोज की शुरुआती शिक्षा उनके जिले से ही हुई | मनोज चुकी पढाई में कमजोर थे | उनका पढाई में मन बिल्कुल भी नहीं लगता था | यह मन न लगने के बहुत कारण हो सकते है , माहोल न होना या फिर गरीबी या कोई और कारण |

मस्ती के वो पल-

मनोज पढाई में अच्छे न होने के कारण मनोज ने एक ऐसी जगह से दाखिला लिया जहा नकल की पूरी सुविधा हो | मनोज जैसे तैसे 9वी ,10वी और 11वी पास की, वो भी 3rd डिवीज़न | वो भी नकल के भरोसे |

 मनोज व उनके मित्र की पूरी तैयारी थी कि वो इस बार 12वी में वो थोडा अच्छे से नकल करेंगे | जिससे वो 12वी में थोड़े अच्छे अंक ला सके | मनोज बताते है कि उनके मित्रो की संख्या 10 थी | जिसमे उनके मित्र ऐसे थे कि जब ब्लैक बोर्ड पर लिखने के वाबजूद वो लिख नहीं पाते थे |

जिस करण हर बार परीक्षा में उनकी 3rd डिवीज़न के अंक आते | पर वो इससे भी संतुष्ट थे | क्योकि उनका कहना था कि 12वी के बाद , टाइपिंग सीख कर कही चिपक जायेंगे | जिससे उनका जीवन यापन हो सके |

नयी जानकारी-

बदकिस्मत से शहर के नये SDM साहब बहुत सक्त थे जिनके आदेश पर नकल की सारी सुविधा बंद हो गयी | और खास तोर पर मनोज का स्कूल निशाने पर था | परीक्षा के दिन हुआ यह कि अचानक से SDM साहब का आना हुआ | और पूरा स्कूल, प्रिंसिपल , शहर के थाना दार उनके सामने हाथ जोड़ रहे और उनसे बोल रहे है कि नकल करने दो | पर उन्होंने एक नही सुनी |

यह सब पूरा दृश्य मनोज अपने मित्रो के साथ देख रहे थे | और उन्होंने अपने मित्र से पूछा कि इतना पावरफुल आदमी कोन है जिसके सामने सब हाथ पैर जोड़ रहे है | हुआ कुछ ऐसा कि नकल न होने के कारण मनोज 12वी में फ़ैल हो गये | उस दिन उन्हें जानकारी मिली की एक एग्जाम होता है और इस एग्जाम को पास करने के बाद इतना पावरफुल आदमी बन जाता है |

ऑटो रिक्शा ले गया मंजिल की ओर-

12वी में फ़ैल हो जाने के बाद , वो पैसे कमाने के लिए अपने भाई के साथ ऑटो रिक्शा चलाने लगे | एक दिन पुलिस वाले ने उनका ऑटो-रिक्शा पकड़ लिया है | उस ऑटो रिक्शा को छुड़ाने के लिए मनोज व उनके भाई SDM के पास जाते है कि उनका ऑटो रिक्शा छुट जाये |

जब मनोज SDM साहब के पास जाते है तो वोही सब उनके दिमाग में उनकी पॉवर देख कर वो भूल जाते है कि वो ऑटो रिक्शा को छुडवाने आये है | और वो सीधे SDM साहब से कहते है कि- साहब आप कैसे बने ? SDM ने बोला कि बहुत सरल है | बस थोडा सा पढना पड़ता है | और यह बात मनोज के दिमाग में बेठ गयी |

कि बस अब जिन्दगी में कुछ करना है तो बस ऐसे ही जीना है | हालाकि वो यह बात उन्हें बता भी नहीं पाए कि वो 12th फ़ैल हो गये है |

मनोज के दिमाग में बेठ गयी थी वो शान-शोकत , वो इज्जत , वो रुतवा सभी चीजे उनके दिमाग में बेठ गयी थी | या कहू उन्होंने अपने दिमाग में यह बीज बो दिया था |

