मेहनत एक दिन जरुर रंग लाती है | साइकिल पंचर की दुकान से IAS अफ़सर बनने का सफर –
हम सभी ने छोटे से लेकर बड़े होने तक किसी न किसी से जरुर सुना होगा कि मेहनत एक दिन जरुर रंग लाती है | आज जो हम यह मोटीवेट article लिख रहे है इस मोटीवेट स्टोरी को पढकर आप सभी अपने आप से एक सवाल करेंगे की हम अपने Goal को पाने के लिए कितनी मेहनत कर रहे है |
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हम कितनी और अधिक मेहनत कर सकते है | इस article को पढ़ कर आप जो मेहनत कर रहे है उससे अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित होंगे |
हम में से बहुत लोग होते है जिन्हें हर मुमकिन सुविधा मिलती है पर हमे उन सुविधाओ की कदर नहीं होती | पर जरा अपनी नजरे घुमा कर देखिये जो सुविधा हमे मिल रही है वो सुविधा बहुत है |
देश में कई लोग है जिन्हें यह भी सुविधा नसीब भी नहीं होती | चलिए इस article को पढ़ते-पढ़ते आपको feel हो जायेगा कि हम आप सब से क्या बात कहने की कोसिस कर रहे है | चलिए शुरू करते है-
मेहनत व विश्वास ने साइकिल पंचर जोड़ने वाले को बना दिया IAS अफसर-
आज की मोटीवेट सक्सेस स्टोरी जो है वो है छोटे शहर के वरुण बरनवाल (varun baranwal) की जो महाराष्ट्र के पालघर जिले के बोइसर के रहने वाले है | जिन्हें साइकिल के पंचर की दुकान से लेकर उनकी मेहनत ने एक आईएएस अफसर बना डाला |
Varun baranwal के पिता जी बोइसर मे साइकिल की दुकान थी | वरुण बरनवाल सर की काहनी शुरूआत होती है उनके 10वी से , वरुण बरनवाल सर ने 2006 में 10वी पूरी की , इनकी 21 मार्च 2006 में परीक्षा खत्म हुई थी | और 24 मार्च 2006 को इनके पिता जी का दिहांत हो गया |
पिता जी के दिहांत के बाद वरुण सर ने सोचा की घर की समस्या को देख कर उन्होंने विचार किया कि 10वी कर ही ली है और अब वो पढाई को छोडकर, अपने पापा की छोटी सी साइकिल की दुकान को आगे ले जयेंगे |
वरुण सर ने अपनी पढाई को छोड़ने का पूरी तरह से मन बना लिया था क्योकि घर की आर्थिक तंगी की वजह से मुमकिन नहीं था की वो अपने पढाई को आगे बढ़ाते | पर कहते हेना की होता वोही है जो ऊपर वाला करता है |
कुछ दिनों बाद 10वी का रिजल्ट आया जिसमे वरुण सर ने अपना स्कूल top किया | जब वो अपना रिजल्ट देख कर घर पर आये तो सभी लोग रो रहे थे | उनकी माँ और बहन ने बोला की तुम पढो हम काम करेंगे |
जिन्दगी के सबसे कठिनाई वाला वक़्त-
वरुण सर का 11th व 12th उनकी जिन्दगी के सबसे मुश्किल भरे दिन थे | 10th के बाद जब 11th के लिए कॉलेज में दाखिला लेने के लिए कुछ 10 हजार रूपए की जरुरत थी | पर वरुण सर के पास इतने पैसे नहीं थे और उन्होंने अपनी साइकिल की दुकान में टाइम देने लगे |
एक बार उनकी दुकान के सामने एक डॉक्टर , जो उनके पिता जी का ट्रीटमेंट करते थे वो अपने बच्चे का दाखिला दिलवाने collage जा रहे थे | वो रुके और उन्होंने पूछा क्या चल रहा है | और वरुण सर ने अपनी बात उन्हें बताई |
उन डॉक्टर ने अपनी जेब से हाल उसी वक़्त 10 हजार रूपए दिए | और तब जा कर उन्होंने अपना दाखिला लिया | जब उन्होंने 11th में दाखिला लिया तो उनके दिमाग में एक बात थी जो हर महीने की फीस भरी जाती है वो वह नहीं भरेंगे |
उन्होंने अपने आप से बोला की वो बहुत अच्छे से पढेंगे मेहनत करेंगे और बाद में स्कूल के प्रिंसिपल से कहेंगे की मेरे फीस माफ़ की जाये |
कुछ महीने में ही सबी टीचर को पता लग गया की घर की क्या हाल है | और जब सबी टीचर को पता लगा की पढाई में इतनी रूचि है तो उन्होंने 2 साल तक वरुण सर की पूरी फीस भरी | एक रूपए भी नहीं दिया सर ने 2 साल तक | इस तरह 11th और 12th हो पाई |
वरुण सर का खुद कहना है की उन्होंने अपनी पढाई का खर्च खुद कभी भी नहीं किया | कोई फीस भर देता था तो कोई बुक्स ले लेता था तो कोई फॉर्म भरने के पैसे तक नहीं लेता था | वरुण सर की माँ और बहन ने दो साल में थोड़े पैसे जमा कर लिए थे क्योकि उनकी बहन collage में पढ़ाती थी |
दिन भर की कड़ी मेहनत-
वरुण सर का भी दिन का टाइम ऐसा था की सुबह से दोपहर तक collage फिर 2 बजे से रात तक कोचिंग क्लास दे कर बच्चो को पढ़ाते और रात में 10 बजे आ कर दुकान का काम देखते और फिर 1-2 घंटा पढ़ कर रात के 12-1 बजे सो जाते और अगली सुबह वोही सब हररोज की दिनचर्या |
