वक्त हमेशा हमे कुछ न कुछ सीखा के जरुर जाता है –

बुरा वक़्त हो या अच्छा हमे बहुत कुछ सिखा के जाता है | आज यह article से हम आप सभी को समझाने की कोशिश करेंगे | कि यदि भविष्य में समय हमारे विपरीत हो | और हमे कोई भी रास्ते दूर-दूर तक न दिखाई दे | तो अपने आप को टूटने न दे |

वल्कि अपने आपको शांत व धेर्य रखे और कोशिश करे समझने की , कि यह वक़्त आखिर हमे कुछ न कुछ सीख देने का प्रयास कर रहा है | आज में जिस शक्स के बारे में बात करने जा रहे है | उनकी कहानी पढ़ कर आप सोचेंगे | कि गम्भीर परिस्थितियाँ में भी कैसे अपने आप को स्थर रख सकते है |

सोचिये कि कभी किसी के साथ ऐसा हुआ है कि आप  खाना खाने बेठे हो और पहले निवाले में कोई चीज आपके मुह में फस जाये और जब आप देखे तो वो या तो छिपकली की पूंछ ,या मरे हुए चूहे की हड्डी , या कोई कंकर, या कटे हुए बाल |

उम्मीद करते है हम कि ऐसा किसी के साथ न हुआ हो | पर आज हम जिस शक्स की बात करने जा रहे है उनके साथ यह सब हुआ है | और एक बार नहीं कई बार | जिस एक कटोरी सब्जी को या तो आप फेक सकते है या जीवित रहने के लिये खा सकते है | और यह सब एक दिन के लिए नहीं पूरे 7 साल 3 महीने |

वो भी बेवजह कारण के मिल रहा हो | तो आप कैसे इन सब चीजो से बहार निकलेगे | कि जब यह इन्सान इतनी गंभीर परिस्थिति में अपने आप को संभाल सकता है | तो फिर हर कोई कठीन समय में अपने आप को संभाल सकता है | आप सभी का everythingpro.in के success story in hindi में स्वागत है |

आज यह कहानी आपको कठीन समय से सीखने के लिए प्रेरित करेगी | चलिए शुरू करते है ऐसे शक्स की कहानी जो एक सरकारी ऑफिसर होने के बाद भी बेवजह वक़्त ने सजा दी |

जिन्दगी की शुरुआत-

यह काहनी है हिमांशु सिंह राजावत जो कि राजस्थान पुलिस में एक इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत है | हिमांशु सिंह राजावत राजस्थान के पाली जिले के एक छोटे से गाँव बिठ्बाड़ा से है | जिनके पिता जी एक शिक्षक है | सात लोग के परिवार में भाई-बहन का एक बड़ा परिवार था |

हिमांशु सिंह राजावत की सदेव से इच्छा थी की वो पुलिस में जाये | और 12वी के बाद वो आगे पढने के लिए |  उदयपुर शहर में चले गये | उम्र बढते वक़्त घर से शादी के लिए बोला जाने लगा | जो कि हिमांशु सिंह राजावत  नहीं चाहते थे कि वो अभी शादी करे | वो पुलिस में जाना चाहते थे |

जिस वजह से घर से अनमन हो जाने के बाद | वो सिर्फ कुछ कपड़ो में और कुछ पैसे ले कर अपने सपनो की तरफ बढ़ गये |

सपनो ने मेहनत करने के लिए किया मजबूर-

हिमांशु सिंह राजावत जब अपने सपनो के लिए अपना घर छोड़ आये तो उनके पास पैसे नहीं थे | दोस्तों से कुछ मदद मागी पर धीरे धीरे वो निराश हो गये | उन्होंने एक होटल में जॉब करना शुरू कर दी | रात में होटल की नोकरी और दिन में अपने सपने की मेहनत |

यदि सच्चे दिल से की गयी मेहनत जरुर रंग लाती है | और कुछ यह मेहनत हिमांशु सिंह राजावत के साथ भी हुआ | 1999 में उनका सिलेक्शन हो गया | कुछ ही सालो में हिमांशु सिंह राजावत की तरफ से बहुत अच्छा प्रदर्शन हुआ जिस वजह से उन्हें राजस्थान सरकार के ग्रह मंत्री ने उन्हें सम्मान दिया |

जो हिमांशु सिंह राजावत के लिए बहुत बड़ी बात थी | धीरे धीरे वो अपनी कामयावी की ओर बढ़ते गये |

समय ने लिया मोड़-

अच्छे कार्य व अच्छी छवि से हिमांशु सिंह राजावत लोगो व अपने पुलिस अफ़सर की नजरो में अच्छे होते चले गये | उसके बाद हिमांशु सिंह राजावत का ट्रान्सफर उदयपुर जिले में होता है | जीवन में कब क्या हो जाये हम नहीं सोंच सकते | जैसा हम सोचते है, वेसा होता नहीं और जो हम सोंचते है नहीं, वो हो जाता है |

