हवाई किरायों की मनमानी पर PAC सख्त, आपदा में मुनाफाखोरी पर उठाए सवाल
नई दिल्ली | 9 जुलाई 2025:
संसद की पब्लिक अकाउंट्स कमिटी (PAC) ने प्राइवेट एयरलाइंस द्वारा आपातकालीन परिस्थितियों और त्योहारों के दौरान अचानक बढ़ाए गए हवाई किरायों को लेकर गंभीर चिंता जताई है। मंगलवार को संसद परिसर में हुई बैठक में कमिटी ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय और डीजीसीए (DGCA) से इस पर नियंत्रण के लिए सख्त नीति लागू करने की सिफारिश की।
PAC के कई सदस्यों ने आरोप लगाया कि हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले और महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों के दौरान एयरलाइंस ने अत्यधिक किराया वसूला। उन्होंने इसे “प्रिडेटरी प्राइसिंग” यानी शोषणकारी मूल्य निर्धारण का मामला बताते हुए सख्त आपत्ति जताई।
कैपिंग पॉलिसी की मांग
एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा, “आपदा या इमरजेंसी की स्थिति में एयरलाइंस को मनमानी की छूट नहीं दी जा सकती। ऐसी परिस्थितियों में हवाई किराए पर ‘कैपिंग पॉलिसी’ लागू होनी चाहिए, ताकि यात्रियों का आर्थिक शोषण रोका जा सके।”
सरकार और एयरलाइंस के बीच संतुलन की सलाह
कमिटी ने यह भी सुझाव दिया कि सरकार और एयरलाइंस के बीच संवाद के जरिए ऐसा संतुलित रास्ता निकाला जाए, जिससे न तो यात्रियों पर अनावश्यक बोझ पड़े और न ही एयरलाइंस को व्यावसायिक नुकसान हो।
बैठक में कौन-कौन रहा शामिल
PAC की इस अहम बैठक में नागरिक उड्डयन सचिव, DGCA, BCAS, AAI, AERA, इंडिगो और एयर इंडिया सहित कई प्रमुख एयरलाइंस और नियामक एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
बैठक का एजेंडा था: नागरिक उड्डयन क्षेत्र में फीस, टैरिफ और यूजर चार्ज के निर्धारण और उसके नियमन पर विचार।
पूर्व मंत्री प्रफुल पटेल का बयान
बैठक में शामिल पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री और PAC सदस्य प्रफुल पटेल ने रिपोर्टर से कहा, “चाहे वह पहलगाम हमला हो या महाकुंभ, एयर फेयर जरूरत से कहीं ज्यादा बढ़ाया गया। DGCA और मंत्रालय के पास इसे नियंत्रित करने का अधिकार है और अब उसका प्रयोग होना चाहिए।”
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DGCA पर सबकी निगाहें
तेजी से बढ़ती हवाई यात्रा की मांग के बीच किराए की असमान बढ़ोतरी एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। अब सभी की नजर DGCA और नागरिक उड्डयन मंत्रालय पर है कि वे प्राइवेट एयरलाइंस की प्राइसिंग पॉलिसी पर कोई ठोस कदम उठाते हैं या नहीं।