Sawan Me Kab Karen Rudrabhishek: सावन में रुद्राभिषेक का महत्व और शुभ तिथियां – जानिए कैसे मिलेगा शिव का आशीर्वाद
श्रावण मास यानी भगवान शिव की आराधना का सबसे शुभ समय। यह माह शिवभक्तों के लिए अत्यंत पवित्र और सौभाग्यदायक माना गया है। पूरे महीने शिवलिंग पर जलाभिषेक, बेलपत्र अर्पण और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है। लेकिन सावन में भी कुछ खास तिथियां ऐसी मानी जाती हैं, जब भगवान शिव की पूजा कई गुना फलदायी होती है।
क्यों होता है सावन में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन के महीने में भगवान शिव संपूर्ण ब्रह्मांड की व्यवस्था स्वयं संभालते हैं। कहा जाता है कि इसी महीने शिवजी पहली बार अपनी ससुराल (पार्वती माता के घर) गए थे, जहां उनका जलाभिषेक कर भव्य स्वागत किया गया। उसी परंपरा का पालन करते हुए, आज भी भक्त सावन में जल और पंचामृत से रुद्राभिषेक कर शिवजी को प्रसन्न करते हैं।
रुद्राभिषेक को भगवान शिव की उपासना का सबसे प्रभावशाली तरीका माना गया है। यह न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि भौतिक जीवन में भी कई प्रकार के सुख और समाधान प्रदान करता है।
रुद्राभिषेक के लाभ: क्यों है यह पूजन इतना चमत्कारी?
श्रद्धा और विधिपूर्वक किया गया रुद्राभिषेक निम्नलिखित लाभ देता है:
- संतान प्राप्ति की इच्छा होती है पूर्ण
- शीघ्र विवाह की बाधाएं होती हैं दूर
- करियर में आती है उन्नति और सफलता
- धन, वैभव और सुख-शांति की प्राप्ति
- ग्रह दोष और बुरी नजर से मिलती है मुक्ति
- मानसिक तनाव और शारीरिक रोगों में राहत
पौराणिक ग्रंथों में भी उल्लेख है कि सावन में रुद्राभिषेक करने से पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को मोक्ष तक की प्राप्ति हो सकती है।
सावन 2025 में रुद्राभिषेक के लिए सबसे शुभ तिथियां
यदि आप शिवजी का रुद्राभिषेक करना चाहते हैं, तो नीचे दी गई तिथियों को विशेष रूप से याद रखें। ये तिथियां धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ मानी गई हैं:
तारीख
तिथि
महत्त्व
- 11 जुलाई (शुक्रवार) प्रतिपदा सुखद
- 14 जुलाई (सोमवार) चतुर्थी सुखप्रद
- 15 जुलाई (मंगलवार) पंचमी अभीष्टसिद्धि
- 18 जुलाई (शुक्रवार) अष्टमी सुखप्रद
- 21 जुलाई (सोमवार) एकादशी सुखप्रद
- 22 जुलाई (मंगलवार) द्वादशी अभीष्टसिद्धि
- 23 जुलाई (बुधवार) चतुर्दशी शुभयोग
- 24 जुलाई (गुरुवार) अमावस्या सुखप्रद
- 26 जुलाई (शनिवार) द्वितीया सुखप्रद
- 29 जुलाई (मंगलवार) पंचमी सुखप्रद
- 30 जुलाई (बुधवार) षष्ठी अभीष्टसिद्धि
- 6 अगस्त (बुधवार) द्वादशी सुखप्रद
- 7 अगस्त (गुरुवार) त्रयोदशी अभीष्टसिद्धि
कहां और कैसे करें रुद्राभिषेक?
यदि आप किसी ज्योतिर्लिंग तक नहीं जा सकते, तो घर पर या नजदीकी शिव मंदिर में भी यह पूजा की जा सकती है। पूजा के लिए निम्न सामग्री का उपयोग करें:
- जल या गंगाजल
- दूध
- दही
- शहद
- घी
- बेलपत्र, धतूरा, भस्म
- चंदन, फूल, अक्षत (चावल)
- मंत्र जाप:
“ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप रुद्राभिषेक के दौरान करना विशेष फलदायक माना जाता है।
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निष्कर्ष: अभी से करें तैयारी
रुद्राभिषेक केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली आध्यात्मिक उपाय है जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और दिव्यता का संचार करता है। सावन 2025 में इन विशेष तिथियों को ध्यान में रखते हुए शिवभक्ति करें और भगवान शिव से जीवन के हर क्षेत्र में कृपा प्राप्त करें।