ऐसा ही कुछ हिमांशु सिंह राजावत के साथ हुआ | एक बार वो अपने थाने में जवानो के साथ काम कर रहे थे कि अचानक उनके पास फ़ोन आता है कि आपको हेडक्वार्टर पर बुला रहे है | जब वो वहा जाते है तो सभी सीनियर अफ़सर बेठे होते है |

उन्होंने बोला की आपको एक बड़े क्रिमनल को पकड़ने के लिए सिलेक्ट किया गया है | यह हिमांशु सिंह राजावत के लिए बहुत बड़ी बात थी कि इतने सीनियर के वाबजूद यह काम उन्हें मिला | जिस खतरनाक क्रिमनल को पकड़ना था वो सहाबुद्दीन  नाम का क्रिमनल था |

जिसको 2005 में हिमांशु सिंह राजावत की टीम ने एनकाउंटर किया | एनकाउंटर होने के बाद इस विषय को पूरे देश में उल्टा पुलिस ऑफिसर पर ही सवाल उठने लगे | काफी विवाद हुए काफी प्रश्न उठे | देश की बड़ी एजेंसी आई जिनने अपनी अपनी जाँच पूरी करी | और हिमांशु सिंह राजावत की टीम को 7 साल 3 महीने के लिए सजा दी गयी |

हिमांशु सिंह राजावत जानते थे कि उनकी टीम निर्दोष है | पर अधिक ताक़त बल वालो के सामने वो कुछ भी न कर सके | आपको हेरानी होगी यह जानकर की जिन पुलिस ऑफिसर ने एक खतरनाक क्रिमनल को पकड़ा |

उन्हें देश की मुंबई की हाई सिक्योरिटी सेंट्रल जेल तनोजा के हाई सिक्योरिटी जोन में जिसको अंडा सेल बोला जाता है | वहा पर रखा गया | उस अंडा सेल में एक तरफ पुलिस वाले और दूसरी तरफ बड़े क्रिमनल अबू सालेम ,छोटा राजन , डी के राव आदि बड़े क्रिमनल थे |

यह बहुत चुनोतीपूर्ण था कि क्रिमनल के साथ वर्दी की शान को बचाए रखना | क्रिमनल और पुलिस के प्रति एक नफरत हमेशा से रहती है जिस वजह से सभी पुलिस को बहुत दर्द का सामना करना पड़ा |

क्रिमनल सीधे तो कुछ नहीं करते पर उन्हें कोशिश में लगे रहते है कि सब को तकलीफ मिले तो वो खाना लाते वक़्त कुछ डाल देते | खाना खाते वक़्त उनके खाने में छिपकली की पूंछ या चूहों की हड्डी का आ जाना एक सामान्य बात हो गयी थी | यह सब कई साल तक चलता रहा |

एक उम्मीद देश का कानून निर्दोष साबित करेगा –

सब निर्दोष अफ़सर सहन करते रहे | इस उम्मीद में की बहार उनके हित में कोर्ट कचेरी एक दिन न्याय देगा | दिन साल होते चले गये और तारीख पर तारीख पडती रही | पर हर जगह से निराशा हासिल हुई | और पूरे 7 साल 3 महीने बाद हिमांशु सिंह राजावत की टीम दुःख दर्द तकलीफ सहन कर के रिहा हुई |

वक्त जरुर बदलता है-

हिमांशु सिंह राजावत की टीम रिहा होने के बाद भी उनकी वर्दी पर वो धब्बा लगा हुआ था | जिसको वो हटाना चाहते थे | हिमांशु सिंह राजावत टीम ने 4 साल कड़ी मेहनत कर के खुद उस केस को कोर्ट में साबित किया | और कोर्ट ने हिमांशु सिंह राजावत के साथ पूरी टीम को वइज्जत बरी किया |  यह पल वाकई हिमांशु सिंह राजावत और उनकी टीम के लिए एक नये जीवन के रूप में था |

हमने इस article से क्या सिखा-

हमने आप सभी को इस article के माध्यम से बताने की कोशिश की जीवन में बुरा वक़्त बहुत कुछ लेकर आता है | जो हमे पूरी तरह से टूटने को मजबूर करता है | पर उसके बाद भी वो वक़्त हमे बहुत कुछ सीखा जाता है |

यह हमारे उपर निर्भर करता है कि हम उस वक़्त से कुछ बुराई सीखते है या अच्छाई | जीवन में कभी कभी ऐसी परिस्थितियाँ आ जाती है | जो सामन्य नहीं होती | पर इन परिस्थितियाँ का धेर्य से सामना करना ही जीवन है |

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