सपनो ने मजबूर किया मेहनत करने को –

मनोज पढाई के लिए अपने शहर को छोडकर, सिर्फ 500 रुपय और एक थेला ले कर , ग्वालियर पढने आ गये | मनोज के पास शुरू के कुछ दिन रहने के लिये जगह भी न थी | तो वो मन्दिर के बहार जहा भिखारी सोते वहा अपनी राते बिता दिया करते | कभी कभी ऐसा होता कि वो भूखे पेट भी सो जाया करते |

पेट भरने के लिये | उन्हें एक पुस्तकालय में चपरासी की नोकरी मिल गयी | जिसमे वो झाड़ू साफ सफाई करते | वहा से उन्हें 2 चीजो में फ़ायदा मिलता है एक उनके पास कुछ पैसे आ जाना शुरू हो जाते |

दूसरा वो वहा की महान लोगो की किताबे पढ़ा करते | ऐसे उन्होंने ग्वालियर में रह कर अपनी स्नातक तक की पढाई पूरी करी | और उसके बाद वो दिल्ली आ गये | दिल्ली आने के बाद भी वोही रहने खाने की समस्या | और भी कुछ छोटे काम कर के गुजारा किया | 

12वी फ़ैल का ठप्पा हर मोड़ पर-

मनोज जब भी आगे बढ़ने की सोंचते | दुनिया उनसे कहती कि तुम नहीं कर सकते | क्योकि तुम 12वी फ़ैल हुए थे | मनोज ने किसी की भी नहीं सुनी और बस अपने दिल और दिमाग का साथ दिया | दिल्ली आने के बाद एक टीचर ने मनोज पर रहम किया और उन्हें फ्री में पढने के लिए कोचिंग में आने की अनुमति दे दी |

प्यार की दस्तक-

मनोज के दिन दिल्ली में शुरू हो गये | और हम आपको बता दे | यूपीएससी में पास होने के लिए 6 ही प्रयास होते है | जिसमे उन्होंने अपने पहले प्रियास में प्री निकल दिया | पर मैन्स नहीं निकल पाया |

कोचिंग जाने के बाद एक दिन कोचिंग में टेस्ट हुआ जिसमे मनोज के नंबर अच्छे आ गये | जिस वजह से कोचिंग की लडकियों में मनोज के प्रति आकर्षण आना शुरू हो गया | और इसी के चलते मनोज को एक लड़की से प्यार होने लगा | और बस जब मनोज प्यार में पड़ने लगे |

अब में आपको मनोज के ही शब्द में बोल कर बताता हु | मनोज ने कहा ….अरे यह यूपीएससी एग्जाम, शान-शोकत, रुतवा सब बेकार है पहले लड़की महत्वपूर्ण है | और बस जब मनोज प्यार में पड़े सब भूल गये | पढाई लिखाई |

जिसके बाद जहा उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में प्री एग्जाम निकाल दिया था | वही अब वो 2 बार एग्जाम दिया पर वो उसमे पास नहीं हुए | क्योकि वो एक तडफा वाले तगड़े प्यार में जो थे | मनोज बताते है | कि उनकी इंग्लिश बहुत कमजोर थी |

तो यूपीएससी में एक इंग्लिश का एग्जाम होता है जो अनिवार्य होता है देना | जिसमे एक निबंध लिखना होता है | जब वो तीसरी बार एग्जाम देने गये तो एग्जाम में 100 नंबर का निबंध उन्होंने लिखा और बहुत खुश हुए कि उन्होंने निबंध लिख दिया है | और जब वो घर आते है और देखते है कि निबंध जो वो लिख के आये थे वो है terrorism in india और जो एग्जाम में आया हुआ था वो था tourism in india. जिस वजह से वो तीसरे प्रयास में नहीं हो पाया |

प्रेमिका से बोला कि तुम हाँ कर दो तो पलट दू दुनिया-

चोथे व लास्ट प्रयास में हुआ कुछ ऐसा | कि मनोज के कोचिंग में से एक लड़के का एग्जाम पास हो गया | जिसकी पार्टी में मनोज का बहुत अपमान हुआ | तो उनके साथ पढने वाली लड़की जिससे वो प्यार करते थे | जिनका नाम श्रद्धा था | उन्होंने बोला कि तुम अपमान के लिये हमेशा तैयार रहो क्योकि तुम अपनी अंदर की क्षमताओ उपयोग नहीं कर रहे |