12वी के बाद की इंजीनियरिंग-
माँ बहन और कुछ अपने पैसे से MIT से इंजीनियरिंग में दाखिला ले लिया | इंजीनियरिंग की पहली साल का बजट 1 लाख रूपए हुआ जो जैसे तैसे 1st year complete हो गयी | और फिर वोही चीज वरुण सर ने कहा की अगली year की फीस नहीं भरनी है |
जब इंजीनियरिंग में प्रवेश किया तो लोगो ने डराना शुरू कर दिया | की इंजीनियरिंग में हर किसी की सब्जेक्ट में back लगती ही है जिसकी back न लगे तो क्या इंजीनियरिंग की | टॉप करने वाले लोग अलग ही दुनिया के होते है तो वरुण सर थोडा सा सहम से गये | पर उनने अपने आप से कहा की मुझे बस पढना है |
कहते हेना रोटी की कीमित उस इन्सान को ही होती है जो भूखा हो | तो बस वरुण सर ने खुद ही अपनी पढाई शुरू कर दी | और 1st year में वरुण सर के 86% आये और कॉलेज टॉप किया |
कॉलेज टॉप करने के बाद वरुण सर सब टीचर की नजरो में आ गये | उनके कॉलेज में मैथमेटिक डिपार्टमेंट में एक टीचर थी माधुरी लता नाम की जिन्होंने मुझे बुलाया | जिनसे वरुण सर ने अपने घर की सभी परिस्थितियों के बारे में बताया | शयद उनकी आखे नम हो गयी थी उस वक़्त |
उन्होंने कॉलेज के सभी टीचर , डायरेक्टर के पास इनके घर की परिस्थितियों की बाते पहुचना शुरू हो गयी | जो पहुचते पहुचते बात में पूरी एक साल, यानि 2nd year लग गये |
वरुण सर की 2nd year की फीस उनके एक दोस्त के माता-पिता ने भरी | और वाकी की साल में स्कोलरशिप मिल गयी | और इंजीनियरिंग जैसे तेसे पूरी हो गयी |
कड़ी मेहनत लाई रंग-
इंजीनियरिंग पूरी होने के बाद प्लेसमेंट भी अच्छा हो गया | वरुण सर को कॉरपोरेट सेक्टर में जॉब मिली पहले , फिर उन्होंने कहा की हमे टेक्निकल फिल्ड में ही काम करना है | तो किसी दोस्त ने बोला की तू टेक्निकल में बहुत अच्छा है तो तू IES (Indian engineering services) की तैयारी क्यों नहीं करता |
फिर वरुण सर ने IES की तैयारी 3 महीने तक करी | और फिर एक बार उनसे किसी फ्रेंड ने बोला की तू IAS (Indian Administrative service) की तैयारी क्यों नहीं करता | और इनने फिर अपने आप से बोला की चलो यह भी कर लेते है |
वरुण सर ने जनवरी 2013 में पूरी तरह से विचार किया की उन्हें सिविल सर्विसेज में ही जाना है |
विचार करने के बाद वरुण सर बहुत कंफ्यूज रहे की उन्हें किस विषय को चुन कर अपनी तैयारी शुरू करनी है और बहुत सोच कर उन्होंने Pole Science (धुर्वीय विज्ञान) को सेलेक्ट किया और अपनी तैयारी शुरू कर दी | और महज चार महीने में वरुण सर ने यूपीएससी 2013 में 32 रेंक हासिल की |
जब यूपीएससी का रिजल्ट आया तो उन्होंने खुद रिजल्ट नहीं देखा उनके एक भईया थे जिन्हें वो चंमय भईया के नाम से पुकारते | वरुण सर ने चंमय भईया को फोन किया और पूछा भईया आपने रिजल्ट देखा | चंमय भईया ने भरी हुई आवाज में बोला congratulation 32 रेंक आई है |
यह congratulation शब्द मनो उनकी life का सबसे खुबसूरत शब्द बन गया | यह शब्द सुनकर वरुण सर की आखे नम हो गयी | वरुण सर अभी वर्तमान में Assistant collector के पद पर कार्यरत है |
हमने इस article से क्या सिखा-
हमने इस article के माध्यम से बताने की कोसिस की है हम सब को मिल रही सुविधा की कदर नहीं है और मेहनत करने से कतराते है | जरा अपनी नजरे घुमा कर देखिये जो सुविधा हमारे पास है उनकी कदर करे और अपने लक्ष्य की और मेहनत करे |
वरुण सर ने कड़ी मेहनत और एक लगन से सिविल सेवा परीक्षा में 32 में रेंक हासिल कर के IAS बन गये | विषम परिस्थितियों को पर कर के वो अपने लक्ष्य की और बढ़ते गये | यहा गोर करने वाली बात यह है की यदि आप दिल से कड़ी मेहनत कर रहे है और तो ईश्वर भी आपके लिए वेसे है द्वार खोलते जायेंगे |
जैसे वरुण सर की उनकी पढाई की लगन देख कर उनके लिए हर बार नये अवसर के द्वार खुलते चले गये | वरुण सर उन लाखो हजारो युवाओ के लिए एक एक प्रेरणा हैं जो चुनौतियों से घबरा कर मेहनत करने से भाग जाते हैं।
आप अपने विचार comment box में दे सकते है | आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद |