नई दिल्ली। अगर आप ट्रेन में सफर के दौरान रेलवे द्वारा दी गई चादर, कंबल या तकिया को घर ले जाने की सोच रहे हैं, तो सावधान हो जाइए। भारतीय रेलवे ने ऐसे मामलों को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट किया है कि यह ‘रेलवे संपत्ति की चोरी’ के अंतर्गत आता है और इसके लिए जेल भी हो सकती है।
रेलवे के अनुसार, एसी कोचों में सफर कर रहे यात्रियों को यात्रा के दौरान आराम के लिए लिनेन आइटम्स — जैसे चादर, कंबल और तकिया — उपलब्ध कराए जाते हैं। हालांकि ये सामान केवल सफर के दौरान उपयोग के लिए होते हैं और यात्रा समाप्त होते ही इन्हें लौटाना जरूरी होता है।
कानून के तहत सख्त सजा का प्रावधान
रेलवे अधिनियम 1966 की धारा 3 के तहत रेलवे की संपत्ति को चोरी करना, नुकसान पहुंचाना या उसे अपने पास रखना एक दंडनीय अपराध है। पहली बार दोषी पाए जाने पर एक साल तक की जेल, ₹1,000 तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। जबकि बार-बार ऐसा करने वालों को पांच साल तक की सजा और भारी भरकम जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।
RPF करता है औचक निरीक्षण
रेलवे सुरक्षा बल (RPF) समय-समय पर ट्रेनों में जांच अभियान चलाता है। अधिकारी यात्रियों के बैगों की जांच करते हैं और यदि किसी यात्री के पास चादर, तकिया या कंबल पाया जाता है, जिसे उसने लौटाया नहीं है, तो उसके खिलाफ तुरंत कानूनी कार्रवाई की जाती है।
‘छोटी चोरी’ से करोड़ों का नुकसान
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यात्रियों द्वारा की जा रही इस तरह की ‘छोटी-मोटी’ चोरी से हर साल करोड़ों का नुकसान होता है। वर्ष 2017-18 के दौरान केवल पश्चिम रेलवे ज़ोन में लाखों की संख्या में लिनेन आइटम्स चोरी हुए थे, जिससे रेलवे को करोड़ों रुपये का नुकसान झेलना पड़ा।
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रेलवे ने यात्रियों से की अपील
भारतीय रेलवे ने यात्रियों से अपील की है कि वे सुविधाओं का लाभ उठाएं, लेकिन उनका दुरुपयोग न करें। रेलवे संपत्ति की चोरी करना न सिर्फ कानूनन गलत है, बल्कि यह नैतिक दृष्टिकोण से भी अनुचित है।
रेलवे ने साफ तौर पर कहा है कि यात्रा के दौरान दिए गए सामान को लौटाना यात्रियों की जिम्मेदारी है और इसमें कोई कोताही बरतने पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।