अब मनोज पर प्यार का भूत चढ़ा था | मनोज ने भी पलट कर जबाब दिया- कि क्षमताओ का उपयोग तो में कर दू अगर तुम एक बार हाँ कर दो | श्रद्धा वापिस बोलती है मतलब – मनोज ने कहा कि तुम एक बार हाँ कर दो में दुनिया उल्ट पलट दूंगा | श्रद्धा ने बोला चलो… हाँ जाओ उल्ट पलट दो |

मनोज ने उसके बाद दिन रात एक कर दी | और इस बीच उन्होंने P.hd भी कर ली | ताकि यदि लास्ट चांस में कुछ भी नहीं हुआ तो कुछ और कर सके | अब वो  मनोज से डॉ.मनोज शर्मा हो चुके थे |

बहुत अधिक मेहनत करने के बाद डॉ.मनोज ने आखरी प्रयास में सफलता पाई | और 2005 बैच के IPS अफ़सर बने | और साबित किया कि मेहनत से हर मंजिल पाना मुमकिन है |

 

डॉ.मनोज कुमार शर्मा नई पीढ़ी के लिए इतने प्रेरित हुए कि उन पर हाल ही में उनके ही मित्र अनुराज पाठक जी ने उनके जीवन के बारे में अपनी किताब में लिखा जिसका नाम है ट्वेल्थ फ़ैल (हरा वोही जो लड़ा नहीं ) प्रेणना से भरपूर्ण यह किताब नई पीढ़ी के लिए , अपने लक्ष्य की ओर प्रेरित करेगी |

हम आप सभी से उम्मीद करते है यह article आपको प्रेरित करेगी अपने लक्ष्य की ओर | अपनी अपनी राय comment box में जरुर रखे | यदि आप के पास भी कोई मोटिवेट स्टोरी है तो हम से साँझा करे | हम अपने शब्दों में और बेहतरीन बना कर आप सभी के साथ शेयर करेंगे | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |

अशिक्षित 10वी फ़ैल संतरा बेचने वाले का 600 करोड़ तक का सफर जरुर पढ़े-

pyare khan

अशिक्षित 10वी फ़ैल संतरा बेचने वाले का 600 करोड़ तक का सफर जरुर पढ़े-

जब एक इन्सान ऑटो रिक्शा चलाने वाला , रेलवे स्टेशन पर संतरे बेचने वाला , कार धोने वाला , एक अशिक्षित 10वी फेल करोड़ो की कम्पनी खड़ी कर के सफल हो सकता है | तो इस दुनिया में सब कुछ संभव है |

आज में जिस व्यक्ति के बारे में बताने जा रहा हूँ | इनकी मेहनत व विश्वास की सफलता से आप बहुत अधिक मोटिवेट होंगे | आप सभी का एक बार फिर everythingpro.in के success story in hindi में स्वागत है | चलिए शुरू करते है-

आज हम जिस शक्स की बात कर रहे है उनका नाम है प्यारे खान , जिनकी कहानी नागपुर के एक गरीब बस्ती से शुरू होती है | घर की ऐसी स्थिति नही थी कि वो अपनी पढाई को पूरा करते | प्यारे खान अपना व परिवार का हरण पोषण, 2001 तक  छोटे छोटे काम कर के जैसे रिक्शा चलाना , रेलवे स्टेशन पर संतरे बेच कर अपना गुजारा करते |

One think the change life in Hindi ( E-book )

अगर आप अपने जीवन में सफल व बहुत पैसे कमाना चाहते है | तो यह E-book आपकी पूरी जिन्दगी बदल सकती है | आपने अक्सर सुना होगा कि एक सफल व्यक्ति बुक्स जरुर पढ़ता है | क्योकि बुक्स हमे ऐसी सीख देती है जो अनमोल होती है | इस E- Book में ऐसे सीक्रेट बिज़नस की सम्पूर्ण जानकारी दी गयी है | जो बेहद ही कम लोगो को जानकारी है |

बहुत कम निवेश में सिर्फ 5 से 10 रुपय के निवेश में आपको कुछ ही महीने में 50 से 90 हज़ार तक कमा के दे सकता है | इस ई –बुक ने कई लोग की जिंदगी बदली है | और आगे भी बदलेगी | इस ई-बुक से खुद हम लाखो रुपय कमा रहे है | दोस्तों 199./- रुपय बेहद ही छोटी रकम होती है जो अक्सर लोग खाने पीने में खर्च कर देते है |

पर यह 199./- रुपय की छोटी सी रकम आपके पूरी जिंदगी को बदल सकती है | साथ ही इस ई – बुक को खरीदने वाले लोगो को एक अवसर प्राप्त होगा | जिसमे वो जीरो इन्वेस्टमेंट के साथ घर से लाखो रुपय कमा सकते है |

आज यह 199./- रुपय आपके आने वाले भविष्य या सफलता पर निर्भर करता है | आप स्टूडेंट्स, हाउसवाइफ, किसी भी उम्र का व्यक्ति हो | चाहे वो जॉब या कोई बिज़नस भी करता हो | उसके बाद भी आप इस ई – बुक में बताये गयी बातो से अपना जीवन को नये शिखर पर लाया जा सकता है |

इस 199./- रुपय रकम से अधिक फोन के रिचार्ज हो जाते है | पर बहुत कम लोग अपने जीवन को बदलने के लिए इन्वेस्ट करते है | यह 199./- रुपय कि इन्वेस्टमेंट आपको जिंदगी भर लाखो रुपय रिटर्न कर के दे सकती है |

आज निर्भर आप पर करता है इस छोटी रकम से अपने जीवन को परिवर्तित करना चाहते है या जिस तरह जीवन वितीत कर रहे है वेसा ही करना चाहते है | अपने आप से एक बात अवश्य पूछे जो काम आज आप कर रहे है क्या उस काम से आपके सभी सपने पूरे हो सकते है यदि जबाब आये हाँ तो आपको इस ई – बुक खरीदने की आवश्यकता नहीं है और यदि जबाब आये नहीं तो आप को पता है क्या करना है ?

 हमारी एक्सपर्ट व बिज़नस एडवाइजर ने ऐसे बिज़नस के बारे में बताया गया है जिन्होंने ई – बुक का मूल्य 999./- रुपय रखा गया | पर स्टूडेंट्स को ध्यान में रखते हुए यह 999./- रुपय एक स्टूडेंट व निम्न स्थर के व्यक्ति के लिये बेहद ही अधिक हो सकते थे |

इसलिए हमारी टीम ने सिर्फ़ 199./- रुपय रखा जिससे हर स्टूडेंट्स अपनी मंजिलो के रास्ते को देख सके व जीवन में बेहद ही सफल हो सके | ई-बुक अभी 50% डिस्काउंट में मिल रही है |

यानी अभी आप इस ई –बुक को खरीदते है तो सिर्फ 99./- रुपय में यह ई –बुक आपको प्राप्त हो जायेगी | जरा विचार करे यह 99./- रुपय कितनी छोटी रकम है जो आपको महीने के लाखो रुपय के रिटर्न के रूप में देगी | Amazon पर सर्च कर के  या नीचे दिये Buy Now E-Book से ई – बुक खरीदे |

Buy Now E-Book

कुछ बड़ा करने के जोश में निकल पड़े नयी राह पर-

प्यारे खान (Pyare khan) ने अपने आप से पूछा क्या वो इस तरह से ही अपनी जिंदगी काटना चाहते है या कुछ बड़ा करना है | और उनके दिल और दिमाग ने कुछ बड़ा करने का विचार आया | पर समस्या यह थी कि उनके पास थोड़े भी पैसे नहीं थे | तो वो आखिर कैसे शुरुआत करते |

रिश्तेदारों से मागी मदद-

प्यारे खान कुछ बड़ा करना चाहते थे | जिसके लिए उन्हें पैसो की जरुरत थी | वो अपने किसी खास रिश्तेदार के पास गये और उनसे 50 हज़ार रूपए मागने की बात कही | रिश्तेदार ने बोला की आप अपने घर के कागज ले कर आये | हम आपको 50 हज़ार रूपए देंगे | यह बात प्यारे खान को चुब गयी थी |

उस दिन प्यारे खान ने अपने आप से बोला की यदि रिश्तेदारी किसी के साथ करूंगा तो वो बैंक के साथ सिर्फ | प्यारे खान बैंक से उम्मीद करने लगे और वो बैंक से लोन के लिए apply करने लगे | पर गरीबो को कोई भी बैंक लोंन नही देती | ऐसा प्यारे खान के साथ भी हुआ | हर बैंक से उन्हें निराशा हाथ लगी |

सपनो को मिली थोड़ी उड़ान-

हर जगह से निराश हो जाने के बाद | 2004 में एक पहला ऐसा बैंक मिला जिसने एक गरीब को लोंन देने के लिए मंजूरी दी | और उस बैंक से प्यारे खान को 11 लाख रुपय का लोंन मिला | और इस 11 लाख रुपय से प्यारे खान की मंजिले शुरू होती है | 2004 में ही प्यारे लाल ने ट्रांसपोर्ट बिज़नस करने का विचार किया | और उन्होंने 11 लाख रुपय की मदद से पहला ट्रक खरीदा | जिससे एक मंजिल की ओर कुछ कदम बढे |

जिन्दगी ने लिया इम्तहान-

ट्रक लेने के बाद प्यारे खान की जिंदगी रास्ते पर आना शुरू हुई थी | कि सिर्फ 6 महीने बाद ही ट्रिक का एक बहुत बड़ा एक्सीडेंट हो गया | जिससे उनके सभी पैसे बर्बाद हो गये | लोगो ने दुनिया ने बोला कि तुम बर्बाद हो गये हो | तुम इस धंदे से दूर हो जाओ यह बिज़नस तुम्हारे लिए नहीं है | और न जाने क्या क्या अनगिनत बाते |

प्यारे खान के अंदर एक जुनून ,एक विश्वास ने उन्हें एक बार फिर कोशिश करने के लिए बोला | प्यारे खान ने उस ट्रक को वापिस नागपुर लाये, ड्राईवर को  ठीक करवाया | और कुछ महीने बाद अपनी मंजिल की ओर बढ़ चले |

सपनों में लगने लगे पंख-

एक बार फिर अपनी मंजिल की और बढ़ने लगे उतने ही विश्वास और जोश के दम पर | धीरे-धीरे समय बीतता गया | पैसे आना शुरू हो गये | पैसे आने के बाद प्यारे खान ने रिस्क वाले काम शुरू करना शुरू कर दिया | देश में ट्रांसपोर्ट बिज़नस में प्यारे खान का नाम लोगो के सामने आना शुरू हो गया |

तब ही एक किस्सा ऐसा हुआ कि भूटान देश में कुछ सामान लाना था | जो बहुत ही चुनोतिपूर्ण था | देश के सबी ट्रांसपोर्ट मालिको ने यह काम करने को मना कर दिया | क्योकि था ऐसा भूटान बॉर्डर का गेट 13.50 फूट का गेट था | और जो सामान ले जाना था उसकी लम्बाई थी 17 फूट |

यह बहुत चुनोतिपूर्ण काम था जो की प्यारे खान ने अपने दिमाग से पूरा कर दिखाया | प्यारे खान पर सिर्फ 24 घंटे का समय भूटान सरकार ने दिया | प्यारे खान ने भूटान गेट से पहले रास्ते को जमीन से 4 फूट नीचे खुदवाई करी और भूटान के अंदर वो सामान प्रवेश कराया |

जिससे उनको बहुत बड़ी रकम मिली | और देखते देखते प्यारे खान ने एक ट्रिक से 2 ट्रिक लिये |, 2 से 4 , 4 से 10 और 10 से 25 , और आपको हेरानी होगी 25 से 250 ट्रक लेकर देश के बड़े ट्रांसपोर्ट कम्पनी खोल डाली |

किसी भी बिज़नस को सफल बनाने के लिए तीन मुख्य बाते-

  1. आपको अपने बिज़नस को सफल बनाने के लिए उसके लिए प्रॉपर फण्ड होना चाहिए |
  2. आपके बिज़नस की एक अच्छी सर्विस
  3. आपके अंदर विश्वास |

प्यारे खान की लगन, विश्वास और उनके काम की एक अच्छी सर्विस ने पहले छोटी छोटी कम्पनी ने 10 लाख से 50 लाख का काम दिया | और उनकी अच्छी सर्विस देते देते व विश्वास व समय देते देते | 50 लाख से 1 करोड़ पर पहुचा , एक करोड़ से 10 करोड़ और 10 से 100 , और 100 से 600 करोड़ तक का business आज वो वर्तमान में कर रहे है |

हमने आज इस article से क्या सीखा-

वाकई यह जमीन से आसमान का सफर बहुत ही प्रेणना देने वाला है | हमने आज इस article के माध्यम से 2 बाते सीखी-

1-भविष्य में टूट जाने के बाद सिर्फ एक बार कोशिश जरुर करनी चाहिए | क्या पता वो आपकी आखिरी कोशिश हो |

2-सफल बनने के लिए जरुरी नहीं कि शिक्षा का होना जरुरी ही है | व शर्त है की आपकी मेहनत और लगन पर विश्वास होना चाहिए |

उम्मीद करता हु यह article आपको आपके लक्ष्य की और प्रेरित करेगा | ऐसे ही मोटिवेट और interested article के लिए हमसे जुड़े रहे | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |

सफलता का मन्त्र :

  • अपने लक्ष्य की सम्पूर्ण जानकारी का होना |
  • हमेशा अपने लक्ष्य को पाने के लिये कड़ी मेहनत करते रहे |
  • सबसे जरुरी बात , खुद अपनी क़ाबलियत पर विश्वास रखे |
  • कभी भी निराश न हो |
  • अगर आप गलतियाँ कर रहे है , तो निराश बिल्कुल न हो , वल्कि ख़ुशी मनाये की आप कुछ नया जरुर सीख रहे है |
  • जो व्यक्ति कहता है , उसने अपने जीवन में कुछ गलतियाँ नहीं की , यकीन माने उसने अपने जीवन में कुछ नया नहीं सीखा |

हमेशा ध्यान रखे , उचित मार्गदर्शन से ही असंभव को संभव किया जा सकता है | हमसे अपनी समस्या व उलझाने साँझा करे | हम हर संभव मदद आपकी करेंगे |

आपके उज्जवल भविष्य के लिये हमारी टीम Everythingpro.in की तरफ से बहुत बहुत शुभकामनाएँ….

वक्त हमेशा हमे कुछ न कुछ सीखा के जरुर जाता है –

वक्त हमेशा हमे कुछ न कुछ सीखा के जरुर जाता है –

बुरा वक़्त हो या अच्छा हमे बहुत कुछ सिखा के जाता है | आज यह article से हम आप सभी को समझाने की कोशिश करेंगे | कि यदि भविष्य में समय हमारे विपरीत हो | और हमे कोई भी रास्ते दूर-दूर तक न दिखाई दे | तो अपने आप को टूटने न दे |

वल्कि अपने आपको शांत व धेर्य रखे और कोशिश करे समझने की , कि यह वक़्त आखिर हमे कुछ न कुछ सीख देने का प्रयास कर रहा है | आज में जिस शक्स के बारे में बात करने जा रहे है | उनकी कहानी पढ़ कर आप सोचेंगे | कि गम्भीर परिस्थितियाँ में भी कैसे अपने आप को स्थर रख सकते है |

सोचिये कि कभी किसी के साथ ऐसा हुआ है कि आप  खाना खाने बेठे हो और पहले निवाले में कोई चीज आपके मुह में फस जाये और जब आप देखे तो वो या तो छिपकली की पूंछ ,या मरे हुए चूहे की हड्डी , या कोई कंकर, या कटे हुए बाल |

उम्मीद करते है हम कि ऐसा किसी के साथ न हुआ हो | पर आज हम जिस शक्स की बात करने जा रहे है उनके साथ यह सब हुआ है | और एक बार नहीं कई बार | जिस एक कटोरी सब्जी को या तो आप फेक सकते है या जीवित रहने के लिये खा सकते है | और यह सब एक दिन के लिए नहीं पूरे 7 साल 3 महीने |

वो भी बेवजह कारण के मिल रहा हो | तो आप कैसे इन सब चीजो से बहार निकलेगे | कि जब यह इन्सान इतनी गंभीर परिस्थिति में अपने आप को संभाल सकता है | तो फिर हर कोई कठीन समय में अपने आप को संभाल सकता है | आप सभी का everythingpro.in के success story in hindi में स्वागत है |

आज यह कहानी आपको कठीन समय से सीखने के लिए प्रेरित करेगी | चलिए शुरू करते है ऐसे शक्स की कहानी जो एक सरकारी ऑफिसर होने के बाद भी बेवजह वक़्त ने सजा दी |

जिन्दगी की शुरुआत-

यह काहनी है हिमांशु सिंह राजावत जो कि राजस्थान पुलिस में एक इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत है | हिमांशु सिंह राजावत राजस्थान के पाली जिले के एक छोटे से गाँव बिठ्बाड़ा से है | जिनके पिता जी एक शिक्षक है | सात लोग के परिवार में भाई-बहन का एक बड़ा परिवार था |

हिमांशु सिंह राजावत की सदेव से इच्छा थी की वो पुलिस में जाये | और 12वी के बाद वो आगे पढने के लिए |  उदयपुर शहर में चले गये | उम्र बढते वक़्त घर से शादी के लिए बोला जाने लगा | जो कि हिमांशु सिंह राजावत  नहीं चाहते थे कि वो अभी शादी करे | वो पुलिस में जाना चाहते थे |

जिस वजह से घर से अनमन हो जाने के बाद | वो सिर्फ कुछ कपड़ो में और कुछ पैसे ले कर अपने सपनो की तरफ बढ़ गये |

सपनो ने मेहनत करने के लिए किया मजबूर-

हिमांशु सिंह राजावत जब अपने सपनो के लिए अपना घर छोड़ आये तो उनके पास पैसे नहीं थे | दोस्तों से कुछ मदद मागी पर धीरे धीरे वो निराश हो गये | उन्होंने एक होटल में जॉब करना शुरू कर दी | रात में होटल की नोकरी और दिन में अपने सपने की मेहनत |

यदि सच्चे दिल से की गयी मेहनत जरुर रंग लाती है | और कुछ यह मेहनत हिमांशु सिंह राजावत के साथ भी हुआ | 1999 में उनका सिलेक्शन हो गया | कुछ ही सालो में हिमांशु सिंह राजावत की तरफ से बहुत अच्छा प्रदर्शन हुआ जिस वजह से उन्हें राजस्थान सरकार के ग्रह मंत्री ने उन्हें सम्मान दिया |

जो हिमांशु सिंह राजावत के लिए बहुत बड़ी बात थी | धीरे धीरे वो अपनी कामयावी की ओर बढ़ते गये |

समय ने लिया मोड़-

अच्छे कार्य व अच्छी छवि से हिमांशु सिंह राजावत लोगो व अपने पुलिस अफ़सर की नजरो में अच्छे होते चले गये | उसके बाद हिमांशु सिंह राजावत का ट्रान्सफर उदयपुर जिले में होता है | जीवन में कब क्या हो जाये हम नहीं सोंच सकते | जैसा हम सोचते है, वेसा होता नहीं और जो हम सोंचते है नहीं, वो हो जाता है |

ऐसा ही कुछ हिमांशु सिंह राजावत के साथ हुआ | एक बार वो अपने थाने में जवानो के साथ काम कर रहे थे कि अचानक उनके पास फ़ोन आता है कि आपको हेडक्वार्टर पर बुला रहे है | जब वो वहा जाते है तो सभी सीनियर अफ़सर बेठे होते है |

उन्होंने बोला की आपको एक बड़े क्रिमनल को पकड़ने के लिए सिलेक्ट किया गया है | यह हिमांशु सिंह राजावत के लिए बहुत बड़ी बात थी कि इतने सीनियर के वाबजूद यह काम उन्हें मिला | जिस खतरनाक क्रिमनल को पकड़ना था वो सहाबुद्दीन  नाम का क्रिमनल था |

जिसको 2005 में हिमांशु सिंह राजावत की टीम ने एनकाउंटर किया | एनकाउंटर होने के बाद इस विषय को पूरे देश में उल्टा पुलिस ऑफिसर पर ही सवाल उठने लगे | काफी विवाद हुए काफी प्रश्न उठे | देश की बड़ी एजेंसी आई जिनने अपनी अपनी जाँच पूरी करी | और हिमांशु सिंह राजावत की टीम को 7 साल 3 महीने के लिए सजा दी गयी |

हिमांशु सिंह राजावत जानते थे कि उनकी टीम निर्दोष है | पर अधिक ताक़त बल वालो के सामने वो कुछ भी न कर सके | आपको हेरानी होगी यह जानकर की जिन पुलिस ऑफिसर ने एक खतरनाक क्रिमनल को पकड़ा |

उन्हें देश की मुंबई की हाई सिक्योरिटी सेंट्रल जेल तनोजा के हाई सिक्योरिटी जोन में जिसको अंडा सेल बोला जाता है | वहा पर रखा गया | उस अंडा सेल में एक तरफ पुलिस वाले और दूसरी तरफ बड़े क्रिमनल अबू सालेम ,छोटा राजन , डी के राव आदि बड़े क्रिमनल थे |

यह बहुत चुनोतीपूर्ण था कि क्रिमनल के साथ वर्दी की शान को बचाए रखना | क्रिमनल और पुलिस के प्रति एक नफरत हमेशा से रहती है जिस वजह से सभी पुलिस को बहुत दर्द का सामना करना पड़ा |

क्रिमनल सीधे तो कुछ नहीं करते पर उन्हें कोशिश में लगे रहते है कि सब को तकलीफ मिले तो वो खाना लाते वक़्त कुछ डाल देते | खाना खाते वक़्त उनके खाने में छिपकली की पूंछ या चूहों की हड्डी का आ जाना एक सामान्य बात हो गयी थी | यह सब कई साल तक चलता रहा |

एक उम्मीद देश का कानून निर्दोष साबित करेगा –

सब निर्दोष अफ़सर सहन करते रहे | इस उम्मीद में की बहार उनके हित में कोर्ट कचेरी एक दिन न्याय देगा | दिन साल होते चले गये और तारीख पर तारीख पडती रही | पर हर जगह से निराशा हासिल हुई | और पूरे 7 साल 3 महीने बाद हिमांशु सिंह राजावत की टीम दुःख दर्द तकलीफ सहन कर के रिहा हुई |

वक्त जरुर बदलता है-

हिमांशु सिंह राजावत की टीम रिहा होने के बाद भी उनकी वर्दी पर वो धब्बा लगा हुआ था | जिसको वो हटाना चाहते थे | हिमांशु सिंह राजावत टीम ने 4 साल कड़ी मेहनत कर के खुद उस केस को कोर्ट में साबित किया | और कोर्ट ने हिमांशु सिंह राजावत के साथ पूरी टीम को वइज्जत बरी किया |  यह पल वाकई हिमांशु सिंह राजावत और उनकी टीम के लिए एक नये जीवन के रूप में था |

हमने इस article से क्या सिखा-

हमने आप सभी को इस article के माध्यम से बताने की कोशिश की जीवन में बुरा वक़्त बहुत कुछ लेकर आता है | जो हमे पूरी तरह से टूटने को मजबूर करता है | पर उसके बाद भी वो वक़्त हमे बहुत कुछ सीखा जाता है |

यह हमारे उपर निर्भर करता है कि हम उस वक़्त से कुछ बुराई सीखते है या अच्छाई | जीवन में कभी कभी ऐसी परिस्थितियाँ आ जाती है | जो सामन्य नहीं होती | पर इन परिस्थितियाँ का धेर्य से सामना करना ही जीवन है |

उम्मीद करते है यह article आपको पसंद आया होगा | अपने मित्र व परिवार में जरुर शेयर करे | अपनी अपनी राय comment बॉक्आस में जरुर दे | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |

error: Content is protected !!
हर कोई ले सकेगा अपने परिवार के लिए कार , कीमत सिर्फ ? बड़ी बहन नेहा शर्मा को अच्छे से टक्कर देती है आयशा शर्मा Alaya f का बेक़ाबू हॉट अवतार चेतना पांडेय ने लगायी पानी में आग